रविवार, 7 मई 2017

प्रशिक्षित चालकों को ही मिलेगा लाइंसेस

केंद्र सरकार खोलेगी 100 प्रशिक्षण केंद्र
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में सुरक्षित यातायात व्यवस्था को अंजाम देने के प्रयास में जुटी केंद्र सरकार ने फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालो पर शिकंजा कसने के इरादे से यातायात नियमों में बदलाव कर दिये हैं, जिसमें अब प्रशिक्षित चालकों को ही ड्राविंग लाइसेंस दिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही यातायात नियमों में ऐसे बदलाव करके अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत फर्जी लाइसेंस धारक सरकार के रडार पर होगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंसों को नेशनलन पोर्टल से जोड़ना शुरू कर दिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचना के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया आॅनलाइन की गई है, लेकिन वहीं ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों को मान्यता प्राप्त ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र के प्रमाणपत्र जैसा दस्तावेज भी प्रस्तुत करना होगा। इसके बावजूद लर्निंग के बाद ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिए यातायात नियमों संबन्धी परीक्षा के दौर से भी गुजरना होगा। जहां तक चालकों के प्रशिक्षण का सवाल है उसके लिए केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने केंद्रीय कौशल विकास मंत्रालय के साथ हाल ही में संपन्न हुए भारत एकीकृत परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स सम्मेलन में समझौता भी किया है, जिसके तहत चालकों के कौशल विकास के लिए देशभर में विभिन्न राज्यों में 100 प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री राजीव प्रताप रूडी की मौजूदगी में हुए इस करार पर रूडी ने कहा कि सरकार ड्राइवरों को कौशल प्रदान करने और उन्हें ढेरों अवसरों के लिए तैयार करने के लिए 100 ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करेंगे।
केंद्रों को मिलेगा अनुदान
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और कौशल विकास मंत्रालय के बीच मोटरवाहन, निर्माण और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्रों में किये गये करार का मकसद देश में प्रामाणिक कॉमर्शियल ड्राइवरों की बढ़ती मांग की पूरा करने और चालकों के कौशल विकास क्षमता को बढ़ाना है। इस दिशा में चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए 100 प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जाएगी। इस करार के तहत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देश में स्थापित होने वाले 100 प्रशिक्षण संस्थानों में हरेक के लिए एक करोड़ रुपए का अनुदान देगा। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय भी प्रशिक्षण अवधि के दौरान मजदूरी के नुकसान की भरपाई के लिए प्रशिक्षुओं को अध्येता प्रदान करने के लिए बजट आवंटित करेगा। हर प्रशिक्षु को पूरी प्रशिक्षण अवधि के दौरान 15 हजार रुपए की छात्रवृत्ति भी दी जाएगी, जो सीधे आधार से जुड़े प्रत्यक्ष अंतरण आधार पर प्रशिक्षुओं के खातों में अंतरित होगी। 
ड्राइविंग स्कूल के नियम सख्त
केंद्रीय सड़क मंत्रालय द्वारा जारी नए यातायात नियमों के तहत ऐसे ड्राइविंग लाइसेंस प्रशिक्षण केंद्र को ही मान्यता दी जाएगी जो नए नियमों पर खरा उतरेगा। मसलन इसके लिए परिवहन विभाग से लाइसेंस, प्रशिक्षण देने के लिए मोटर इंजीनियरिंग की योग्यता, वाहन सिखाने के लिए पांच साल कॉमर्शियल वाहन चला चुके अनुभवी चालक, खुद का एक वाहन होना जरूरी है। यही नहीं केंद्र में वाहन में दोहरे नियंत्रण की सुविधा के अलावा प्रशिक्षण के लिए आवश्यक मॉडल संकेत, यातायात चिन्ह, वाहन के सभी पार्ट्स के ब्योरे वाला चार्ट लगा हो। मोटरयान का इंजन, गियर बॉक्स, टायर लिवर, पंक्चर किट, व्हील ब्रेस, जैक, स्पैनर, परिसर में आपातस्थिति के लिए उपचार पेटिका, परिसर में ट्रैफिक संकेतकों युक्त ट्रैक जैसी सुविधा होना जरूरी किया गया है।

निजी स्कूलों में बड़ी खामियां
केंद्र सरकार ने परिवहन विभागों के निरीक्षण में पाया है कि देश में निजी ड्राइविंग सिखाने वाले स्कूलों में अत्यंत खामियां हैं, जहां मोटी रकम वसूलने वाले परिवहन विभाग के नॉर्म नहीं पूरे करते। किसी भी ड्राइविंग स्कूल में न तो ट्रैक हैं और न एक्सपर्ट ही नजर आते हैं। सीखने वालों को सीधे भीड़भाड़ वाली सड़क पर उतार दिया जाता है। छह महीने में परिवहन अधिकारी की ओर से चैकिंग का प्रावधान होने के बाद भी साल-साल तक नहीं पहुंचते। कुछ स्कूल संचालक तो बिना प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। खासकार कॉमर्शियल वाहनों को चलाने के लिए लाइसेंस आवेदन के साथ ड्राइविंग स्कूल का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया गया है, लेकिन एक भी ड्राइविंग स्कूल स्तरीय न होने से हादसों की संख्या पर लगाम नहीं लग पा रही है। यही नहीं सिविल लाइंस स्थित आरटीओ कार्यालय अभी किराए के भवन में संचालित है। वहां ड्राइविंग लाइसेंस से पहले टेस्ट देने के लिए कोई ट्रैक का निर्माण नहीं किया गया है। परिसर में कार चलाकर टेस्ट लिया जाता है। ट्रैक 8 की तरह बनाया जाना चाहिए। आरटीओ कार्यालय में कार को स्टार्ट कर थोड़ा सा भी चलाने और ठीक तरीके से रोक कर दिखाने पर ही एलएमवी लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं।
नियमों की जानकारी है अधूरी
देशभर में अधिकतर सड़क हादसों में प्रमुख वजह ड्राइविंग में चूक सामने आ रही है। देश के विभिन्न शहर में चालकों को प्रशिक्षण करने के लिए 27 ड्राइविंग स्कूल हैं। ड्राइविंग टेस्ट में पास होने वाले चालक भी गलत ड्राइविंग कर रहे हैं। परिवहन विभाग में रोजाना 55 से 60 लोग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट देने पहुंचते हैं। वाहन चलाते समय ट्रैफिक नियमों का पालन न करने पर रोजाना 25 से 30 लोग फेल हो जाते हैं। यही कारण है कि लाइसेंस के लिए टेस्ट देने वाले 60 में से 30 लोग रोज हो रहे फेल हो रहे हैं। इसका कारण लर्निंग लाइसेंस लेने वालों में भी रोजाना ही यातायात नियमों की जानकारी के अभाव में फेल हो जाते हैं। लर्निंग लाइसेंस लेने वालों के लिए यातायात नियमों से संबंधित 10 सवालों का टैब पर आॅनलाइन जवाब देना होता है।
08May-2017

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