मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

सुरंग सड़क मार्ग के इतिहास में जुड़ा भारत!

पीएम मोदी कल करेंगे जनता को समर्पित
श्रीनगर-जम्मू के बीच दूरी कम करने को तैयार एशिया सबसे लंबी सड़क सुरंग
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार की भारत को विश्व स्तर पर सिरमौर बनाने के लिए देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की मुहिम जारी है। सरकार के विकास एजेंडे में एक और इतिहास का पन्ना दो अप्रैल को उस समय जुड़ जाएगा, जब जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एशिया की सबसे लंबी चिनैनी-नाशरी टनल यानि सुरंग सड़क मार्ग को जनता को समर्पित करेंगे। सबसे खासबात है कि राजमार्ग के रूप में इस सुरंग सड़क पर आवागमन शुरू होते ही श्रीनगर और जम्मू की दूरी 30 किमी घट जाएगी और दो से ढ़ाई घंटे के समय की बचत होगी।
देश के शीर्ष पर जम्मू-कश्मीर को मिलने जा रही सुरंग सड़क मार्ग की सौगात की परिकल्पना हालांकि यूपीए सरकार की परियोजना के तहत इस दोहरी ट्यूब सुरंग मार्ग पर 23 मई 2011 को काम शुरू हुआ, लेकिन वर्ष 2014 में मोदी सरकार ने आते ही इस परियोजना को फास्ट टैÑक पर उतारकर तीन साल के भीतर निचली हिमालय पर्वत श्रृंखला में 1200 मीटर की ऊंचाई पर इस परियोजना को पूरा करा लिया। जम्मू-कश्मीर में 9.2 किलोमीटर लंबी सड़क सुरंग सरकार की राजमार्ग पर 286 किलोमीटर लंबी चार लेन वाली परियोजना का हिस्सा है।
सुरंग सड़क क्या है विशेषता
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग के सूत्रों ने 2519 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि जम्मू और कश्मीर में उधमपुर और रामबन के बीच 10.8 9 किमी लंबी सुरंग की पूरी हुई यह परियोजना जम्मू से श्रीनगर तक राष्ट्रीय राजमार्ग-44 (पुराना एनएच-1 ए) प्रस्तावित चौड़ा करने का हिस्सा है, जो जम्मू और कश्मीर राज्य में है। इस परियोजना में कुल तीन सुरंग बनाई गई जिसमें से चेनानी-नेशारी मुख्य सुरंग के रूप में 9.20 किमी लंबी है, इसमें 9.35 मीटर के साथ 5 मीटर की ऊर्ध्वाधर निकासी के साथ या तो दोनों ओर 1.30 मीटर की पैदल चलने वालों को सुविधा दी गई है। दूसरी समानांतर एस्केप टनल यानि सुरंग इसी मकसद से पांच मीटर और 2.50 मीटर ऊर्ध्वाधर निकासी के लिए तैयार हुई है। तीसरे सुरंग मार्ग को क्रास मार्ग के लिए तैयार किया गया है, जिसमें 7 मीटर चौड़ी और 2.5 ऊर्ध्वाधर निकासी 300-300 मीटर के कुल 29 क्रासिंग बनाए गये है यानि हरेक क्रासिंग करीब 35 मीटर लंबा होगा। इसके अलावा नौ ले-बाईज तैयार किये गये हैं। यही नहीं यातायात नियंत्रण प्रणाली को प्राथमिकता दी गई है, जिसके तहत 1340 मीटर दक्षिण रोड और 563 मीटर उत्तर रोड तक पहुंच तैयार की गई है।
स्वचालित स्मार्ट सिस्टम नियंत्रण सुरंग
दुनिया में पूरी तरह से एकीकृत सुरंग नियंत्रण प्रणाली वाले वैसे तो बहुत सारे सुरंग हैं। देश की इस सड़क सुरंग के संचालन के लिए कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं किया गया है यानि पूरी तरह से स्वचालित स्मार्ट सिस्टम से यातायात नियंत्रित होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को हिमालय के सबसे कठिन इलाके में कला इंजीनियरिंग राजनीति का चमत्कार का माना जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप यह पूरी तरह से अनुप्रस्थ वेंटिलेशन सिस्टम के साथ द्विदिशात्मक राजमार्ग सुरंग द्वारा भारत की ही नहीं, बल्कि एशिया की सबसे लंबा सुरंग सड़क मार्ग साबित होगा। ये पूरी तरह से एकीकृत सुरंग नियंत्रण प्रणाली जो वेंटिलेशन, संचार, बिजली की आपूर्ति, घटना का पता लगाने, एसओएस कॉल बॉक्स, अग्निशमन प्रणाली को नियंत्रित करेगी। मसलन दुर्घटना और आग सहित घटनाओं की पहचान के लिए विश्व स्तर के मानको के आधार पर सुरक्षा विशेषताओं से इसे सुज्जित किया गया है। इसीलिए मुख्य सुरंग, बचने के सुरंग और पार मार्ग के लिए कुल 19 किमी लंबी खुदाई में इस परियोजना में समानांतर 9 किमी लंबे रास्ते पर बचाव की व्यवस्था की गई है।
नार्वे में है दुनिया की सबसे लम्बी सुरंग
विश्व की सबसे लम्बी सड़क सुरंग नार्वे में है। इसकी लम्बाई 24.51 किलोमीटर है। यह आॅरलैंड और लायेरडेल के बीच ओस्लो और बेरजेन को जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग पर स्थित है। इसके निर्माण को 1992 में नार्वे संसद ने मंजूरी दी थी।
अन्य विशेषताएं
जम्मू व श्रीनगर को नजदीक लाने के लिए इस परियोजना को दुनिया में 4 साल के रिकार्ड समय में सबसे पहले आवागमन के लिए खोलते ही इतिहास रचा जाएगा।
-एकीकृत ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (आईटीसीएस)
-प्रवेश जांच नियंत्रण प्रणाली
-विद्युत आग संकेतन प्रणाली (आग का पता लगाने)
-सक्रिय फायर फाइटिंग सिस्टम
-वीडियो निगरानी प्रणाली
- रिक्त प्रसारण प्रणाली
-एफएम रीबॉडेर्कास्ट सिस्टम
-वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम (डब्ल्यूसीएस)
-प्रत्येक 150 मीटर में एसओएस कॉल बक्से
परियोजना के ये फायदे
- नेशनल हाईवे-1ए पर रुकेगा ट्रैफिक जाम
-जम्मू और श्रीनगर के बीच करीब 2 से ढाई घंटे के समय की बचत
-बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और पेड़ काटने से बचा
-यात्रियों के लिए सुरक्षित, सभी मौसम मार्ग
-प्रति दिन 27 लाख रुपये प्रति दिन ईंधन की बचत
-विश्व स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के साथ संरक्षित
- जम्मू-कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों और पर्यटन को बढ़ावा देना
- 41 किमी से अधिक दूरी पर यातायात में कमी से क्षेत्र के पारिस्थितिकी और पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। वहीं शेष भारत से इस राज्य का संपर्क सुगम हो जाएगा।
- इसकी मदद से नेशनल हाइवे पर हिम स्खलन, भू स्खलन सरीखी मुश्किलों का सामना करने वाले यात्री इस रूट का इस्तेमाल कर बच सकेंगे। साथ ही इस टनल के चलते पटनी टॉप,कुड और बटोट बायपास हो जाएगा।
01Apr-2017

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