बुधवार, 10 मई 2017

सपा परिवार में दंगल-3 की सुगबुगाहट तेज

नये दल बनने के संकेत से पार्टी टूटने के कगार पर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव की आहट हो चुकी है और समाजवादाी पार्टी की परिवारिक अंतर्कलह समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। सपा परिवार में पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश से पद छोड़कर मुलायम को देने की मांग को लेकर सपा विधायक शिवपाल यादव द्वारा नई पार्टी के ऐलान करके जहां पार्टी के टूटने के संकेत दे दिये हैं, वहीं सपा में दंगल के तीसरे चरण की सुगबुगहाट भी तेज हो गई है।
यूपी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की करारी हार के बाद से ही सपा कुनबे में अंदरुनी कलह की संभावनाएं बढ़ने लगी थी, लेकिन दो धड़ो में बंटी सपा में अब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर घमासान होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल यूपी विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर सपा परिवार की अंतर्कलह के दौरान चुनाव आयोग के हस्तक्षेप से पार्टी की कमान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में आ गई थी, जिसमें उन्होंने सपा अधिवेशन के प्रस्ताव के तहत मुलायम सिंह यादव को संरक्षण भी बनाया था। सपा के दंगल के दूसरे हिस्से में जनवरी माह में पार्टी के अध्यक्ष बने अखिलेश ने पिता के सम्मान में तीन माह का समय मांगा था और कहा कहा था कि कि विधानसभा चुनावों के बाद वह पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को सौंप देंगे। इसी वादे को याद दिलाते हुए चाचा शिवपाल के अलावा मुलायम परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भी समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को सौंपने की वकालत की। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर मचे इस घमासान में इसलिए भी पार्टी के टूटने के आसार बने हुए हैं कि चाचा शिवपाल यादव ने ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ बनाने का भी ऐलान कर दिया है, हालांकि मुलायम सिंह की ओर से अभी हरी झंडी नहीं दी गई और उनकी तटस्थ भूमिका में इस बात को लेकर भी संशय बना हुआ है कि उनकी भूमिका सपा के संरक्षक या फिर नए मोर्चा में होगी?
लोस चुनाव अगला लक्ष्य
अखिलेश यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़ने की मांग को लेकर फिर से यह घमासान इसलिए भी तूल पकड़ रहा है कि पिछले दिनों सपा की राज्य कार्यकारिणी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व के प्रति आस्था जताते हुए पार्टी के विस्तार और भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरूद्ध संघर्ष का संकल्प लिया। सपा के वजूद को मजबूत करने के लिए प्रदेशभर में सपा का सदस्यता अभियान गांव-गांव तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया। इसका मकसद अब अखिलेश के निशाने पर लोकसभा चुनाव-2019 रहेगा। शायद विधानसभा चुनाव में करारी हार के कारण फिलहाल स्थानीय निकायों चुनाव से अखिलेश को इतनी उम्मीद नहीं है।
ऐसी संभावनाएं भी बरकरार
सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यदि पार्टी की कमान पिता मुलायम सिंह को सौंपते भी हैं तो उससे पहले उनके खिलाफ नई पार्टी के रूप में समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने की धमकी देने वाले चाचा को अनुशासनहीनता जैसे आरोप लगाकर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। इसलिए सपा में जारी अंतर्कलह को खत्म करने के मुलायम के जारी प्रयासों पर पानी फिर सकता और यह घमासान सड़को पर आ सकता है।
स्थानीय निकाय चुनाव पर नजर
उत्तर प्रदेश के आने वाले समय में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर मुलायम सिंह यादव पार्टी के सियासी भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उनकी नाराजगी बेटे अखिलेश पर देखते बनती है, जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा गठबंधन पर भी नाराजगी जताते हुए कांग्रेस पर अपनी बर्बादी का ठींकरा तक फोड़ा है। पार्टी के भविष्य को लेकर इसे खड़ा करने वाले मुलायम सिंह यादव की चिंता जायज है, जिसमें सपा कुनबे को एकजुट रखना उनके लिए बड़ी चुनौती है। सपा सूत्रों की माने तो मुलायम चाहते हैं कि स्थानीय निकाय के चुनाव में एकजुटता के साथ पार्टी को आगे बढ़ाया जाए।
11May-2017

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