सोमवार, 1 मई 2017

भारत को ई-वाहनों का देश बनाने की तैयारी

सरकार इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को देगी बढ़ावा
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करके यातायात व्यवस्था के माहौल को दुरस्त करने की दिशा में केंद्र सरकार की योजनाओं में जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए सड़कों पर चलने वाले वाहनों के प्रदूषण पर अंकुश लगाना भी प्राथमिकता है। इसलिए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है।
केंद्र सरकार का देश में ई-वाहन को बढ़ावा देने के लिए वाहनों की परिचालन लागत तथा ईंधन आयात मूल्य में कमी लाने के उद्देश्य है, जिसके लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करने पर बल दिया जा रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इसके लिए अन्य मंत्रालयों के साथ भी समन्वय बना रहे हैं। यही कारण है कि केंद्रीय विद्युत मंत्री पीयूष गोयल ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिये हैं। महाराष्ट्र में ई-बसों को पायलट परियोजना के तहत चलाया भी जा रहा है और पिछले साल संसद भवन में भी सांसदों के लिए एक इेलेक्ट्रिक बस की व्यवस्था की गई है। ई-वाहन को बढ़ावा देने का मकसद देश में वाहनों के प्रदूषण को खत्म करना है।
मेकओवर की तैयारी
मोदी सरकार अब एक बड़े मेकओवर की तैयारी में है। मसलन जल्द ही आने वाले समय में सरकार देश में पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कारों को प्रतिबंधित कर सकती है, जिनके स्थान पर सरकार ई-कारें चलाने की बड़ी योजना पर काम कर रही है। सरकार ये कदम बढ़ते तेल खर्च और कार कीमतों की बेहताश वृद्धि को देखते हुए इस योजना पर काम कर कर रही है। यहां सीआईआई की एक सालाना बैठक के दौरान केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने ऐसे संकेत दिये हैं, जिसके तहत उन्होंने कहा कि सरकार एक बहुत बड़े तरीके से इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को पेश करने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहन पेश करने की योजना पर काम कर रही हैं। उनके मंत्रालय ने जिस प्रकार बिजली बचत का अभियान चलाया है उसी प्रकार से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को उजाला की तरह ही आत्मनिर्भर बनाने की योजना पूरी तरह से तैयार है और देश में वर्ष 2030 तक सड़कों पर खासकर इलेक्ट्रिक कारे ही दौड़ती नजर आएंगी।

वाहन उद्योगों का सहायता
केंद्र सरकार जिस प्रकार से ई-वाहनों के लिए वाहन उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही है उसके तहत सरकार चाहती है कि वर्ष 2030 तक देश में एक भी पेट्रोल या डीजल कार की बिक्री नहीं होनी चाहिए। इसके बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि शुरू में सरकार 2-3 सालों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग को हब बनाकर इसे स्थिर करने में मदद कर सकती है। देश में मारुति कार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की इस सबसे बड़ी कार कंपनी की शुरू में मदद की जिससे अंतत: देश में विशाल आॅटोमोटिव उद्योग की नींव पड़ी। मारुति ने इस बार 30 प्रतिशत से अधिक मुनाफा कमाया है। गोयल के अनुसार केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय व नीति आयोग भी इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए एक नीति पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि ई-वाहन में लागत भी कम आएगी और लोगों में इलेक्ट्रिक वाहन की प्रभावी लागत को देखते हुए खरीदने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा। यानि कम कीमत की इलेक्ट्रिक कारें खरीदना पसंद करेंगे, क्योंकि ये उनके बजट के अंदर ही मिल जाएगी।
02May-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें