रविवार, 28 मई 2017

अगले तीन सालों में 24 जलमार्गो का होगा विकास!

पीपीपी मॉडल पर तेज होगी राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजना
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में सड़क ओर रेल मार्ग के यातायात के बोझ को कम करने के लिए मोदी सरकार की राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजना के तहत अगले तीन साल में 24 जलमार्गो को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पीपीपी मॉडल पर लाकर तेजी लाने का प्रयास कर रही है।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा देश की 101 नदियों को जलमार्ग में तब्दील करने के लिए शुरू की गई राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजना को विकसित करके तेजी से काम करने का निर्णय लिया है। इनके अलावा पहले से संचालित पांच राष्ट्रीय राजमार्गों का आधुनिकीकरण भी किया जा रहा है। मंत्रालय के अधीन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने अगले तीन वर्षों में 24 जलमार्गो को विकसित करने की योजना बनाई है। मंत्रालय के अनुसार प्राधिकरण ने वर्ष 2022-23 तक राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजनाओं का विकास करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान लगाया है। इस परियोजना में जलमार्ग से जुड़े बहु मॉडल टर्मिनलों के निर्माण, नई नेविगेशन लॉक, नदी सूचना प्रणाली, फेयरवे आदि के विकास और निर्माण करने का काम भी शामिल है। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में ही प्रथम चरण में यूपी के वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक 1390 किलोमीटर जलमार्ग विकास परियोजना के तहत 5369 करोड़ रुपये की लागत से गंगा नदी को जलमार्ग के रूप में विकसित कर रही है।
इस प्रस्ताव से आएगी तेजी
मंत्रालय के अनुसार जलमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए केंद्रीय सड़क निधि के 2.5 प्रतिशत के आवंटन में बढ़ोतरी वाले प्रस्ताव किया गया है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में केन्द्रीय सड़क निधि अधिनियम-2000 में संशोधन करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसे केंद्रीय सड़क निधि (संशोधन) विधेयक के रूप में आगामी मानसून सत्र में संसद में पारित कराया जाएगा। इस अधिनियम संशोधन की संसद से मंजूरी मिलने के बाद इस परियोजना के साथ ही सड़क परियोजनाओं के आवंटन में वृद्धि होने का रास्ता साफ होगा और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव की मंजूरी देते हुए राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजनाओं को पीपीपी मॉडल के आधार पर करने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा है। हालांकि मंत्रालय इन परियोजनाओं के लिए विश्वबैंक की मदद भी ले रहा है।
पूर्वाेत्तर में 13 जलमार्ग
जहाजरानी मंत्रालय ने बताया हे कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी आंतरिक जलमार्गों के विकास की योजना के लिए केंद्र सरकार जल्द ही अलग से एक विधेयक जाने की योजना बना चुकी है। इस विधेयक में पूर्वोत्तर क्षेत्र की13 नदियों का चयन किया जा चुका है, जिन्हें राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित करने के प्रावधान शामिल किया जा रहा है। इन नदियों में पूर्वोत्तर की बराक, लोहित, सुवर्णसिरी, गंगाधर, आई, बेकी, पुतिमारी, दिहिंग, धरसिरी, दिखोव, दोयांग और त्लावंग नदी के खंड शामिल हैं। मंत्रालय के अनुसार पहले से ही मंजूर योजना के तहत 50 करोड़ रुपये की लागत से गुवाहाटी के पांडू में पोतों के मरम्मत वाले कारखने का निर्माण आगामी अक्टूबर से शुरू कर दिया जाएगा।
ये हैं पांच जलमार्ग
देश में अभी तक केवल पांच राष्ट्रीय जलमार्ग संचालित हैं। इनमें गंगा नदी पर इलाहाबाद-हल्दिया जल मार्ग (1,620 किलोमीटर), ब्रह्मपुत्र नदी का धुबरी-साडिया जलमार्ग (891 किलोमीटर), वेस्ट कोस्ट केनाल कोट्टापुरम-कोल्लम (205 किलोमीटर), काकीनाडा-पुड्डुचेरी केनाल्स (1,078 किलोमीटर) ब्राह्मणी व महानदी डेल्टा नदी से जुड़ी ईस्ट कोस्ट केनाल (588 किलोमीटर) शामिल हैं। अब देश की बाकी नदियों को जलमार्ग में बदलने की इस परियोजना को पटरी पर उतारा गया है, जिसके लिए संसद में पहले ही सरकार राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक पारित करा चुकी है। इसके अलावा सरकार की मंजूरी के बाद सागरमाला परियोजना के कंसेप्ट और इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क को सैद्धान्तिक मंजूरी दे चुकी है, जिसके तहत देश के तटीय राज्यों में बन्दरगाहों का आधुनिक विकास करना है।
तकनीकी प्रणाली लागू
मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार की यह परियोजना भारत में पहली बार राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर गंगा सूचना सेवा प्रणाली को स्थापित करने के लिए आईडब्ल्यूए को सक्षम करेगी। मसलन नदी सूचना प्रणाली (आरआईएस) उपकरण, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आधारित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संबंधित सेवाएं हैं, जिसे अंतदेर्शीय नेविगेशन में यातायात और परिवहन प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
29May-2017

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