बुधवार, 12 अप्रैल 2017

संसद का बजट सत्र अनिश्चितकालिन स्थगित!

लोकसभा में हुआ राज्यसभा से ज्यादा कामका
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के संपन्न हुए बजट सत्र मेें मोदी सरकार ने कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसलों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है, जिससे देश विकास और आर्थिक सुधार की दिशा में बदलाव महसूस कर सके। बजट सत्र के दौरान शुरू की गई कई नई परंपराओं की शुरूआत के रूप में ऐतिहासिक माने जा रहे बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। इस दौरान राज्यसभा के मुकाबले लोकसभा में ज्यादा कामकाज किया गया।
संसद सत्र के समापन पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि गत 31 जनवरी को संयुक्त सदन की बैठक में राष्टकृपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में दोनों सदनों की हुई 29 बैठकों का आयोजन किया गया। सरकारी और विधायी कार्यो की तुलना की जाए तो लोकसभा में 113.27 प्रतिशत और राज्यसभा में 92.43 प्रतिशत कामकाज आंका गया है।अनंत कुमार ने संसद के बजट सत्र को देश का ऐतिहासिक संसद सत्र करार देते हुए कहा कि पहली बार बजट सत्र को समय से पूर्व 31 जनवरी को शुरू कराया गया और इसके मकसद को भी सरकार ने हासिल किया है। खासबात है कि वर्ष 2017-18 का केंद्रीय बजट एक फरवरी 2017 को सामान्य और रेल दोनों बजटों को एक साथ मिलाकर पेश किया गया, जो एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इस सत्र में कुछ ऐतिहासिक परिवर्तनों से देश में बदलाव की पहल के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी सरकार और सभी दलों के सांसदों श्रेय देते हुए सराहा है, जिसमें संसद ने कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यो को अंजाम तक पहुंचाने में एकजुटता दर्शायी।
लोकसभा में हुआ ज्यादा काम
लोकसभा में हुई 29 बैठकों के दौरान 176 घंटे 39 मिनट की कार्यवाही हुई, जिसमें राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर 10.38 घंटे और केंद्रीय बजट पर 9.58 घंटे और वित्त विधेयक पर 8.41 घंटे की चर्चा होने के बाद पारित हुए। इसके अलावा विभिन्न मंत्रालयों की अनुदानों की मांग पर संबन्धित विनियोग विधेयक के साथ रल की अनुपूरक मांगों जैसे विनियोग विधेयक भी पारित हुए। लोकसभा में पुनरूस्थापित किये गये 24 विधेयकों में से 23 को मंजूरी दी गई। सदन में रेल, कषि एवं किसान कल्याण, रक्षा, गह मंत्रालयों की अनुदन की मांगों पर 28 घंटे से अधिक समय तक चर्चा के बाद उसे स्वीकृति दी गई। लोकसभा में हंगामे के कारण जहां 8.12 घंटे का समय बर्बाद हुआ, वहीं इसकी क्षतिपूर्ति के लिए सदन की कार्यवाही देर रात तक चलाकर 28.40 मिनट अतिरिक्त समय के रूप में चलाई और आवश्यक कामकाज को पूरा कराया गया। हालांकि लोकसभा में कई विधेयक पर सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक अधूरी है। सदस्यों ने प्रश्नकाल के बाद और सभा के औपचारिक कार्य के समापन के बाद शाम को देर तक बैठ कर 541 लोक महत्व के मामले उठाए। सदन में सदस्यों ने नियम 377 के अधीन भी 494 मामले उठाए। इस सत्र के दौरान विभागों से संबद्ध स्थायी समितियों ने 68 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। सभा में सतत विकास लक्ष्यों के बारे में नियम 193 के अधीन अल्पकालीक चर्चा की और यह चर्चा अभी जारी है।

लोकसभा से पीछे रही राज्यसभा
उच्च सदन में लोकसभा के मुकाबले इन 29 बैठकों में केवल 136 घंटे से ज्यादा की ही कार्यवाही चल सकी, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण करीब 14 घंटे का समय बर्बाद हुआ। इसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए हालांकि अतिरिक्त समय के रूप में छह घंटे से कुछ ज्यादा की कार्यवाही ही अमल में लाई जा सकी है। राज्यसभा में सत्र के दौरान कोई नया विधेयक पेश नहीं किया गया, लेकिन पहले से लंबित और लोकसभा से पारित होकर आए कुल 14 विधेयकों पर मुहर लगाई गई। जब कि राज्यसभा में दो विधेयकों को सर्वसम्मिति से वापस लिया गया और लोकसभा से पारित ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक संविधान(संशोधन) विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा गया है। राज्यसभा में 33 निजी विधेयक पेश किये गये और एक को चर्चा के लिए शामिल किय गया, जबकि चार वापस लिये गये। इस सदन में 2020 आवश्यक दस्तावेज पेश किये गये।
13Apr-2017

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