शनिवार, 15 अप्रैल 2017

देश में भयंकर जल संकट के आसार!



पिछले छह माह में घटा 58 फीसदी जलस्तर
सूखे की स्थिति से निपटने को सतर्क हुई सरकार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में गर्मियों में जल संकट से निपटने के लिए हालांकि केंद्र सरकार ने मेगा योजना का खाका तैयार किया है, लेकिन जिस प्रकार से देश में जल का स्तर तेजी से गिर रहा है उससे ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश में जल संकट भयंकर रूप से गहराएगा? मसलन पिछले करीब छह माह में जल स्तर में 58 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
दरअसल केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के देश के प्रमुख 91 जलाशयों में जल स्तर की ताजा रिपोर्ट जारी की है, इनमें फिलहाल 48.42 अरब घन मीटर जल का संग्रहण आंका गया है, जो छह माह पहले यानि अक्टूबर के अंत में 115.457 अरब घन मीटर जल का स्तर था। मसलन इस दौरान 67.37 अरब घन मीटर यानि 58 फीसदी से ज्यादा पानी के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। मंत्रालय के अनुसार मौजूदा समय में देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 48.42 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल स्तर है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 31 प्रतिशत है। एक सप्ताह पहले यह जल स्तर 50.632 बीसीएम यानि 32 प्रतिशत था। गौरतलब है कि इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 अरब घन मीटर यानि बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। मसलन पिछले साल 27 अक्टूबर को इन जलाशयों का जल स्तर उच्चतम 115.457 बीसीएम आंका गया था, जिसके बाद जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है उसे तेजी से लगातार इस जल स्तर में गिरावट देखी जा रही है। मंत्रालय के अनुसार देश के इन प्रमुख जलाशयों में से 37 ऐसे हैं जिनमें 60 मेगावाट से ज्यादा की क्षमता के साथ पनबिजली का उत्पादन भी किया जाता है।
चुनौतियों से निपटने की तैयारी
मंत्रालय के अनुसार गर्मी के दौरान हर साल जल संकट से जूझते देश के विभिन्न राज्यों व इलाकों के लोगो को राहत देने के लिए सरकार ने पहले से ऐसी चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके लिए तैयार किये गये रोडमैप के तहत 1600 करोड़ की योजना को शुरू कराने का दावा किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए गर्मियों के दौरान 300 करोड़ रुपये की सिंचाई योजनाओं पर काम शुरू करने के लिए दिशा निर्देश जारी किये हैं।
पिछले साल मचा रहा हडकंप
गौरतलब है कि देश में पिछले साल बुंदेलखंड और मराठावाडा में छाए भयंकर जल संकट के कारण हा-हाकार मचा था और देखते ही देखते देश के करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में जल संकट गहरा गया था। इस साल गर्मियों में ऐसी समस्या से निपटने की दिशा में पिछले सप्ताह ही केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने सूखे एवं पेजयल के अलावा सिंचाई की समस्या को लेकर 15 राज्यों के उच्चाधिकारियों को जल संकट वाले संभावित इलाकों में गर्मियों के कारण उत्पन्न स्थितियों का आकलन करने के निर्देश दिये। ताकि सरकार द्वारा इस साल तैयार की गई 1600 करोड़ रुपये की लागत वाली योजना को वरीयता के साथ शुरू किया जा सके।
उच्च प्राथमिकता में बुंदेलखंड व मराठावाडा
केंद्र सरकार की उच्च प्राथमिकता में बुंदेलखंड और मराठावाड़ा खासतौर से उच्च प्राथमिकता पर हैं, जहां पिछले साल सरकार को जल संकट से निपटने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस बार केंद्र सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि सूखा आशंकित क्षेत्रों के जल स्रोतों के रखरखाव, संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करने के अलावा सिंचाई योजनाओं पर तेजी से काम शुरू किया जाए। उमा भारती ने सभी राज्यों को इस दिशा में तैयार योजना को गंभीरता से अलम में लाने के निर्देश भी दिये हैं। ऐसे निर्देशों में अधूरे बांधों के निर्माण कार्यो और अन्य जल संबन्धी परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा गया है।
इन राज्यों में गिरा जलस्तर
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार देश के हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में तेजी से जल स्तर में तेजी से गिरावट देखी जा रही है, जहां प्रमुख जलाशयों में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम जल भंडारण दर्ज किया गया है। हालांकि पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पचिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में फिलहाल स्थिति सामान्य बनी हुई है, जिनमें पिछले साल गिरते जल स्तर ने सरकार की चिंताएं बढ़ाई थी।
16Apr-2017

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