सोमवार, 15 मई 2017

पैकटबंद खाद्य पदार्थो पर होगा स्पष्ट ब्यौरा!


पेय पदार्थो की बोतलों से लेबल हटाने की तैयारी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने ऐलान किया कि पेय पदार्थो की बोतलों खासकर प्लास्टिक बोतल से लेबल हटाए जाएंगे और बोतलों पर ही आईएसआई मार्का, एमआरपी, एक्सपायरी तिथि जैसे विवरण गोदने की योजना है। वहीं खाद्य पदार्थो के बंद पैकेटों पर इस प्रकार के ब्यौरे बड़े-बड़े अक्षरों में प्रकाशित करने के दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को यहां मोदी सरकार के तीन साल में अपने मंत्रालय की उपलब्धियों का बखान करते हुए इस ऐलान करने की वजह भी बताई। उनका कहना है कि खाद्य पदार्थो के पैकेटों पर शुद्धता की पहचान आईएसआई, उसकी कीमत, मात्रा, एक्सपायरी तिथि जैसे सभी विवरण बड़े-बड़े अक्षरों में छापने के दिशा निर्देश दिये जा चुके हैं, क्योंकि बहुत ही महीन अक्षरों में उपभोक्ता उन्हें पढ़ नहीं सकता है। जहां तक शीतल पेय पदार्थो या पानी की प्लास्टिक की बोतलों से लेबल हटाने की योजना का सवाल है उसमें लेबल बदलने की आशंका को खत्म करना है, क्योंकि प्लास्टिक की बोतल एक ही बार उपयोग होनी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले साल 230 लाख टन गेंहू की खरीद की थी और मौजूदा सीजन में अब तक 270 लाख टन की खरीद की जा चुकी है, जिसका लक्ष्य 300 लाख टन गेंहू खरीद करने का है। उन्होंने कहा कि छत्तसीगढ़ और उड़ीसा में खरीद व्यवस्था पहले से ही पुख्ता हैं।
नियंत्रण में हैं खाद्य पदार्थों की कीमतें
केंद्रीय मंत्री पासवान ने संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में दावा किया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें बिल्कुल नियंत्रण लगातार नियंत्रण में हैं और पिछले साल की तुलना में करीब 22 जरूरी खाद्य पदार्थ सस्ते हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा गेहूं, चावल और तेलों के दाम भी नियंत्रण में हैं। चीनी मिलों का अस्तित्व बचाए रखने के लिए चीनी की कीमत जरूर घटती-बढ़ती रही है। कीमतों के बारे में उन्होंने एक मई 2014 से तुलना करते हुए खाद्य पदार्थो के दामों की कीमतों को जिक्र करते हुए दावा किया कि केंद्र सरकार ने खाद्य पदार्थो पर लगतार नियंत्रण बनाए रखा है।
गन्ना बकाया का भुगतान
सरकार का दावा है कि पिछले पांच चीनी मौसमों के दौरान चीनी की घरेलू खपत की तुलना में निरंतर सरप्लस उत्पादन के कारण चीनी की कीमतें कम रहीं, जिसके चलते पूरे देश में चीनी उद्योग में वित्तीय प्रवाह कम रहा और गन्ना बकाया बढ़ गया। इसकी वजह से चीनी मौसम 2014-15 में अखिल भारतीय स्तर पर गन्ना मूल्य बकाया 15 अप्रैल 2015 की स्थिति के अनुसार सर्वाधिक 21,837 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। इस स्थिति पर काबू पाने के उद्देश्य से सरकार ने कई उपाय किए। इन उपायों के फलस्वरूप चीनी मौसम 2014-15 के लिए किसानों को देय बकाया का 99.33 फीसदी और चीनी मौसम 2015-16 के लिए 98.21 फीसदी भुगतान किया जा चुका है।
भारतीय खाद्य निगम में सुधार
उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल के भंडारण के लिए भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकारों सहित अन्य एजेंसियों द्वारा जन-निजी-भागीदारी पद्धति पर स्टील साइलो के रूप में 100 लाख टन भंडारण क्षमता बनाने की योजना शुरू की है। यह निर्माण 2019-20 तक तीन चरणों में किए जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में 36.25 लाख टन अनाज के भंडारण के लिए साइलो आॅपरेटरों के चयन के लक्ष्य के सापेक्ष 37.50 लाख टन अनाज के लिए आॅपरेटरों को चिह्नित किया गया है।
आॅनलाइन हुए एफसीआई डिपो
भारतीय खाद्य निगम के गोदामों के सभी प्रचालनों को आॅनलाइन करने तथा डिपो स्तर पर लीकेज को रोकने और कार्यों को स्वचलित करने के उद्देश्य से मार्च 2016 में 27 राज्यों में पायलट आधार पर 31 डिपुओं में डिपो
आॅनलाइन प्रणाली शुरू की गई थी। वर्तमान में भारतीय खाद्य निगम के 510 डिपुओं में आॅनलाइन प्रणाली लागू कर दी गई है।

लेवी प्रणाली हुई समाप्त
पासवान ने कहा कि सरकारी एजेंसियों द्वारा खोले गए खरीद केन्द्रों के माध्यम से किसानों से धान की सीधी खरीद किसानों के लिए अधिक लाभदायक मानी गई, इसलिए केंद्र सरकार ने खरीफ मौसम 2015-16 में एक अक्तूबर 2015 से ही लेवी समाप्त कर दी थी। इससे पहले सालों में लेवी प्रणाली के तहत चावल मिल मालिकों और डीलरों से चावल की खरीद प्रत्येक राज्य के लिए अलग से घोषित मूल्य पर की होती रही है और राज्य सरकारे चावल पर लेवी आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के तहत केन्द्र सरकार की प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाई जाती थी।
दालों का प्रर्याप्त बफर स्टॉक
देश में दालों के दामों को लेकर मचती रही अफरा तफरी के सवाल पर पासवान ने कहा कि उपभोक्ताओं के लिए
वाजिब मूल्य पर दालों को उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने उपभोक्ता मामले विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष के माध्यम से पहली बार 15 मई 2017 यानि सोमवार तक 20 लाख टन तक दालों का बफर स्टॉक होने का दावा है। इस बफर स्टॉक में 16.27 लाख टन दालें सीधे किसानों से खरीदी गईं और 3.79 लाख टन दालें आयात की गईं हैं। उन्होंने बताया कि खरीफ मौसम 2016-17 के दौरान 14.71 लाख टन दालों की रिकार्ड खरीद के कारण दलहन की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक लाभ मिला है। दालों की उपलब्धता के लिए इस तरह केप्रयासों से उनका उत्पादन अधिक हुआ और कीमतें वाजिब रहीं जिससे व्यापक स्तर पर उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचा।
किसानों को समर्थन
भारतीय खाद्य निगम ने देश के पूर्वी राज्यों में जहां धान की मजबूरन बिक्री किए जाने और खरीद प्रणाली के निष्प्रभावी होने की शिकायतें प्राय: प्राप्त हो रही थीं, खरीद के लिए विशेष पहल की है। इसके अनुसार भारतीय खाद्य निगम द्वारा उत्तर प्रदेश (विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में), बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम के लिए एक पंचवर्षीयराज्य-वार कार्य-योजना तैयार की गई है, जबकि छत्तसीगढ़ और उड़ीसा में खरीद व्यवस्था पहले से ही पुख्ता है। इनराज्यों में चावल की खरीद को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे इन राज्यों में धान की पैदावार वाले जिलों केकिसानों तक सरकारी खरीद का लाभ पहुंचे।
पूर्वी राज्यों में भी सुधरी स्थिति
पूर्वी राज्यों से खरीफ मौसम 2019-20 के अंत तक 155.93 लाख टन खरीद का लक्ष्य है। खरीफ मौसम2014-15 में इन राज्यों में 53.65 लाख टन की खरीद की गई। इसके मुताबिक भारतीय खाद्य निगम ने खरीफ मौसम 2015-16 में635 खरीद केन्द्र खोले गये, जिसमें निजी सहायता से खोले गए 401 केन्द्र शामिल हैं। वहीं खरीफ मौसम 2016-17 में28 मार्च 2017 की स्थिति के अनुसार 722 खरीद केन्द्र खोले, जिनमें निजी सहायता से खोले गए 459 केन्द्र शामिल हैं,जबकि पिछले मौसम में केवल 141 केन्द्र खोले गए थे। खरीफ मौसम 2015-16 और खरीफ मौसम 2016-17 में(28 मार्च 2017 की स्थिति के अनुसार) क्रमश: 61,841 और 20,063 खरीद केन्द्र खोले गए हैं। भारतीय खाद्यनिगम, राज्य एजेंसियों और निजी एजेंसियों के इन प्रयासों के फलस्वरूप खरीफ मौसम 2015-16 में चावल की खरीदबढ़कर 70.70 लाख टन और वर्तमान खरीफ मौसम 2016-17 में 63.99 लाख टन हो गई है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (नकद)
उन्होंने बताया कि 21 अगस्त 2015 को खाद्य सब्सिडी का नकद अंतरण नियम-2015 अधिसूचित किया गया था जिसके तहत खाद्य सब्सिडी सीधे लाभभोगियों के खातों में जमा की जाती है। वर्तमान में यह योजना चंडीगढ़, पुडुचेरी और दादर एवं नगर हवेली (कुछ शहरी क्षेत्रों में) लागू की जा रही है।
आधार से जोड़े राशनकार्ड 
देश में जाली/अपात्र/नकली राशन कार्डों को समाप्त करने के लिए तथा जरूरतमंद लोगों तक अनाज पहुंचाने के लिए आज सोमवार याहन 15 मई 2017 की स्थिति के अनुसार 77.56 प्रतिशत अर्थात लगभग 17.99 करोड़ राशन कार्ड आधार के साथ जोड़े गए हैं। आधार अधिनियम-2016 की धारा 7 के तहत विभाग ने सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने अथवा नकद अंतरण प्राप्त करने के लिए आधार के इस्तेमाल के संबंध में 8 फरवरी 2017 को अधिसूचना जारी की है।
फर्जी राशन कार्ड निरस्त
सरकार ने राशन कार्डों और लाभभोगियों के रिकार्डों के डिजीटीकरण, आधार सीडिंग के कारण नकली राशन कार्डों की समाप्ति, स्थानातंरण, निवास स्थान परिवर्तन, मृत्यु, लाभभोगियों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप 2.33 करोड़ राशन कार्ड समाप्त कर दिए गए हैं। इससे सरकार ने प्रतिवर्ष लगभग 14 जार करोड़ रुपए की खाद्य सब्सिडी को बेहतर ढंग से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया है।
कैशलैस भुगतान
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डिजिटल/कैशलेस/लेस-कैश भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने गत 7 दिसम्बर 2016 को एईपीएस, यूपीआई, यूएसएसडी, डेबिट/रुपे कार्डों और ई-वॉलेट के इस्तेमाल के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। वर्तमान में 10 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में कुल 50,117 उचित दर दुकानों में डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध है।
अन्य डिजिटल पहलें
दिसम्बर 2016 में ई-कॉमर्स शिकायतों के लिए एक आॅनलाइन उपभोक्ता मध्यस्थता केन्द्र स्थापित किया गया और इसे कार्यरत बनाने की कार्रवाई की जा रही है। दिसम्बर 2016 में ह्यस्मार्ट कंज्यूमरह्ण नामक एक मोबाइल ऐप भी शुरू की गई है। इस ऐप में उपभोक्ता किसी भी पैकबंद वस्तु पर प्रिंट किए गए बार कोड को स्कैन कर उस उत्पाद, कंपनी आदि के बारे में जानकारी ले सकते हैं और शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
16May-2017

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