सोमवार, 15 मई 2017

आपदा खतरे की जद में देश की आधी आबादी


राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में बोले राजनाथ
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भारत आपदा के खतरे के लिहाज से दुनिया में सर्वाधिक संवेदनशील देशों में शामिल है, जिसके कारण देश की करीब आधी आबादी आपदा के खतरों से घिरे इलाकों में रहती है।
यह बात सोमवार को यहां ‘सतत विकास के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण: 2030 तक भारत को सुदृढ़ बनाना’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश भर में आपदा के खतरे को कम करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर साझा मंच के रूप में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (एनपीडीआरआर) का गठन किया है। एनपीडीआरआर आपदा प्रबंधन से जुड़े अनुभवों को साझा करने और आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए सामूहिक प्रयास करने वाला राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म है। इसके लिए उन्होंने देश के विभिन्न इलाकों में आपदा के खतरे को कम करने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारों के समन्वय से साझा रणनीति बनाना है। जिसके लिए उन्होंने आपदा जोखिम से जुड़े नुकसान को कम करने में रोकथाम और न्यूनीकरण की भूमिका पर विशेष बल दिया। राजनाथ सिंह ने क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा हाल ही में किए गए अनेक पहलों को भी साझा किया, जिनमें दक्षिण एशियाई देशों के लिए समर्पित उपग्रह का प्रक्षेपण, आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन-2016 और सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र की स्थापना प्रमुख हैं। उन्होंने आपदा जोखिम में कमी के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क, सतत विकास लक्ष्य और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते (सीओपी21) जैसे वैश्विक समझौतों को स्मरण किया। उन्होंने आपदा जोखिम में कमी के लिए सरकारों द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों जैसे कि आपदा प्रबंधन योजना और नीति तैयार करने, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का विकास करने, चक्रवात से बचाव के लिए आश्रयों एवं उपयुक्त तटबंधों का निर्माण किए जाने, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरों पर आपदा राहत बलों का गठन करने और सतत प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम के जरिए समुदायों का क्षमता निर्माण करने पर प्रकाश डाला।
कैसी-कैसी आपदा
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ने कहा कि प्राकृतिक एवं अन्य प्रकार की आपदाओं के लिहाज से भारत दुनिया में सर्वाधिक खतरों से घिरा देश इसलिए कहा जा सकता है कि देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी भूकंप, बाढ़, चक्रवाती तूफान, सूखा और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के खतरों से घिरे इलाकों में रहती है और बड़ी-बड़ी आपदाओं का सामना भी करना पड़ा है। उन्होंने देश में कई आपदाओं का जिक्र भी किया। वहीं उन्होंने देश के दूसरे स्वरूप का भी जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया का पहला देश है जिसने आपदा के दौरान खाद्यान्न के भंडारण और इसके संरक्षण का प्रबंधन किया है। इसके अलावा भारत ने आपदा के खतरे को कम करने के लिये दक्षिण एशियाई देशों के साथ भी आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया है। उन्होंने बताया कि आपदा से निपटने की तैयारी और न्यूनीकरण पर एक अतिरिक्त रुपया खर्च करने से आपदा हानि में 10 रुपये की बचत की जा सकती है।

पीएम का 10 सूत्री एजेंडा
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि भारत आपदा के खतरे की संभावनाओं वाला देश है। उन्होंने आपदा से निपटने की तैयारियों को निरंतर बेहतर करने और जोखिम कम करने के उपायों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एएमसीडीआरआर 2016 के दौरान देश के प्रधानमंत्री द्वारा आपदा जोखिम में कमी के लिए उल्लेख किए गए 10 सूत्री एजेंडे का जिक्र किया और इस बैठक में उपस्थित प्रतिभागियों से इस एजेंडे को वास्तविकता में तब्दील करने के लिए ठोस योजनाएं बनाने को भी कहा है। इस बैठक में केंद्रीय तकनीकी मंत्री डा. हर्षवर्धन और केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
इनसे मिला है सबक
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने साल 1999 में ओडिशा में आये भीषण च्रकवाती तूफान, साल 2001 में गुजरात में भूकंप और साल 2004 में सुनामी के कटु अनुभवों से प्राकृतिक आपदा के खतरों से निपटने की दिशा में काफी कुछ सीखा है। इसके मद्देनजर हम आपदा के खतरे से निपटने और इसे कम करने के उपायों को प्रभावी तौर से लागू करने के लिये योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। इसमें आपदा प्रबंधन कानून 2005 बनाना, साल 2009 में आपदा प्रबंधन नीति बनाना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल का गठन सहित अन्य कदम शामिल हैं। इस कड़ी में केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने आपदा प्रतिक्रिया बल का गठन किया है। साथ ही आपदा की पूर्व चेतावनी प्रणाली का विकास और जनता को जागरूक करने जैसे उपाय शामिल हैं।
16May-2017

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