रविवार, 18 सितंबर 2016

महानदी मुद्दे पर छत्तीसगढ़ व ओडिशा का तकरार

परियोजनाओं की जांच करेगी विशेषज्ञ समिति
बैठक में फिर दिखा ओडिशा का अडियल रवैया
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी विवाद का समाधान निकालने के लिए केंद्र सरकार के प्रयास में अभी भी ओडिशा सरकार का अडियल रवैया बाधक बनता नजर आ रहा है। यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा दोनों राज्यों की बैठक में कोई ठोस नतीजा तो नहीं निकल सका। हालांकि दोनों राज्यों ने महानदी पर अभी तक पूरी हुई दोनों राज्यों की परियोजनाओं की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन पर सहमति जरूर बनी है।
केंद्र सरकार पर महानदी के मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच बने तकरार को खत्म करने का दबाव बना हुआ है, तो केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने इसकी गंभीरता को देखते हुए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में मध्यस्थता की भूमिका निभाई। इस बैठक में खास बात यह नजर आई कि छत्तीसगढ़ सरकार केंद्र सरकार के हर सुझाव के लिए तैयार रहा, लेकिन ओडिशा सरकार ने छत्तीसगढ़ की महानदी पर परियोजनाओं पर आपत्तियां उठाने का राग अलापना बंद नहीं किया। दरअसल महानदी पर निर्मित छत्तीसगढ़ की परियोजनाओं पर ओडिशा सरकार आपत्ति जताते हुए इन्हें बंद करने की मांग कर रही है। जबकि छत्त्तीसगढ़ सरकार ने दावा किया है कि उसकी नयमित मानदंडो और नियमों पर आधारित 95 प्रतिशत से भी ज्यादा परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और ज्यादातर हाइड्रो प्रोजेक्ट होने के कारण उन्हें बंद करने से बहुत बड़ा नुकसान सहन करना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ ने इस मुद्दे पर संयुक्त निगरानी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव दिया था, जिसमें पर्यावरणविद्, पूर्व न्यायाधीश व जल विज्ञान से जुडे विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे, लेकिन ओडिशा सहमत नहीं हुआ।
एक सप्ताह में रिपोर्ट देगी समिति
शनिवार को यहां नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ओर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत दोनों राज्यों के संबन्धित मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक में तर्क-वितर्क के बाद भी कोई नतीजा निकलता नजर नहीं आया। ऐसे में दोनों राज्यों की सहमति से केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने महानदी पर दोनों राज्यों की परियोजनाओं की जांच करने के लिए केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के विशेष कार्यधिकारी डा. अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्णय लिया। यह समिति एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। समिति इस बात की जांच करेगी कि महानदी पर छत्तीसगढ़ और ओडिशा की पूरी की गई परियोजनाएं मानदंडो व नियमानुसार हैं या नहीं। यह समिति इस बात का भी पता लगाएगी कि छत्तीसगढ़ व ओडिशा में किन किन परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ सलाहकार समिति का अनुमोदन नहीं था। इस काम के लिए दोनों राज्यों में दो अलग-अलग दल भेजे जाएंगे। इस रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार एक और समिति का गठन करेगी, जिसमें केंद्र के साथ दोनों राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस प्रस्ताव के तहत सरकार का मकसद है कि महानदी के इस विवाद का सकारात्मक समाधान सामने लाया जा सके।
‘पानी प्यार के लिए है, तकरार के लिए नहीं’
बैठक के दौरान सुश्री उमा भारती ने छत्तीसगढ़ व ओडिशा के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि वे पूरे देश के हित को ध्यान में रखते हुए एक दूसरे के राज्य की आवश्यकताओं का ध्यान रखें और उसके प्रति संवेदनशील हों। सुश्री उमा भारती ने कहा ‘पानी प्यार के लिए होता है, तकरार के लिए नहीं’। सुश्री उमा भारती ने छत्तीसगढ़ से आग्रह किया है कि वह एक सप्ताह के लिए अपने छह बैराजों का निर्माण कार्य रोक दे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केन्द्रीय जल आयोग के पास छत्तीसगढ़ से सिंचाई योजनाओं का कोई भी मास्टर प्लान विचाराधीन नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में निमार्णाधीन बैराजों पर कार्य पिछले 10 वर्षों से चल रहा था, किन्तु ओडिशा ने इस पर इस वर्ष जून में आपत्ति दर्ज की।
बैठक में लिए गये महत्वपूर्ण निर्णय
महानदी के मुद्दे पर त्रिस्तरीय बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार केन्द्र सरकार एक नए गेज स्टेशन के निर्माण के जरिए यह सुनिश्चित करेगी कि हीराकुंड में एक बूंद भी पानी कम न हो, ताकि किसी भी राज्य खासकर ओडिशा के साथ कोई भी अन्याय न हो सके। छत्तीसगढ़ के अनुरोध और ओडिशा की सहमति पर छत्तीसगढ और ओडिशा की सीमा पर महानदी पर नया गेज स्टेशन स्थापित करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग को निर्देश जारी किया गया है। केन्द्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की को पूरी महानदी घाटी के विस्तृत अध्ययन का जिम्मा सौपा गया है। इस संस्थान की रिपोर्ट पर मंत्रालय द्वारा भविष्य में गठित की जाने वाली समिति या बोर्ड विस्तृत विचार करेगा। इस मुद्दे पर एक विशेषज्ञ समिति के गठन का उड़ीसा का सुझाव छत्तीसगढ़ ने मान लिया है।
ओडिशा ने नहीं दी जानकारी
इस विवाद की खास बात है कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव स्तर की जुलाई में केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष की मौजूदगी में हुई बैठक में लिए गये निर्णय के मुताबिक दोनों राज्यों को एक-दूसरे राज्यों के साथ महानदी पर चल रही परियोजनाओं की जानकारी साझा करने पर सहमति बनने के बावजूद ओडिशा ने अभी तक एक भी जानकारी छत्त्तीसगढ़ सरकार को नहीं दी, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार अब तक पूरी हुई परियोजनाओं की पूरी जानकारी ओडिशा राज्य के साथ साझा कर चुका है।
18Sep-2016

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