मंगलवार, 16 मई 2017

कानूनों में बदलाव से बढ़ी श्रमिकों की सुरक्षा

तीन साल में हुई श्रमिकों के हित में अनेक पहल
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने इन तीन सालों में 44 श्रम कानूनों को एकीकृत करके श्रमिकों की सुरक्षा को पुख्ता करने का दावा किया है। मोदी सरकार ने इन तीन सालों में श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय करने के अलावा अन्य सुविधाएं देने के साथ सामाजिक सुरक्षा के दायरे को भी बढ़ाया है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में अपने मंत्रालय की
उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकता रोजगार की सुरक्षा, मजदूरी सुरक्षा और समाजिक सुरक्षा सहित समावेशी विकास करना है। मंत्रालय ने देश में सभी क्षेत्रों के कामगारों के कल्याण के लिए जनधन योजना योजना के तहत 15 करोड़ से भी अधिक बैंक खाते खोले गये हैं और जीवन छत्र, पेंशन सहित समेत करीब 10 करोड़ से अधिक रुपे डेबिट कार्ड भी जारी किए गए। उनका कहना है कि श्रमिकों को रसोई गैस में सब्सिडी और उज्जवला योजना के तहत श्रमिकों की महिलाओं को गैस सिलेंडर भी दिये गये हैं।
प्राथमिकता में रोजगार सृजन 
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने रोजगार सृजन को प्राथमिकता में रखते हुए लगभग 3.78 करोड़ उम्मीदवारों, 14.8 लाख स्थापनाओं से अधिक एनसीएस पोर्टल पर पंजीकृत कराए है, जिसके जरिए 4.65 लाख रिक्तियां भी भरी गई हैं। रोजगार सृजन की दिशा में केंद्र सरकार ने हाल ही में सरकारी रिक्तियों का एनसीएस पोर्टल पर डाला जाना अनिवार्य किया है। इस परियोजना में स्तरीय रोजगार मुहैया कराने हेतु 100 मॉडल कैरियर केन्द्रों तक गठन का प्रावधान है और ये केन्द्र राज्यों और संस्थानों के सहयोग से गठित किए जा रह हैं। वहीं पिछले वर्ष के दौरान देशभर में 540 रोजगार मेलों का आयोजन किया गया।

श्रमिकों के हित में कानून
मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार के तीन साल के दौरान श्रम संहिताएं 44 श्रम कानूनों एक माला में पहनाने के अलावा बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम, आदर्श दुकान एवं प्रतिष्ठान विधेयक, बोनस संदाय संशोधन अधिनियम, प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) अधिनियम, कर्मचारी प्रतिकर (संशोधन) विधेयक, मजदूरी संदाय (संशोधन) अधिनियम के अलावा औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम को उच्च प्राथमिकता के साथ अंजाम दिया गया है।
न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि
श्रम मंत्रालय की योजनाओं के तहत कई अन्य प्रशासनिक निर्णय और पहल करके देश में विमुद्रीकरण के बाद वित्तीय समावेशन अभियान के तहत 70 लाख एकाउंट खोले गए तथा 1.5 लाख शिविर आयोजित किये गए। केन्द्रीय क्षेत्र के सभी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी की बुनियादी दर में पहली बार 42 फीसदी बढ़ोतरी की गई। वहीं विभिन्न श्रम कानूनों के अंतर्गत बनाए जाने वाले रजिस्टरों/फॉर्मों का सरलीकरण करते हुए 55 रजिस्टरों की प्रक्रिया को केवल 5 रजिस्टरों तक सीमित किया गया है। ऐसी ही महत्वपूर्ण योजनाओं के तहत श्रमिकों के हित में परिशोधित एनसीएलपी स्कीम, बंधुआ श्रमिकों का पुनर्वास, परिशोधित एकीकृत आवास स्कीम, प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना जैसे कदम उठाए गये हैं।
17May-2017

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