गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

जीएसटी कानून की और आसान हुई राह!

राष्ट्रपति ने भी दी जीएसटी के चारों विधेयकों को मंजूरी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार की देश में एक समान कर प्रणाली लागू करने की दिशा में एक जुलाई से जीएसटी कानून लागू करने के लिए हो रहे प्रयासों की राह आसान हो गई है। मसलन गुरुवार को संसद से पारित जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी मुहर लगा दी है।
केंद्र सरकार का प्रयास है कि देश में हर हालत में एक जुलाई से जीएसटी कानून लागू करके एक समान कर प्रणाली की व्यवस्था शुरू कर दी जाए। इसी कवायद में जुटी केंद्र सरकार ने हाल में संपन्न हुए संसद के बजट सत्र में लोकसभा के बाद पिछले सप्ताह ही राज्यसभा में देश की ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था ‘जीएसटी’ को लागू करने वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों यानि केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक (सी-जीएसटी), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक(आई-जीएसटी), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक(यूटी जीएसटी) और माल एवं सेवाकर(राज्यों को प्रतिकर) (एस-जीएसटी) विधेयक को मंजूरी दी थी। संसद से पारित जीएसटी से जुड़े इन चारों विधेयकों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा गया था, जहां से आज गुरुवार को मंजूरी मिल गई। मसलन अब केंद्र सरकार के लिए एक जुलाई से जीएसटी कानून लागू करने की राह और भी आसान हो गई है। अब एक विधेयक को राज्यों से मंजूरी मिलना बाकी है।
एक राष्ट्र-एक टैक्स
देश में एक समान कर प्रणाली की व्यवस्था के तहत जीएसटी कानून लागू होने के देशभर में कारोबारियों को कर चुकाना आसान हो जाएगा। अब जैसे ही इनमें से राज्यों से जुड़े जीएसटी विधेयक को कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी मिल जाती है तो तभी यह कानून देश में लागू किया जा सकेगा। इससे पहले देश में जीएसटी व्यवस्था लागू करने के लिए गठित जीएसटी परिषद ने एक दर्जन से ज्यादा बैठकों में विचार विमर्श करके जीएसटी प्रणाली के लिए विभिन्न नियमों को अंतिम रूप देकर मंजूरी पहले ही दे रखी है। इसी दिशा में राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी के लिए चार दरें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत तय कर नियमों को अंतिम रूप दिया था। मसलन अब इन दरों में वस्तुओं एवं सेवाओं को रखने का काम किया जा रहा है।
सरकार का ये है तर्क
संसद में पारित हुए जीएसटी विधेयकों के बाद केंद्रीय वित्त्त मंत्रालय ने कहा था कि कुछ कारोबारियों की ओर से की गई देरी की मांग के बावजूद भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून को एक जुलाई को ही लागू कर दिया जाएगा और सरकार का यह लक्ष्य पहले से ही तय है, ताकि देश के आर्थिक विकास और राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए इस कर प्रणाली को लागू किया जा सके। दरअसल जीएसटी लागू होने की समय सीमा 15 सितंबर है, लेकिन सरकार एक जुलाई को जीएसटी कानून को हर हालत में लागू करना चाहती है।
ऐतिहासिक आर्थिक सुधार का सबब 
वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अधिया का कहना है कि केंद्रीय और राज्य सरकारें जीएसटी को लाने को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं, उन्होंने कहा कि सिर्फ फर्मों के चलते उस कर को और नहीं टाला जाना चाहिए, जिसके बनने में एक दशक से भी अधिक का समय लगा है। आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार माना जाने वाला जीएसटी कानून दो ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने में समक्ष साबित होगा और करीब 1.3 अरब की अर्थव्यवस्था को एक अप्रत्यक्ष कर के साथ एकल आर्थिक जोन में तब्दील कर देगा।

जीएसटी के प्रमुख फायदे
सरकार के एक जुलाई से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य में संसद और अब राष्टÑपति की मुहर लगते ही रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है। जीएसटी लागू हो जाने पर केंद्र और राज्य स्तर के कई कर के साथ सेस और सरचार्ज मिलकर एक हो जाएंगे। जैसे केंद्र की ओर से लगने वाले प्रमुख अप्रत्यक्ष करों, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, विशेष उत्पाद शुल्क और सेवा कर मिलकर एक हो जाएंगे, वहीं राज्यों की ओर से लगाए जाने वाले प्रमुख अप्रत्यक्ष करों जैसे वैट, विलासिता कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायो को छोड़) और चुंगी मिलकर एक हो जाएंगे। नई व्यवस्था लागू होने के बाद सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि एक सामान पर पूरे देश में एक ही कर होगा।
14Apr-2017

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