मंगलवार, 30 मई 2017

मोदी सरकार के तीन साल-देश की बदलती तस्वीर में बेमिसाल


कई मोर्चों पर बहुत अच्छा-कुछ का खराब
-ओ.पी. पाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार इसी माह अपने तीन साल पूरे करने जा रही है। इन बेमिसाल तीन साल में केंद्र सरकार की क्या-क्या उपलब्धियां रही है उनका सभी मंत्रालय साल 2014 से 2017 के बीच महत्वपूर्ण कार्यक्रमों एवं योजनाओं के कार्यान्वयन का तुलनात्मक ब्यौरा पीएमओ को भेज चुके हैं। मोदी सरकार के बेमिसाल तीन साल की उपलब्धियों में पहली कैबिनेट में कालेधन पर बनाई गई एसआईटी से लेकर अब तक देश के बुनियादी विकास, जनहित की योजनाओं के कार्यान्वयन के अलावा पडोसी देशों के लिए जीसैट-9 की लांचिंग और अन्य सभी पहल के साथ दुनिया के सामने भारत की बनी बेमिसाल तस्वीर को भी सार्वजनिक करने की तैयारी है कि क्या वास्तव में देश बदल रहा है! हालांकि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में क्रिकेट और राजनीति पर बोलना सबसे आसान काम है जिसने कभी क्रिकेट न खेला हो वो भी बता देता है कि कैसे बॉलिंग करनी चाहिये और कैसे बैटिंग यही हाल राजनीति का भी है चाय की दुकान से लेकर पान के खोखे पर लगी भीड़ बता देती है कौन सा नेता कैसा काम कर रहा है, अगली बार किसकी सरकार बनेगी या गिरेगी, अगर मोदी सरकार के तीन साल के काम को देखा जाए तो कई मोर्चों पर प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है तो कुछ का औसत और कुछ का खराब भी कहा जा सकता है।
देश में तीन साल पहले सत्ता संभालते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद को आम लोगों से अपना सीधा संवाद और मजबूत करने की मंशा के साथ अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी ऐसे ही संदेश दिया था। यही नहीं केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा के सभी सांसदों को जनता से सीधे संवाद रखने की नसीहत दी थी, जिसमें वह सीधे किसी भी समय आम लोगों से चल रही सरकारी योजनाओं के बारे में सीधे उनका फीडबैक ले सकते हैं। हालांकि शायद इसका स्वरूप क्या होगा अभी यह तय नहीं हुआ है कि लोग किस तरह सोच रहे हैं और वे किस तरह की योजना और बदलाव की अपेक्षा रखते हैं, इस बारे में फीडबैक(लोगों की राय) लेने के काम को खुद पीएम मोदी ही नेतृत्व कर रहे हैं। दरअसल मोदी ने इससे पहले भी कई मौकों पर जनता से संवाद कर उनसे मिले सुझावों को सरकार में जगह दी है। चाहे बजट में नये प्रस्ताव की बात हो या फिर नई योजनाओं को नाम देने का मामला ही क्यों न हो, पीएम ने सभी मुद्दों पर जनता की राय मांगने की परंपरा की पहल की है। माना जा रहा है कि तीन साल पूरा होने के मौके पर पीएमओ तमाम मंत्रियों के कामकाज को सार्वजनिक क्षेत्रों में डालेगी, जिसमें बताया जाएगा कि किनके मंत्रालय में कितनी योजनाएं स्वीकृत र्हुइं और उन्हें कहां तक पूरा किया गया और क्या प्रयास किये जा तहे हैं। ऐसेे संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिये है कि वह इस धारणा को बदलना चाहते हैं कि मंत्रियों के कामकाज को आंका नहीं जा रहा है। माना जा रहा है कि मंत्रियों से प्रक्रिया, नीति, कामकाज, कार्यक्रमों समेत मंत्रालय की ओर से पेश महत्वपूर्ण सुधारों की जानकारी देने के साथ एक पैराग्राफ में दो प्रमुख सफलता की कहानी की जानकारी देने को भी कहा गया है कि लोगों के जीवन में क्या सकारात्मक बदलाव आए हैं। दरअसल पीएम मोदी और भाजपा स्पष्टतौर से देश और जनता के मिजाज को पहचाना चाहती है कि देश के विकास और जनता की सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी सुरक्षा को लेकर क्या बदलाव महसूस किये जा रहे हैं।
ये शानदार रिकार्ड और अपवाद
अगर हम देश की मानसिकता को देखे तो एक बात तो समझ में आती है कि भ्रष्टाचार के मामले मे इस सरकार का रिकार्ड बहुत शानदार है अभी तक किसी मंत्री या मंत्रालय पर कोई उंगली नही उठी। सरकार के कुछ मंत्रालयों का प्रदर्शन बहुत सराहनीय रहा है चाहे वो सुषमा स्वराज का विदेश मंत्रालय हो या नितिन गडकरी का सड़क अथवा सुरेश प्रभु का रेल मंत्रालय। इन जैसे कर्द अन्य मंत्रालयों में पहली बार जनता से जुड़े हुये काम करते देखा गया तो रेलवे में आम आदमी की परेशानी पर उसके ट्वीट पर एक्शन होते देखा गया ,प्रधानमंत्री जी की अपील पर आम जनता को स्वच्छता के लिये जागरूक होते हुये देखा गया। उज्जवला योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं के गैस के चूल्हे मिले जिससे उन्हें रोज उठने वाली धुएं की तकलीफों से निजात मिली। मसलन पहली बार कोई सरकार समाज के हर तबके तक पहुंचती हुई दिखी है। संसद में भी ज्यादातर कानूनों में विपक्ष के विरोध के वावजूद ऐसे अनेक ऐतिहासिक बदलाव किये हैं जिनसे देश की तस्वीर बदल सकती है। इसके विपरीत कुछ चीजें ऐसी भी रहीं जहां इस सरकार से सबसे ज्यादा उमीदें थीं, लेकिन अभी तक कुछ अच्छा होता हुआ दिखा नहीं। ऐसे मामलों में से एक है देश की आंतरिक सुरक्षा ,वो चाहे नक्सल से सम्बंधित हो या कश्मीर से जो उम्मीदें इस सरकार से थीं वो अभी तक धुंधली ही रहीं और दूसरी रोजगार के बारे में ,जहां सरकार बनने के समय बहुत उमीदें थीं वो अभी तक परवान चढ़ती नहीं दिख रहीं।
सरकार के प्रमुख कार्यक्रम एवं योजनाएं
मोदी सरकार ने इन तीन सालों के कार्यकाल के दौरान देश में विकास के एजेंडे के अलावा नोटबंदी जैसे कई महत्वपूर्ण और कठिन फैसले भी लिये हैं, जिनके कारण मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर रही है। सरकार चाहती है कि खासकर सामाजिक सुरक्षा वाली तीन बड़ी योजनाओं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना ने जनता के जीवन मेें किस प्रकार के बदलाव महसूस किये हैं।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत जनता को सिर्फ 12 रुपए का सलाना प्रीमियम देना है, जिसमें मृत्यु पर दो लाख का दुर्घटना कवर दिया जाएगा। दुर्घटना के दौरान विकलांग होने पर एक लाख का कवर दिया जाएगा। दुर्घटना पर आंखों की रोशनी जाने पर पीड़ित को 2 लाख रुपए मिलेंगे। योजना का फायदा लेने के लिए बैंक में बचत खाता अनिवार्य है। इस योजना के लिए उम्र सीमा 18 से 70 साल तक तय की गई।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
दुर्घटना बीमा के साथ-साथ सरकार ने देश की गरीब जनता के लिए जीवन बीमा योजना की भी शुरुआत की यानी प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना। देश के 18 से 50 साल की उम्र के नागरिकों को सालाना 330 रुपए का प्रीमियम देना होगा। योजना के तहत मृत्यु के बाद 2 लाख का बीमा कवर तय हुआ है। इस योजना के लिए हर साल नवीनीकरण कराना होगा। लेकिन कोई शख्स एक से ज्यादा बैंक खातों पर इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता।
अटल पेंशन योजना
इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है। 18 से 40 साल की उम्र के नागरिक इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके तहत आपको 20 साल या उससे ज्यादा योगदान देना होगा। और रिटायरमेंट के बाद आप न्यूनतम 1000, 2000, 3000, 4000 या 5000 रुपये के बीच पेंशन का लाभ उठा सकेंगे। यही नहीं इस स्कीम में मृत्यु के बाद पेंशन की रकम आश्रित के खाते में भी जाएगी।
किसानों के हितों की योजनाएं
देश में हर साल करीब 12000 किसान आत्महत्या कर लेते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक पिछले तीन साल में 3313 किसानों ने आत्महत्या की थी। इस साल तो ये आंकड़ा और भी दर्दनाक था। बेमौसम बरसात और मौसम की मार ने देश में गेंहू की करीब 40 फीसदी फसलों को बर्बाद कर दिया और ऐसे मुश्किल वक्त में मोदी सरकार का एक बड़ा फैसला कर्ज में डूबे किसानों के लिए नई संजीवनी के रूप में किसानों को डेढ़ गुना ज्यादा मुआवजे देने के लिए हुआ। पिछले साल तक किसानों को 50 फीसदी फसल की बर्बादी पर ही मुआवजा दिया जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इस आंकड़े को घटाकर 33 फीसदी तक कर दिया। सिर्फ यही नहीं सरकार ने मुआवजे की रकम को भी डेढ गुना बढ़ाया यानी फैसले के बाद बिना सिंचाई वाली फसलों के लिए मुआवजा 4500 रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 6765 रुपए किया गया। जबकि सिंचाई वाली फसलों के लिए 9000 से बढ़कर 13500 रुपए कर दिया गया। इतना ही नहीं सरकार ने किसानों के लिए मुआवजा की प्रक्रिया को भी आसान बनाया, ताकि कर्ज की मार से परेशान किसानों को सरकार दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
स्वर्ण मौद्रीकरण योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवंबर 2015 को तीन स्वर्ण संबंधी योजनाओं की शुरुआत की। इन योजनाओं में स्वर्ण मौद्रीकरण योजना, सार्वभौम गोल्ड बांड योजना और भारतीय स्वर्ण सिक्का। स्वर्ण मौद्रीकरण योजना बैंक में सोना अल्पावधि (1-3 वर्ष), मध्यमावधि (5-7 वर्ष) और दीर्घावधि (12-15 साल) के लिए रखने का अवसर प्रदान करती है। डिपाजिट रखे गए सोने पर ब्याज प्राप्त होगा, और वह पूंजी लाभ सहित कई अन्य करों से मुक्त होगा। 24 कैरेट का सोने का सिक्का निकालने की देश में इस तरह की यह पहली योजना है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि भारत को गरीब देश न कहा जाए,क्योंकि उसके पास 20,000 टन सोना है।
डिजिटल इंडिया
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक जुलाई 2015 को अपने सबसे महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया के साथ ही  ई-लॉकर सर्विस को भी लॉन्च किया। प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कैंपेन से अब ई-गवर्नेंस नहीं बल्कि एम-गवर्नेंस यानी मोबाइल गवर्नेंस का रास्ता आसान होगा। डिजिटल इंडिया कैंपेन में कॉरपोरेट सेक्टर 4.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगा। वही इससे 18 लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगी। मोदी सरकार इस स्कीम के जरिए सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ना चाहती है। इसके अलावा ई-गर्वनेंस को बढ़ावा देना और पूरे भारत को इंटरनेट से कनेक्ट करना इस मुहिम का मुख्य लक्ष्य है।
स्मार्ट सिटी योजना
देश के हर परिवार को अपना घर और बेहतरीन जीवनशैली मुहैया करवाने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी समेत तीन बड़ी योजनाओं को लॉन्च किया। मोदी ने पुनरोद्धार एवं शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन और सभी के लिए आवास मिशन की शुरूआत की। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत देशभर में 100 स्मार्ट शहर बसाने की योजना है। वहीं एएमआरयूटी योजना के तहत देश के 500 शहरों का कायाकल्प किया जाएगा। आवास योजना के तहत 2022 तक देश के तमाम परिवारों को घर मुहैया करवाया जाएगा। स्मार्ट सिटी परियोजना में सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को होगा। इस योजना के तहत यूपी में सबसे ज्यादा 13 स्मार्ट सिटी विकसित किये जाएंगे। इसके बाद तमिलनाडु में 12 और महाराष्ट्र में 10 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। 100 स्मार्ट सिटी पांच साल के भीतर विकसित किये जाएंगे और सभी के लिए आवास योजना के तहत अगले 7 साल में दो करोड़ मकानों का शहरी क्षेत्रों में निर्माण कराना है।
प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को देश में छोटे कारोबारियों के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना की शुरुआत की। मुद्रा बैंक फिलहाल एनबीएफसी के तौर पर काम करेगा। मुद्रा बैंक यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट फंड रिफाइनेंस एजेंसी है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 10 लाख रुपये तक के सस्ते लोन दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 3 तरह के लोन मिलेंगे। इनके नाम होंगे शिशु, किशोर और तरुण। शिशु योजना के तहत 50 हजार रुपये तक, किशोर योजना के तहत 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक और तरुण योजना के तहत 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाएंगे। मुद्रा बैंक से देश के करीब 5 करोड़ 77 लाख छोटे कारोबारियों को फायदा मिलेगा। छोटी विनिर्माण ईकाई और दुकानदारों को इससे लोन मिलेगा। खस बात है कि सब्जी वालों, सैलून, खोमचे वालों को भी इस योजना के तहत लोन मिल सकेगा।
एफडीआई नियमों में सुधार
मोदी सरकार ने 10 नवंबर 2015 को एफडीआई नियमों को आसान करने वाले फैसले में एफडीआई प्रस्ताव की लिमिट को 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दिया गया यानि अब 5,000 करोड़ रुपये तक के एफडीआई प्रस्तावों को एफआईपीबी की मंजूरी लेना जरूरी नहीं होगा। सरकार ने डिफेंस, ब्रॉडकास्टिंग, प्राइवेट बैंकिंग, एग्रीकल्चर, प्लांटेशन, माइनिंग, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, सिंगल ब्रांड रिटेल, कैश एंड कैरी होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग समेत 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई है। सरकार ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के भीतर एफडीआई लाने की शर्त हटा ली गई है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के बाद भी एफडीआई लाना मुमकिन होगा। डिफेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी के एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के तहत गैर-खबरिया चैनल में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। डीटीएच और केबल नेटवर्क में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है। रबर और कॉफी सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। एयरलाइंस ग्राउंड हैंडलिंग में 100 फीसदी एफआईडी को मंजूरी दी गई है। रीजनल एयरलाइंस में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।
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मोदी का न्यू इंडिया प्लान
पिछले महीने ही संचालन परिषद की मीटिंग में नीति आयोग ने तीन साल का ड्राफ्ट ऐक्शन प्लान पेश किया, जो दशकों तक चली पंचवर्षीय योजना की जगह लेगा। इससे प्लानिंग के नए युग की शुरुआत होगी। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने 15 साल के लॉन्ग टर्म विजन की भी शुरुआत की, जिसमें 7 साल की स्ट्रैटिजी दी गई और 3 साल का ऐक्शन एजेंडा पेश कर स्पष्ट किया गया है कि सरकार अगले 15 सालों में देश व जनता को क्या-क्या देना चाहती है। इसमें देश के विकास का जो खाका खींचा गया है उसका लक्ष्य पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2031-32 तक भारत को समृद्ध, अति शिक्षित, स्वस्थ, सुरक्षित और भ्रष्टाचार मुक्त देश में तब्दील करना, जहां बिजली की प्रचूरता हो, जहां का पर्यावरण बिल्कुल स्वच्छ हो और जो दुनिया को प्रभावित करने वाला हो। इसके लिए तीन स्तर पर रणनीति तैयार करने का संकेत है, जिसके तहत पंद्रह वर्षीय विजन डॉक्युमेंट-2017-18 से 2031-32 तक, सात वर्षीय रणनीति- 2017-18 से 2023-24 तक और त्रिवर्षीय कार्ययोजना- 2017-18 से 2019-20 तक का खाका है।
आम जनता का फायदा?
न्यू इंडिया के तहत देश में सभी को शौचलाययुक्त घर, एलपीजी, बिजली और डिजिटल कनेक्शन के अलावा करीब-करीब सभी व्यक्ति की इतनी आर्थिक क्षमता पैदा करने का प्रयास रहेगा कि वह दोपहिया वाहन या कार, एयर कंडिशन और आराम की दूसरी वस्तुएं खरीदने सक्षम हो। इसी प्रकार शत-प्रतिशत साक्षरता के साथ सभी को स्वास्थ्य सुविधा देने के अलावा स्वच्छ भारत बनाकर साफ हवा और पानी, साफ-सुथरे शहर और गांव का माहौल तैयार करना है। वहीं बुनियादी ढांचें की मजबूती में सड़क, रेलवे, समुद्र और हवाई मार्ग का और विस्तृत जाल फैलाकर एकीकृत परिवहन एवं लाॅजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रयास होगा। इस अनुमान में साल 2000-2015 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 60,909 रुपये बढ़ी। वर्ष 2015-2031 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,08,087 रुपये बढ़ाने का लक्ष्य होगा, जबकि अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2031-32 में देश का प्रति व्यक्ति बढ़कर 3,14,667 रुपये हो जाएगी। फिलहाल देश की प्रति व्यक्ति आय 1,06,589 रुपये है।
जीडीपी वृद्धि
साल 2000 से 2015 के बीच चीन की जीडीपी 532 लाख करोड़ रुपये बढ़ी, जिसके विपरीत इस दौरान भारत की जीडीपी 91 लाख करोड़ रुपये बढ सकी है। अगले 15 सालों में भारत की जीडीपी 332 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 469 करोड़ रुपये होने की उम्मीद जताई जा रही है। फिलहाल देश की जीडीपी 137 लाख करोड़ रुपये है। वर्ष 2000-15 के बीच चीन की शहरी आबादी 31 करोड़ बढ़ी। वर्ष 1991-2011 के बीच भारत की आबादी 16 करोड़ बढ़ी, जबकि वर्ष 2011-31 के बीच भारत की आबादी 22.3 करोड़ बढ़ेगी।
क्षेत्रीय विकास पर जोर
संपर्क सूत्रों का जाल बिछाकर विकास को बढ़ावा देनेवाली ताकतों की मजबूती, सरकार एवं शासन एवं कानून का राज सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, समावेशी समाज का निर्माण कर सामाजिक क्षेत्र में बदलाव लाना, पर्यावरण तथा जल संसाधन का समुचित प्रबंधन कर टिकाऊ विकास की नींव मजबूत करना ही पीएम मोदी का विजन है।
इसलिए जनवरी-दिसंबर वित्तीय वर्ष चाहते हैं मोदी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक 150 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने की योजना बना रहे हैं। वह अप्रैल से मार्च के वित्तीय वर्ष को खत्म कर उसे कैलेंडर इयर की तरह जनवरी से दिसंबर करना चाहते हैं। भारत में अप्रैल से मार्च का वित्तीय वर्ष चलाने की शुरुआत 1867 में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान की गई थी। आखिर क्यों कैलेंडर इयर को ही फाइनैंशल इयर बनाना चाहते हैं पीएम? इसका सीधा जवाब भारत की जीडीपी में कृषि के 15 प्रतिशत से ज्यादा योगदान के कारण किसानों को पफायदा देना भी हैै। वहींै अकाउंटिंग पीरियड में बदलाव से जून और सितंबर में पड़ने वाले सूखे को देखते हुए कृषि क्षेत्र के लिए बेहतर आवंटन हो सकेगा। हालांकि बजट की तारीख में बदलाव के साथ-साथ भारत को टैक्स असेसमेंट इयर पर भी फिर से काम करना होगा। इसके अलावा टैक्स इन्फ्रस्ट्रक्चर को फिर से संगठित करना होगा जिसमें संभवतः संसद सत्र की टाइमिंग में भी बदलाव करना शामिल हो। हालांकि इससे टैक्स पेमेंट शेड्यूल पर असर नहीं पड़ेगा।
जीएसटी भी बड़ी चुनौती
अगर मोदी सरकार फाइनैंशल इयर को बदलती है तो जीएसटी की वजह से जटिलताएं भी बढ़ जाएंगी। इस साल जीएसटी को लागू करने की योजना है। फर्म्स और सरकारी विभाग अभी जीएसटी के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं। फाइनैंशल इयर बदलने से उसके मुताबिक जरूरी बदलावों को अपनाना और ज्यादा मुश्किल हो सकता है। इस बदलाव का कुछ राज्य यह तर्क देकर विरोध भी कर तहे हैं कि इससे प्रशासन और जनसंसाधन का बहुत ज्यादा समय इस कसरत के नाम पर जाय होगा, वह भी उस समय जब जीएसटी लागू होने वाली है और योजनागत और गैर योजनागत खर्चों का विलय हो चुका है।
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