मंगलवार, 2 मई 2017

फिर संकट में पड़ी केन-बेतवा परियोजना!

विलंब पर उमा ने वन्यजीव समिति के सिर फोड़ा ठींकरा
नई समिति ने भी सरकार के तर्को पर पर उठाए सवाल
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना के तहत ऐतिहासिक मुहाने पर पहुंचने के बाद केन-बेतवा परियोजना पर फिर से संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। मसलन हरित पैनल की मंजूरी के बावजूद नई वन्यजीव व पर्यावरण समिति ने भी सरकार के तर्को पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिये हैं।
दरअसल देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या से निपटने की दिशा में मोदी सरकार की 9393 करोड़ रुपए की केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को गत फरवरी में ‘हरित पैनल’ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती इसलिए उत्साहित थी कि अब जल्द ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अंतिम मंजूरी मिलते ही इस योजना की शुरूआत अप्रैल या मई तक शुरू कर दी जाएगी, क्योंकि आमतौर पर हरित पैनल की सिफारिशों पर समिति अपनी मंजूरी देती है। इस उम्मीद के विपरीत नई वन्यजीव एवं पर्यावरण समिति ने भी इस परियोजना पर सवाल खड़े करके रोड़ा अटकाना शुरू कर दिया है। समिति की इस अडचन से आहात सुश्री उमा भारती ने इस परियोजना में विलंब के लिए फिर से वन्यजीव समिति को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दो राज्यों के बुंदेलखंड इलाके के सूखे को खत्म करने वाली केन-बेतवा परियोजना की शुरूआत हेतु सरकार मामले को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों प्रदेशों के बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो सके।
क्या है परियोजना
देश में केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और पेयजल की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझते बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों को फायदा करने वाली इस परियोजना के दायरे में 13.42 लाख जनसंख्या को 49 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल की उपलब्धता से प्यास भी बुझेगी। मंत्रालय के अनुासर इस परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस परियोजना से जहां मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं पन्ना जिले की 3,69,881 हेक्टेयर भूमि, तो वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा व झांसी जिले की 2,65,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमत में वृद्धि होगी, जिसमें झांसी जिले की 6,35,661 हेक्टेयर कृषि भूमि भी शामिल है। मध्य प्रदेश के प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे, जिसमें पांच आंशिक रूप से और 7 गांव पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे। वहीं केंद्र सरकार इन परियोजनाओं में पेयजल के अलावा सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, कृषि उत्पाद और उनके बाजार सहित देश की कृषि भूमि का विस्तृत अध्ययन को आधार बना रही है।
वन्यजीव समिति का तर्क
केन-बेतवा परियोजना को लेकर इस स्वतंत्र वन्य जीव समिति का तर्क है कि परियोजना से हजारों लोगों के घर तबाह हो जायेंगे और सैंकड़ों गिद्धों का आसियाना उजड़ जायेगा। जबकि उमा भारती पहले ही भरोसा देकर तर्क दे चुकी है कि इस परियोजना से जहां लाखों लोगों को फायदा हो रहा है वहां प्रभावित लोग दूसरे स्थानों पर शिμट करने के लिए तैयार हैं। हालांकि उमा यह मानती हैं कि यह विवाद उनके और वन-पर्यावरण मंत्रालय का नहीं है। सरकार का कहना है कि यह समिति एनजीओ के तहत स्वतंत्र रूप से गठित की जाती है, जो मौके पर हो चुकी जनसुनवाई और सरकार द्वारा पुनर्वास और आर्थिक रूप से प्रभावित लोगों को भूमि देने जैसी योजनाओं के लिए 213.11 करोड़ रुपए की वित्तीय बजट का आकलन कर चुकी है।
रडार पर तीस परियोजनाएं
केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि यह परियोजना लाखों लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने वाली है जिसमें देरी करना ठीक नहीं है। उमा का कहना है कि इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों प्रदेशों के बुंदेलखंड क्षेत्र में बढ़ती गर्मी के कारण पानी की कमी, फसल खराब होने एवं अन्य कारणों से दिल्ली और अन्य महानगरों में पलायन करने को मजबूर होना पड़ता है, इसलिए केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि इस परियोजना के शुरू होते ही देश में विभिन्न नदियों को आपस में जोड़ने की 30 और परियोजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा।
03May-2017

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