मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

बेहतर सुधार की राह पर भारत की अर्थव्यवस्था!

फिक्की-पीडब्ल्यूसी के सर्वे ने किया खुलासा
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश की अर्थव्यवस्था को दुरस्त करने के लिए मोदी सरकार की योजनाएं रंग लाती नजर आ रही है। मसलन अनेक अवरोधक के बावजूद ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत का मैन्युफैक्चरिंग बैरोमीटर आशावाद के माहौल को निरंतर आगे बढ़ा रहा है।
मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के बारे में धारणा सकारात्मक बनी हुई है, जिसमें 85 फीसदी प्रतिभागी इसे भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन की तरह देखते हैं। सर्वे से इसके अब तक के असर और जरूरी कदमों के बारे में भी आइडिया मिला है। एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है इंडस्ट्री 4.0 को अपनाना-इसे बेहतर तरीके से समझें तो यह उत्पादों के जीवन चक्र के समूचे वैल्यू चेन पर नए स्तर का संगठन और नियंत्रण होता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। देश की प्रमुख उद्योग संस्था फिक्की और पीडब्ल्यूसी के ताजा सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा किया गया है कि पिछले वर्षों की तरह इस साल भी कई साहसी, लेकिन अवरोधक सुधारों के बावजूद भारत अर्थव्यवस्था का चमकीला बिंदु बना हुआ है। फिक्की-पीडब्ल्यूसी स्ट्रेटजी ऐंड इंडिया मैन्युफैक्चरिंग बैरोमीटर (आइएमबी) सर्वे के अलावा संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2016 में विश्व अर्थव्यवस्था में महज 2.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है-यह साल 2009 की मंदी के बाद का अब तक का सबसे कम वृद्धि दर है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके कोर सेक्टर के बारे में नजरिया 2016-17 में आशावादी बना हुआ था। सरकार बड़े पैमाने पर नीतिगत सुधारों की तैयारी कर रही है, लेकिन कुल मिलाकर आर्थिक वातावरण अनुकूल बना हुआ है। वैसे तो नोटबंदी से शॉर्ट टर्म के लिए सुस्ती आई है, लेकिन अर्थव्यवस्था की लांग टर्म की संभावनाएं उम्मीदपरक बनी हुई हैं।
आठ फीसदी का उछाल
इस सर्वे के 66 फिसदी प्रतिभागी अगले साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के लिए कुछ हद तक आशावादी थे, जो पिछले वर्ष (58 फीसदी) की तुलना में बड़े उछाल को दशार्ता है। जबकि जबकि 49 फिसदी का यह मानना है कि अगले 12 महीनों में उनका मार्जिन बढ़ सकता है। हालांकि एक बड़े हिस्से का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 से 8 फीसदी के बीच होगी। इसके विपरीत 62 फीसदी प्रतिभागियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में अनिश्चितता जाहिर की है कि यह पिछले साल से 8 फीसदी ज्यादा है। इस सर्वे में आठ प्रमुख सेक्टर की कंपनियों को शामिल किया गया है, जिनमें प्रमुख रूप से आॅटोमोटिव और आॅटो कम्पोनेन्ट्स, केबल्स और ट्रांसफॉर्मर्स, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, केमिकल्स, डाउनस्ट्रीम मेटल्स, पैकेजिंग और प्लास्टिक तथा पॉलीमर्स शामिल रही।
हर क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग के मौके
फिक्की की मैन्युफैक्चरिंग कमिटी के चेयरमैन और डालमिया सीमेंट भारत लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पुनीत डालमिया का कहना है कि सरकार की नीतियों और परियोजनाओं से शहरीकरण, स्मार्ट सिटी, डिजिटाइजेशन आदि क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नए अवसर मिल रहे हैं। उम्मीद है कि पिछले कुछ महीनों में सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों और परियोजनाओं से इस सेक्टर में भी सुधार देखा जा सकेगा। हालांकि सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार दुनिया भर में सबसे तेज वृद्धि दर में से एक हासिल करने जा रही है, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी, ऊंचे ब्याज दर और बिजली की लागत की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गति सुस्त बनी हुई है। हालांकि इन सभी क्षेत्रों पर सरकार सक्रियता से निगाह रखे हुए है और हमें उम्मीद है कि सरकार मांग को बढ़ाने के लिए भारी निवेश करेगी। पहली बार ऐसा हो रहा है कि मैन्युफैक्चरिंग में निजी क्षेत्र का निवेश सरकारी क्षेत्र के मुकाबले पिछड़ रहा है।

जीएसटी होगा बड़ा कदम
देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून को लागू करने की सरकार की नीति भारत में अप्रत्यक्ष कर सुधारों के क्षेत्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। बड़ी संख्या में केन्द्रीय एवं राज्य करों को मिलाकर उन्हें एकल कर यानी जीएसटी का रूप देने से करों की बहुतायत अथवा दोहरे कराधान की समस्या का समाधान बड़े पैमाने पर हो जायेगा और इसके साथ ही ‘एक समान राष्ट्रीय बाजार’ का मार्ग प्रशस्त होगा। उपभोक्ताओं की द्ष्टि से इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा, कि वस्तुओं पर उन्हें अपेक्षाकृत कम कर अदा करना पड़ेगा, जो वर्तमान में लगभग 25-30 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है। यही नहीं, जीएसटी को लागू करने से भारतीय उत्पाद घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बन जायेंगे। विभिन्न अध्ययनों से यह पता चला है कि जीएसटी आर्थिक विकास की गति बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
26Apr-2017

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