शनिवार, 8 अप्रैल 2017

देश में सूखे से निपटने का रोडमैप तैयार



गर्मी में जल संकट से निपटने की तैयारी
सिंचाई के लिए बनाई गई 300 करोड़ की योजना
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में गर्मी के दौरा जल संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार पहले से ही रोडमैप तैयार करने में जुट गई है, ताकि देश में पिछले साल की तरह जल संकट को लेकर हा-हाकार की स्थिति का सामना न करना पड़े। देशभर के लिए जल संकट से निपटने के लिए जहां 1600 करोड़ की योजना तैयार की है, वहीं 300 करोड़ रुपये की सिंचाई योजनाओं पर काम करके किसानों को राहत देने का फैसला किया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में जल संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए मंत्रालय ने नई रणनीतियों और विदेशी तकनीक से जल संरक्षण और जल प्रबंधन को बेहतर बनाने की तैयारी को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए सभी राज्यों से खासकर पानी की बर्बादी यानि वाटर लिकेज को जीरो करने के लिए पत्र लिखकर खासकर पेयजल को सुरक्षित करने पर बल दिया है। दरअसल पिछले साल लगभग आधा देश जल संकट की समस्या का सामना करने के लिए मजबूर नजर आया था। ऐसी स्थिति इस साल गर्मियों में न आए इसके लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती सूखे एवं पेजयल की समस्या से निपटने के लिए पहले से ही तैयारियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है और उन्होंने पिछले सप्ताह ही 15 राज्यों के उच्चाधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए जल संकट संभावित इलाकों की गर्मियों में उत्पन्न होने वाली स्थितियों का आकलन किया। उमा भारती ने अपने मंत्रालय और राज्यों से प्रधानमंत्री की प्राथमिकता के मद्देनजर जल संबन्धी कार्यो को जल्द पूरा करने के दिशानिर्देशों के तहत देशभर में 1600 करोड रूपए की योजना को पटरी पर उतारा है, जिसके लिए जल्द से जल्द ही काम शुरू करने को कहा गया है।
मराठावाडा व बुंदेलखडं पर नजरें
दरअसल पिछले साल मराठावाडा व बुंदेलखंड के साथ कुछ राज्यों में जल संकट को लेकर हा-हाकार मचा रहा था और ट्रेनों के जरिए तक पानी पहुंंचाया गया। केंद्र सरकार की खासतौर पर मराठावाडा और बुंदेलखंड जैसे कुछ खास सूखा आशंकित क्षेत्रों के जल स्रोतों के रखरखाव, संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करने के अलावा सिंचाई योजनाओं के लिए 300 करोड रूपए आवंटित कर जल्द ही काम शुरू करने का फैसला किया है। वहीं झारखंड में उत्तरी कोयला नदी पर अधूरे बांधों के निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने के लिए तेजी से काम करने के दिशानिर्देश जारी कर दिये गये हैं। इसी प्रकार असम में ब्रह्मपुत्र नदी के मांजुली द्वीप में होने वाले कटाव को रोकने के लिए पर्याप्त अनुसंधान एवं विचार विमर्श के बाद वहां 230 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत जल्द कार्य शुरू होगा। जिसमें से 166 करोड़ रुपए से 27 किलोमीटर लंबे तटबंध को मजबूत करना शामिल है। तीन साल में पूरी करने के लक्ष्य में चालू वित्त वर्ष में इस परियोजना पर 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

पहाड़ी इलाकों के जल स्रोतों की सुरक्षा
सुश्री भारती ने इस तैयारी के तहत पहाड़ी इलाकों के पारंपरिक जल स्रोतों को प्राकृतिक आपदाओं एवं जलवायु
परिवर्तन से नुकसान से बचाने की योजना भी बनाई है, ताकि पहाड़ों में रहने वाले लोगो का पेयजल की समस्या के कारण पठारी क्षेत्रों की ओर पलायन रोका जा सके। इसके लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड को निर्देश दिये गये हैं कि हिमालय की जलधाराओं एवं झरनों को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत परियोजना बनाई जाए। इस परियोजना के तहत जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत उत्तर पूर्व के राज्यों को शामिल कर जल्द कार्य प्रारंभ किया जायेगा। वहीं बांधों का डिजाइन में बदलाव करके नदी का बहाव पूरी तरह जारी रखने के साथ पर्यावरण संरक्षण पर जोेर दिया जा
रहा है।
पडोसी देशों की भूमिका
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में जल संबन्धी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में नेपाल और बांग्लादेश जैसे पडोसी देशों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसका कारण है कि भारत और नेपाल के साथ संबन्धों को नदियों के प्रवाह की तरह देखा जा रहा है। मसलन केंद्र सरकार की नजरें पंचेश्वर बांध परियोजना परियोजना पर चल रहे कार्य को और तेजी से करने पर बल दिया गया है। इस परियोजना से 5600 मेगावाट प्रतिवर्ष विघुत उत्पादन होने के साथ परियोजना को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि वह पर्यटन को भी आकर्षित किया जा सके।
09Apr-2017

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