बुधवार, 12 अप्रैल 2017

ऐतिहासिक मिसाल बना संसद का बजट सत्र!

आजाद भारत में पहली बार समय पूर्व शुरू हुई बजट प्रक्रिया
देश के आर्थिक सुधार में जीएसटी कानून की राह तेज
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के इतिहास में पहली बार संसद का बजट सत्र ऐसे ऐतिहासिक फैसले के रूप में मिसाल बना है, जिसमें मोदी सरकार को देश के विकास में वार्षिक बजट प्रक्रिया को समय से शुरू करने में सफलता मिली और वहीं आर्थिक सुधार की दिशा में एक समान कर प्रणाली के रूप में जीएसटी कानून लागू करने की राह को भी संसद ने आसान बना दिया है। बजट सत्र में मोदी सरकार के रेल बजट को आम बजट में समायोजित करने जैसी नई परंपरा वाले कई अन्य फैसलों पर भी संसद ने मुहर लगाकर सभी दलों के सांसदों की साख भी जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बदलती नजर आई है।
संसद के इस बजट सत्र में मोदी सरकार ने अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही कई परंपराओं को इतिहास के पन्नों में समेटकर देश की व्यवस्था बदलने के लिए नई राह का दिशा देने वाले कई ऐसे फैसले लिये जिनसे आजाद भारत में पहली बार संसद ने इतिहास रचा है। पिछले साल जुलाई में मोदी कैबिनेट के देश के विभिन्न राज्यों को आवंटित होने वाले वार्षिक बजटीय प्रावधान को समय से लागू करने की दिशा में आम बजट को वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले संसद की मंजूरी लेने की दिशा में समय से पूर्व यानि 31 जनवरी को बजट सत्र बुलाया, जिसका सकारात्मक नतीजा एक इतिहास के रूप में सामने आया। देश के इतिहास में यह पहला मौका रहा जब संसद ने बजट प्रक्रिया को नए वित्तीय वर्ष यानि एक अप्रैल से पहले ही पूरा करके बजट आवंटन की प्रक्रिया को शुरू कराया गया और देश को विकास की पटरी पर बरकरार रखने की परंपरा को जन्म दिया गया। यही नहीं देश के इतिहास में अलग से पेश होने वाले रेल बजट को पहली बार आम बजट में समायोजित किया गया। सबसे महत्वपूर्ण फैसला देश में एक समान कर प्रणाली वाले जीएसटी कानून को एक जुलाई से लागू करने के लक्ष्य की राह संसद के दोनों सदनों ने जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को बिना किसी विध्न के पारित कर दिया गया, जो देश के आर्थिक सुधार के लिए वरदान साबित होने वाला है।
विपक्ष की भूमिका भी सकारात्मक
संसद के बजट सत्र के पहले चरण में हालांकि मोदी सरकार को नोटबंदी के कारण कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों के विरोध का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन दूसरे चरण में छिटपुट विरोध को छोड़कर संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों की भूमिका सकारात्मक रही और देश व जनहित के मुद्दो पर सरकार का एकजुटता के साथ सरकार के फैसलों और विधायी कार्यो का समर्थन किया, जिसके परिणाम स्वरूप महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये। खासबात मोदी सरकार के लिए अत्यंत सार्थक, उत्पादक और सांसदों की साख के अनुरूप साबित हुए बजट सत्र में सभी दलों की जनता के प्रति जवाबदेही साफतौर से नजर आई।
संसद में 18 विधेयकों को मंजूरी
संसद के बजट सत्र में दोनों सदनों की 29 बैठ“कों के दौरान लोकसभा ने 23 और राज्यसभा ने 14 विधेयकों को मंजूरी दी है। इसके बावजूद संसद में केवल 18 विधेयक ही ऐसे रहे जो संसद के दोनों सदनों में पारित होकर अंजाम तक पहुंचे। संसद से मिली मंजूरी वाले प्रमुख विधेयकों में जीएसटी से जुड़े सी-जीएसटी, आई-जीएसटी, यूटी जीएसटी व माल एवं सेवाकर(राज्यों को प्रतिकर) विधेयकों के अलावा शत्रु सम्पत्ति संशोधन एचं विधिमान्यकरण विधेयक, विनिर्दिष्ट बैंक नोट दायित्व समाप्ति विधेयक, मजदूरी संदाय संशोधन विधेयक, प्रसूति प्रसुविधा संशोधन विधेयक, नावधिकरण समुद्री दावा की अधिकारिता और निपटारा विधेयक और मानसिक स्वास्थ्य देखरेख विधेयक प्रमुख रूप से शामिल हैं। मसलन बाकी ऐसे विधेयक अभी संसद में लटक गये हैं, जिसमें एक-दूसरे सदन में लंबित विधेयकों को किसी न किसी कारण एक-दूसरा सदन मंजूरी नहीं दे सका है। ऐसे में लोकसभा में पुर:स्थापित किये गये 24 विधेयकों में से 23 विधेयकों को पारित कर दिया गया है।

राज्यसभा में यहां अटकी सरकार
मोदी सरकार द्वारा पहली बार देश के अन्य पिछड़ा वर्ग के हित में राष्टकृीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत सभी दलों के समर्थन से पारित कर दिया गया था, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों की मांग पर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया गया। जबकि राज्यसभा में लोकसभा में देश की परिवहन व्यवस्था में बदलाव वाले मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) विधेयक को भी चर्चा के बाद विपक्ष के समर्थन के साथ पारित कर दिया गया, लेकिन राज्यसभा में बुधवार को अंतिम दिन की कार्यसूची में शामिल होने के बावजूद पेश तक नहीं किया जा सका और एक दिन पहले एक-दो दिन सत्र के विस्तार के प्रस्ताव को भी मंजूर नहीं किया जा सका। इसके अलावा राज्यसभा में 4-5 और ऐसे विधेयक अटके रह गये हैं, जो लोकसभा से पारित होकर राज्यसभा में आए थे। गौरतलब है कि राज्यसभा में फिलहाल विपक्षी दलों का बहुमत है।
अटकाए गये इस विधेयक पर हैरान मोदी
राष्टकृीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने वाले संविधान (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा में रोके जाने पर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हैरानी जताते हुए विपक्षी दलों पर सवाल खड़े किये और कहा कि जब इस विधेयक का मकसद पिछड़े वर्गो के फायदे से जुड़ा था, तब इसे राज्यसभा में क्यों रोका गया? यह बात उन्होंने भाजपा के ओबीसी वर्ग के सांसदों के समक्ष कही। जबकि सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को अनुसुचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग की तरह से संवैधानिक दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक को लोकसभा में पारित करने पर पीएम मोदी ने सभी दलों का आभार जताया।
13Apr-2017

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