बुधवार, 12 अप्रैल 2017

जल कानून पर आगे बढ़ी केंद्र सरकार!

गंगा अधिनियम पर समिति ने सरकार को सौंपी मसौदा रिपोर्ट
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के महत्वकांक्षी नमामि गंगे मिशन के मद्देनजर जल संरक्षण और जल प्रबंधन को लेकर जल कानून की कवायद में एक कदम आगे बढ़ाया गया है। मसलन गंगा अधिनियम के मसौदे को तैयार करने वाली मालवीय समिति ने सरकार का ेअपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार जल्द ही कानूनी मसौदे का अध्ययन कराकर उसे कैबिनेट में भेजने की तैयारी में है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में जल संरक्षण और जल प्रबंधन को व्यवस्थित करने की दिशा में केंद्र सरकार ने जल को कानूनी दायरे में शामिल करने पर विचार विमर्श किया था, जिसके लिए विशेषज्ञओं और कानूनविदों की राय के बाद केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने ‘गंगा अधिनियम’ का मसौदा तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। मालवीय समिति ने बुधवार को यहां नई दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती को अपनी मसौदा रिपोर्ट पेश सौंप दी है।
मिशन का ऐतिहासिक क्षण: उमा
जल कानून के मसौदे वाली इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सुश्री उमा भारती ने इसे एक ‘ऐतिहासिक क्षण’ करार देते हुए कहा कि वह रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए बहुत ही रोमांचित हैं, जिससे उनके अभियान को कानून बनाने में जल्द ही मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सभी संबंधित पक्षों से इस पर व्यापक विचार विमर्श के बाद इसे शीघ्र ही कानून का रूप देगी। सुश्री भारती ने अपने मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे इस रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करने के लिए तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें और यह समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट दे। उमा भारती ने उम्मीद जताई कि इस रिपोर्ट में गंगा की अविरलता एवं निर्मलता का ध्यान रखते हुए पर्याप्त प्रावधान किये गए हैं।
जिम्मेदारी मुश्किल थी: मालवीय
देश में जल पर कानून लागू करने की दिशा में कानूनी मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने कहा कि यह एक बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी, जिसे समिति के सदस्यों ने बखूबी निभाया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का भरपूर सहयोग मिला। गौरतलब है कि प्रस्तावित गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में गत वर्ष जुलाई में गठित इस समिति के अन्य सदस्यों में वीके भसीन, पूर्व सचिव विधायी विभाग,, प्रोफेसर ए के गोसाई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली और प्रोफेसर नयन शर्मा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक संदीप समिति के सदस्य सचिव थे। 79 वर्षीय श्री गिरिधर मालवीय लंबे समय से गंगा संरक्षण अभियान से जुड़े रहे हैं और गंगा से उनका भावनात्मक लगाव है। वे गंगा महासभा के अध्यक्ष भी हैं। महासभा की स्थापना उनके पितामह और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक और जाने माने स्वतत्रंता सेनानी महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने ही की थी।
क्या हो सकते हैं कानूनी प्रावधान
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती को सौंपी गई समिति की रिपोर्ट में गंगा की निर्मलता एवं अविरलता को
सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं। रिपोर्ट में गंगा के संसाधनों का उपयोग करने के बारे में जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तय करने के बारे में कई कड़े प्रावधानों का उल्लेख है। समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पास पूर्व में उपलब्ध कानूनी प्रारूपों का भी अध्ययन किया। सरकार का जल कानून लागू करने का मकसद है कि देश में गंगा व सहायक नदियों की धारा को अविरल और स्वच्छ बनाने के अलावा जल संकट से निपटना भी है। कानूनी प्रावधान लागू होने जरूरत से ज्यादा जल दोहन पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
13Apr-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें