बुधवार, 10 मई 2017

जनांदोलन बन रहा है नमामि गंगे’ मिशन

सरकार ने खारिज की परियोजना की धीमी गति की आशंका
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
देश में गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘नमामि गंगे’ एकजनांदोलन बन रहा है, जिसमें जनता की भागीदारी और जागरूकता को सुनिश्चित करने की पहल की गई है।
दरअसल नमामि गंगे परियोजना की धीमी प्रगति को लेकर उठ रहे सवालों को खारिज करते हुए राष्टÑीय स्वच्छ गंगा मिशन ने कहा है कि इस योजना में सरकार ज्यादा से ज्यादा जनभागीदारी सुनिश्चित करने और इस योजना के बारे में किसी प्रकार का संशय दूर करने के लिए कार्यक्रम आगे बढ़ाने की पहल कर रही है। एनएमसीजी के अनुसार गंगा कार्य योजना जैसे नदी को साफ करने की इस योजना में अतीत में किये गए प्रयासों के मद्देनजर बने संशय को दूर करके आम जनता के भरोसे को लेने का प्रयास किया जा रहा है। इस परियोजना को लेकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती भी लगातार दोहरा रही है कि गंगा नदी से जुड़े श्रद्धा भाव या आस्था के साथ लोगों में गंगा को लेकर भावनात्मक जुड़ाव और धार्मिक नजरिये को भी ध्यान में रखा जा रहा है, जिसके लिए नदियों की साफ सफाई को लेकर जन जागरूकता फैलाना और जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतों को भी इस योजना के सहयोग के लिए जोड़ा गया है। केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती का कहना है कि राइन और टेम्स नदी को साफ करने में काफी समय लगा, उनकी सरकार ने दो साल पहले ही कार्यक्रम को शुरू किया है, तो समय तो चाहिए और सरकार ने सात-आठ साल का समय देश और देश की जनता से मांगा है।
कई मंत्रालय सहयोगी बने
केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि नमामि गंगा कार्यक्रम के परिणाम प्राप्त करने के लिए अधिक संयम रखने की जरूरत है। इसमें यह भी देखना जरूरी है कि नदी की साफ सफाई के कार्यक्रम से उसे कोई नुकसान न हो साथ ही इसका पारिस्थितिकी प्रवाह भी सुनिश्चित किया जा सके। नमामि गंगे को आगे बढ़ाने की पहल के तहत जनवरी 2016 को जल संसाधन मंत्रालय और सात अन्य मंत्रालयों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये थे, जिनमें रेल, मानव संसाधन विकास, स्वच्छता एवं पेयजल, ग्रामीण विकास, पर्यटन, आयुष, युवा एवं खेल मंत्रालय और पोत परिवहन मंत्रालय शामिल हैं। इन मंत्रालयों के अपने-अपने क्षेत्र में जारी सहयोग के तहत गंगा नदी को अविरल एवं निर्मल बनाने हेतु सात मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है और साथ ही 21 कार्य बिंदु तय किए गए हैं। इसका मकसद आगामी तीन वर्षो के दौरान गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण फैलाने वाले तत्त्वों का प्रभावी नियंत्रण करना और आपसी सहयोग से स्वच्छता पहल को गति देना है।
शोधित जल बाजार का विकास
विभिन्न मंत्रालयों के साथ समझौता करने के तहत जल संसाधन मंत्रालय सभी मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के मध्यसमन्वय हेतु नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करने के साथ शोधित जल के उपयोग हेतु बाजार विकसित कर रहा है। ऐसेही करार के तहत जल संसाधन और रेल मंत्रालय ने गंगा-यमुना नदी क्षेत्र पर स्थित जल शोधन संयंत्रों से शोधित जलकी आपूर्ति एवं उपयोग हेतु सहमति व्यक्त की गई है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गंगा नदी के तट पर साक्षर भारत कार्यक्रम का आयोजन करने केसाथ गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना पर प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की तैयारी में है। इसके लिए वह आईआईटी और एनआईटी को उन्नत भारत अभियान के तहत न्यूनतम पांच गांव गोद लेने हेतु प्रेरित करेगा। जबकि ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा एवं अन्य परियोजनाओं को इस कार्य-योजना से संबद्ध किया जाएगा और यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण विकास मिशन के तहत गंगा नदी के तट पर स्थित गांवों में कार्य को बढ़ावा देगा। इसी प्रकार पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर खुले में शौच से मुक्त व्यवस्था एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय द्वारा पारिस्थितिकी अनुरूप पहल एवं इकोटूरिज्म
को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
10May-2017

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