रविवार, 14 मई 2017

चीन की जद में तैयार हुआ देश का सबसे लंबा पुल

26 मई को पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
चीन की सीमा को लगभग छूते हुए भारत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए गये सबसे लंबे पुल अरुणाचल और असम के सड़क संपर्क मार्ग को आसान बनाने को तैयार है। इस पुल का उद्घाटन 26 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
असम में चीन की सीमा के बेहद नजदीक ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंगा 9.15 किमी पुल बनकर तैयार हो चुका है, जो अरुणाचल प्रदेश और असम के सड़क संपर्क मार्ग के सफर को आसान करेगा। ब्रह्मपुत्र नदी पर 950 करोड़ रुपये लागत से तैयार सबसे लंबे ढोला-सादिया पुल को आवागमन के लिए 26 मई को शुरू कर दिया जाएगा, जिसका उद्घाटन करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी केंद्र सरकार के तीन साल के जश्न की शुरूआत भी करेंगे। खास बात यह है कि यह पुल सामरिक रूप से भी इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा कि इस पुल के निर्माण को चीन की सीमा पर भारत की ओर से अपनी रक्षा तैयारियों की मजबूती के तौर पर भी देखा जा रहा है। यानि सैन्य साजो-सामान की सीमा तक पहुंच को आसान बनाने के लिए भी केंद्र सरकार के प्रयासों में से यह एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा यह पुल अरुणाचल प्रदेश और असम के लोगों के लिए सड़क संपर्क को भी आसान बनाएगा।
पुल से होगा ये फायदा
चीन की सीमा के नजदीक असम में ढोला-सदिया पुल बनने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी 4 घंटे कम हो जाएगी। यह पुल गुवाहाटी से 540 किमी दूर सदिया में स्थित है, जिसका दूसरा छोर धोला में है। धोला से अरुणाचल के ईटानगर की दूरी 300 किमी दूर है। वहीं चीनी सीमा से हवाई दूरी 100 किलोमीटर से कम रह गई है। फिलहाल दोनों राज्यों के बीच सड़क संपर्क सीमित है, जिसे अधिकांश लोग नावों के जरिए आवागमन करके पूरा करते आ रहे है और 8 से दस घंटे तक लग जाते हैं, लेकिन ब्रह्मपुत्र के पल-पल बदलते स्तर के चलते खतरे से भरे सफर से अब दोनों राज्यों के लोगों को बड़ी राहत मिलने जा रही है।
सेना की आसान पहुंच
इस पुल के बन जाने से सेना अरुणाचल प्रदेश तक जाने में सक्षम होगी, जिसकी सीमा चीन से लगती है। पुल को इस तरह बनाया गया है कि इस पुल से 60 टन वजन वाले टी-72 टैंक जैसे युद्ध टैंक भी गुजर सकते है। आमतौर पर अरुणाचल प्रदेश में सेना तिनसुखिया से प्रवेश करती है, जो असम में गुवाहाटी से 186 किमी दूर है। अब तक यहां कोई ऐसा पुल नहीं था, जिससे टैंक भी गुजर सकें। ऐसे में सेना को तेजपुर से सीमा पर पहुंचने में दो दिन लगते थे।लेकिन अब यह राह आसान होगी।
अभी तक ये था सबसे लंबा पुल
देश में अब तक मुंबई में बने बांद्रा-वर्ली सी-लिंक देश का सबसे बडा पुल था। चीन सीमा पर असम में बनाया गया यह पुल बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 3.55 किमी यानि 30 फीसदी ज्यादा लंबा होगा। इससे पहले बिहार के पटना में गंगा नदी पर बने 5.57 किमी लंबे महात्मा गांधी सेतु को देश के सबसे लंबे ब्रिज का दर्जा हासिल था। पुल का काम दिसंबर 2015 में पूरा हो जाना था, लेकिन समय बढ़ने से इसकी लागत भी बढ गई। पहले इसे 876 करो़ड़ में बन जाना था, लेकिन देरी के कारण इसकी लागत बढ़कर करीब 938 करोड़ रुपए हो गई।

सात साल में हुआ निर्माण
देश के सबसे लंबे पुल निर्माण की परियोजना यूपीए शासनकाल के दौरान वर्ष 2010 में शुरू हुई थी, जो सात साल बाद पूरा होने के बाद आवागमन के लिए तैयार है। करीब 950 करोड़ रुपए से बने इस पुल का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। इस पुल के डिजाइन को ऐसा बनाया गया है, जिससे मिलिट्री टैंक्स की आवाजाही आसान हो। पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किलोमीटर दूर और अरूणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर से 300 किलोमीटर दूर है. चीनी सीमा से हवाई दूरी 100 किलोमीटर से कम है।
चुनौती से कम नहीं था निर्माण
केंद्रीय सड़क मंत्रालय के अनुसार चीन सीमा के नजदीक ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल का निर्माण किसी चुनौती से कम नहीं था, जहां लगातार बदलते जलस्तर के चलते ब्रह्मपुत्र में पुल के लिए पीलरों को खड़ा करना इंजीनियरों के लिए चुनौती के रूप में सामने आता रहा। वहीं ठंड के दिनों में जहां इसका फैलाव 0.5 किमी होता है, वहीं बारिश के दिनों में यह बढ़कर 12 किमी तक हो जाता है। निर्माण के दौरान पानी में डूबी दो क्रैन अब भी निकालनी बाकी है। वर्ष 2012 में आई बाढ़ में तो पूरी कंस्ट्रक्शन साइट की साफ हो गई थी। तब छह से आठ महीने तक काम ठप भी रहा है।
15may-2017

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