बुधवार, 24 मई 2017

शहरी परिवहन क्षेत्र में मदद करेगा ब्रिटेन

जल्द होगा भारत और ब्रिटेन में समझौता
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
देश की परिवहन व्यवस्था में बदलाव की जारी कवायद में केंद्र सरकार ई-वाहनों को सड़कों पर उतारने की तैयारी में जुटी हुई है। इस संबन्ध में भारत और ब्रिटेन में शहरी परिवहन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, नीति योजना और संस्थागत संगठन के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति बन चुकी है, जिसके लिए दोनों देशों के बीच जल्द ही एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजामार्ग मंत्रालय के अनुसार भारत इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर उतारने की योजनाएं बना रहा है, जिसके लिए ब्रिटेन में चल रही डबल डेकर बसों की तर्ज पर भारतीय इलेक्ट्रिक वाहनों के मॉडल लाना चाहता है। मंत्रालय के अनुसार पिछले सप्ताह ब्रिटेन की यात्रा पर गये केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लंदन में चल रही इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसों का जायजा भी लिया और वहां के ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (टीएफएल) के साथ विचार विमर्श करके इस बात की सहमति बनाई कि ब्रिटेन भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन के लिए खासकर शहरी परिवहन क्षेत्र में सहयोग करेगा। मंत्रालय ने बताया कि इसके लिए जल्द ही दोनों देशों के बीच इस दिशा में सहयोग के लिए भारत के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा ब्रिटेन के ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (टीएफएल) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। मंत्रालय के अनुसार यह प्रस्तावित समझौता शहरी परिवहन क्षेत्र में नीतिगत योजना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संस्थागत संगठनों के क्षेत्र में सहयोग के लिए किया जाएगा। हालांकि दोनों देशों में इस परिवहन व्यवस्था को लेकर सहमति को अंतिम रूप दिया जा चुका है, लेकिन समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया राजनयिक चैनल के तहत ही जल्द ही पूरी करने का प्रयास किया जा रहा है।

इसी मुहिम का हिस्सा मसाला ब्रांड
मंत्रालय ने बताया कि लंदन में अपने प्रवास के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने जहां भारत में निर्माण की
गतिविधियों में शामिल ब्रिटेन की जेसीबी कंपनी के योगदान को महत्वपूर्ण करार दिया था, वहीं ब्रिटेन की कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करने की दिशा में एनएचएआई का पहला मसाला ब्रांड लंदन स्टाक एक्सचेंज में जारी किया था। इसका मकसद देश की सड़क परियोजनाओं के लिए विदेशी कंपनियों को भारत के ढांचागत क्षेत्र में निवेश करने के लिए आकर्षित करना था।
24May-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें