बुधवार, 31 मई 2017

सड़क निर्माण के पिछले रिकार्ड ध्वस्त!

2019 तक 25 लाख करोड़ की परियोजना का लक्ष्य
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के बुनियादी ढांचें को मजबूत करने में लगी केंद्र सरकार ने सड़क परियोजनाओं को लागू करने में पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। सरकार का लक्ष्य 2019 तक 25 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं को पूरा करने का है।
मोदी सरकार के विकास के एजेंडे के तहत देश में सड़कों का जाल बिछाने की परियोजनओं को पटरी पर उतारने का यह दावा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने किया है। इसके अनुसार इस मंत्रालय का मोदी सरकार के मौजूदा पांच साल के कार्यकाल में देशभर में 25 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है, जिसमें वर्ष 2019 तक राष्टÑीय राजमार्ग की लंबाई को दो लाख किमी करने करने की योजना का रोडमैप भी शामिल है। नेशनल हाइवे विस्तार के तहत वर्ष 2014-15 में 97991 किमी लंबे हाइवे में 16167 किमी का विस्तार पूरा किया जा चुका है और 15948 किमी का निर्माण कार्य चल रहा है। मंत्रालय का दावा है कि प्रतिदिन फिलहाल सड़क परियोजनाओं में तेजी से निर्माण काम करने के लिए इन तीन सालों में औसतन 17 किमी सड़क का प्रतिदिन निर्माण किया गया है, जिसे जल्द ही 30 किमी प्रतिदिन आने की उम्मीद है। हालांकि केंद्रीय मंत्री कई बार दोहरा चुके हैं कि हाइवे निर्माण के काम को प्रतिदिन 41 किमी करने का लक्ष्य है। मंत्रालय का यह भी दावा है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के कार्यकाल में यह निर्माण कार्य 12 या 13 किमी प्रतिदिन से आगे नहीं बढ़ सका है। मंत्रालय के अनुसार पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने अपने अंतिम तीन साल में जहां करीब पांच हजार किमी हाईवे का निर्माण किया था, वहीं राजग सरकार ने उसके मुकाबले पिछले तीन सालों में औसतन 11 हजार किमी ज्यादा निर्माण किया है।
पीपीपी मॉडल पर जोर
मंत्रालय के अनुसार मौजूदा वित्त्तीय वर्ष में सरकार ने राष्टÑीय राजर्माग परियोजनाओं के निर्माण का 30 प्रतिशत कार्य पीपीपी मॉडल के जरिए कराने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 17 प्रतिशत था। मंत्रालय के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में देशभर में 16,800 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, जो देश में अभी तक रिकार्ड है। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए मंजूरी की गई 12 हजार करोड़ रुपये के करीब 900 किमी हाइवे के लिए 6.5 लाख करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी जा चुकी है, जिसके निर्माण भी पीपीपी मॉडल के जरिए कराने की योजना है।
पूर्वोत्तर का विकास
देश के पूर्वोत्तर और पहाड़ी जैसे 13 राज्यों व इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्गो और अन्य सड़क मार्गो के निर्माण की चुनौती से निपटने के लिए बुनियादी ढांचों को सुधारने की योजना में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अधीन गठित राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) का गठन किया और जुलाई 2014 में अस्तित्व में आए इस संगठन को जनवरी 2015 में इन राज्यों के लिए 1.06 लाख करोड़ की 136 परियोजनाएं सौंप दी गई, जिनके करीब छह दर्जन परियोजनाओं को पूरा करने का दावा किया गया है। इन राज्यों में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल, अंडमान एवं निकोबार, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा सृजित करने का प्रयास है।

अरुणाचल में सर्वाधिक परियोजना
एनएचआईडीसीएल के प्रबन्ध निदेश आनंद कुमार ने शुरू की गई इन परियोजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि चीन से सटे अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में सबसे ज्यादा 29 सड़क परियोजनाएं शुरू की गई है, जिसके तहत 1055.35 किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण होना है। इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर में 16270.42 करोड़ रुपये की लागत वाली आठ परियोजनाएं शुरू की जा रही है, जिसमें 581 किमी लंबा नया राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित किया जाएगा। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में 3200 करोड़ रुपये की चार परियोजनाओं के तहत 320 किमी लंबे नेशनल हाइवे का निर्माण शुरू कर दिया गया है। उत्त्तराखंड में भी 9221.49 करोड़ रुपये लागत से एक दर्जन परियोजनाओं के तहत 895.95 किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का काम चल रहा है। सरकार ने पश्चिम बंगाल में 6290 करोड़ की तीन, असम में 15730.608 करोड़ रुपये की 19, मणिपुर में 12224 करोड़ रुपये की 18, मेघालय में 3841 करोड़ रुपये की 11, मिजोरम में 6104.01 करोड़ रुपये की चार, नागालैंड में 6971.35 करोड़ रुपये की 8, सिक्किम में 3366 करोड़ रुपये की 10,त्रिपुरा में 5534.34 करोड़ रुपये की लागत से छह तथा अंडमान निकोबार में 4080.14 करोड़ रुपये की लागत वाली चार सड़क परियोजनाओं को पटरी पर उतारा है।
31May-2017

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