रविवार, 30 अप्रैल 2017

अब पूरा हो सकेगा घर का सपना!

आज से देशभर में लागू होगा रियल एस्टेट कानून
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
एक मई से देशभर में लागू हो रहे रियल एस्टेट कानून से जहां बिल्डरों व प्रोपर्टी डीलरों पर शिकंजा कसना शुरू हो जाएगा, वहीं घर का सपना संजोए लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। माना जा रहा है कि रेरा कानून देश के रीयल एस्टेट क्षेत्र की तस्वीर बदल देगा।
संसद द्वारा पिछले साल बजट सत्र के दौरान मई में नए रियल एस्टेट यानि भू-संपदा (विनियमन और विकास)
विधेयक को पारित कर दिया गया था, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र में घर का सपना देखने वालों की राह आसान नजर आने लगी थी। इस नए कानून को देशभर में कल एक मई से लागू किया जा रहा है। रियल एस्टेट कानून राज्यों की सूची में शामिल है, इसलिए एक मई से सभी राज्यों को इसे लागू करना है। इसके लिए केंद्र सरकार पहले ही अधिसूचना जारी कर चुकी है। मसलन कल से देशभर में बिल्डरों और प्रोपर्टी डीलरों व एजेंओं पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो जाएगा। यानि इस कानून के लागू होने के बाद 3 महीने के भीतर सभी बिल्डरों और एजेंटों को इसमें पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। रियल एस्टेट कानून राज्यों की सूची में शामिल है। इसलिए एक मई से सभी राज्यों को इसे लागू करना है।
कानून के ये हैं प्रावधान
इस नए कानून के प्रावधानों के तहत सरकार द्वारा गठित विनियामक प्राधिकरण मेेंं बिल्डर को किसी भी परियोजना शुरू करने से उसमें पंजीकरण कराना होगा और उसकी जमीन खरीदने से लेकर अन्य सभी मंजूरी संबंधित दस्तावेज आदि का ब्योरा जमा करना होगा। यही नहीं इसकी जानकारी उपभोक्ताओं के लिए सार्वजनिक होगी, ताकि घर या प्रोपर्टी खरीदने वाले ग्राहक अपनी पसंद की परियोजना का चयन कर सके। इस कानून के तहत बिल्डर को ग्राहकों से ली गई रकम का 70 फीसदी एस्क्रो अकाउंट में डालना होगा, ताकि एक परियोजना की रकम दूसरी परियोजना में ट्रांसफर न की जा सके। यदि कोई बिल्डर इन नियमों का पालन नहीं करता तो उन पर पेनल्टी भी लगाई जा सकेगी। किसी प्रोजेक्ट के लिए खरीदारों से मिला पैसा अब बिल्डर को एस्क्रो अकाउंट में जमा करवाना होगा, जिसकी मंजूरी बिल्डर के इंजीनियर और चार्टड अकाउंटेंट द्वारा ली जाएगी। मसलन अब बिल्डरों यानि डवलपर्स को अब सारी मंजूरी मिलने के बाद ही प्रोजेक्ट बेच पाएंगे। यही नहीं कानून के तहत यदि बिल्डर अपने प्रोजेक्ट में किसी तरह का बदलाव करता है तो उसे खरीदारों की लिखित मंजूरी लेना जरूरी किया गया है।
आज से सक्रिय अथॉरिटी
कानून के प्रावधानों के तहत हरेक राज्य में रेगुलेटरी संस्था और ट्रिब्यूनल बनाए गये हैं, जो बिल्डर और ग्राहक के किसी भी विवाद 120 दिन के भीतर सुलझाएंगे। सभी राज्यों में रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी एक मई से काम करने लगेंगी। इसके बाद 90 दिन के भीतर सभी रियल एस्टेट डेवलपर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स को अथॉरिटी में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। एक मई से डेवलपर्स प्रोजेक्ट्स की प्री-लांचिंग नहीं कर पाएंगे और प्रोजेक्ट लांच करने से पहले उन्हें अप्रूवल्स व एनओसी लेने होंगे। अथॉरिटी के निर्देश की पालन न करने पर अपीलेट ट्रिब्यूनल बिल्डर और प्रॉपर्टी डीलर को जेल तक भेज सकता है। यानि प्रोमोटर्स बिना खरीदार की मर्जी से प्रोजेक्ट के ले आउट में बदलाव नहीं कर पाएंगे।

ग्राहकों को बड़ी राहत
रियल एस्टेट कानून में ग्राहकों के हितों की रक्षा तय की गई, जिसमें बिल्डरों को अपनी परियोजनाएं समय से पूरा करके देना होगा और अलावा कारपेट एरिया की परिभाषा सभी जगह एक जैसी होगी। मसलन अब बिल्डरों को कारपेट एरिया के हिसाब से दाम तय करने होंगे न कि सुपर बिल्ट-अप एरिया से। एक मई से लागू रियल एस्टेट रेगुलेशन और डेवलपमेंट कानून के तहत अब ग्राहकों से सुपर बिल्ट अप एरिया की कीमत नहीं वसूल पाएगा। यानि खरीदार को सिर्फ कारपेट एरिया की कीमत ही देनी होगी। कारपेट एरिया मतलब आपके फ्लैट की दिवारों के भीतर का क्षेत्र। यानि अब बिल्डर सुपर बिल्ट अप एरिया की कीमत नहीं वसूल पाएगा।
30Apr-2017

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