गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

बुंदेलखंड को बड़ी राहत देने की तैयारी!


देशभर के सूखाग्रस्त इलाकों की पटरी पर उतारी योजनाएं
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में गर्मी के दिनों में जल संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने देश के बुंदेलखंड, मराठवाड़ा, कालाहांडी, बोलनगीर तथा कोरापुट जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए व्यापक जल संरक्षण अभियान शुरू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली है, जिसमें सबसे पहले शुक्रवार को यूपी व मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के लिए मध्य प्रदेश के सागर में बंद्री में इस अभियान की शुरूआत की गई ।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने बुंदेलखंड, मराठवाड़ा, ओडिशा के कालाहांडी, बोलनगीर तथा कोरापुट के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए व्यापक जल संरक्षण कार्यक्रम की शुरू करने की तैयारी की है, जिसकी शुरूआत 28 अप्रैल को सागर (मध्य प्रदेश) के बंद्री से की। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना (एनजीएमआईएस) के अंतर्गत कई नई पहल की है। इसका उद्देश्य दबाव वाले ब्लॉकों में भूजल की स्थिति में कारगर सुधार करना, गुण और मात्रा दोनों की दृष्टि से संसाधन को सुनिश्चित करना, भूजल प्रबंधन और संस्थागत मजबूती में भागीदारीमूलक दृष्टिकोण अपनाना है।
बुंदेलखंड का मास्टर प्लान
देश में जल संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए जल संसाधन मंत्रालय ने बुंदेलखंड क्षेत्र में भूजल के कृत्रिम रिचार्ज के लिए मास्टर प्लान बनाया है। यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 1100 परकोलेशन (रिसाव) टैंकों, 14 हजार छोटे चैक डैम व नाला पुश्तों तथा 17 हजार रिचार्ज शॉμट्स की पहचान की है। वहीं मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग दो हजार परकोलेशन टैंको, 55 हजार छोटे चैक डैम/नाला पुश्तों तथा 17 हजार रिचार्ज शॉμट्स की पहचान हुई है। अभियान के तहत भूजल खोज के हिस्से के रूप में उत्तर प्रदेश क्षेत्र के बुंदेलखंड के 11851 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पांच जिलों बांदा, हमीरपुर, जालौन, चित्रकूट और माहोबा में 234 कुएं बनाने का प्रस्ताव है। जबकि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के 8319 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के अंतर्गत छह जिलों में भूजल खोज के लिए 259 कुओं के निर्माण किया जाएगा।
केन-बेतवा जल का उपयोग
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बेतवा तथा गुरसराय नहर, राजघाट नहर, केन नहर प्रणाली, गुंटा नाला डैम तथा उपरी राजघाट नहर के 17,1030 हेक्टेयर को पाटने की योजना का प्रस्ताव है। इस योजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी, जालौन, हमीरपुर, ललितपुर, बांदा जिलों को लाभ मिलेगा। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की राजघाट नहर परियोजना को 68007 हेक्टेयर को पाटने की योजना का प्रस्ताव है। इस योजना से टिकमगढ़, दतिया जिलों को लाभ मिलेगा।
सिंचाई क्षमता बढ़ाना
जल संसाधन मंत्रालय द्वारा सिंचाई अंतर पाटने की योजना (आईएसबीआईजी) तैयार की जा रही है। इसका उद्देश्य सीएडीडब्ल्यूएम कार्य पूरा करना और साथ-साथ तथा सृजित सिंचाई क्षमता (आईपीसी) तथा उपयोग की गई सिंचाई क्षमता (आईपीयू) के बीच खाई को पाटने के लिए नहर नेटवर्क में कमियों को सुधारना, सिंचाई में जल उपयोग क्षमता बढ़ाना और प्रत्येक खेत को जल सप्लाई सुनिश्चित करना तथा जल उपयोगकर्ता संघों को सिंचाई प्रणाली का नियंत्रण और प्रबंधन हस्तांतरित करना है।
महाराष्ट्र में मराठावाडा की योजना
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के निर्देश पर मंत्रालय ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में आईपीसी तथा आईपीयू के बीच 53365 हेक्टेयर को पाटने के लक्ष्य के साथ सात योजनाओं का प्रस्ताव किया है। इस योजना से औरंगाबाद, लातूर, नांदेड़, परभनी, सोलापुर तथा ओस्मानाबाद जिलों को लाभ मिलेगा और इस पर 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मराठवाड़ा के 3727 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है। इस पर 380 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्चा आएगा। मराठवाड़ा क्षेत्र के 9101 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की एक्विफर मैपिंग पूरी हो गई है। 7775 वर्ग किलोमीटर का प्रबंधन प्लान महाराष्ट्र सरकार को सौंपा गया है।
ओडिसा में नौ परियोजना
देश में जल संकट से निपटने के लिए ओडिशा के कालाहांडी, बोलनवीर, कोरापुट यानि केबीके क्षेत्र में पीआईसी तथा आईपीयू के बीच अंतर पाटने के लिए 0.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर करने की 9 परियोजनाओं का प्रस्ताव है। मसलन केबीके क्षेत्र के मलकानगीरी, बोलनगीर, नुआपाड़ा, रायगड़, कालाहांडी तथा बारगढ़ जिलों में 305 कुएं बनाये गये। पीएमकेएसवाई के अंतर्गत केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए केबीके क्षेत्र के 89 जल निकायों को 32 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत और 5739 हेक्टेयर की संभावित क्षमता को पुनर्जीवित करने के लक्ष्य में शामिल किया गया है। ये जल निकाय ओडिशा में 760 जल निकायों के कलस्टर का हिस्सा हैं। इनके लिए 107 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता जारी की गई है।
29Apr-2017

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