रविवार, 23 अप्रैल 2017

राग दरबार:-‘नायक’ नहीं ‘महानायक’

न राज रहा और न नीति
देश की राजनीति के खिलाड़ी माने जाने वाले दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव को लेकर ‘न घर के रहे और न घाट के’ जैसी कहावत चरितार्थ हेती है राजपाट छीन जाने के बाद यूपी में समाजवादी पार्टी की राजनीति का तो मानो छंद विच्छेद ही हो गय यानि न राज रहा और न नीति। मसलन एक और तो समाजवादी परिवार की अंतर्कलह और दूसरी और यूपी की सत्ता गंवाने के बाद सपा नेता मुलायम की हालत ने सभी को फिल्म ‘नायक’ का स्मरण करा दिया, जिसमें एक दिन के सीएम अनिल कपूर के एक्शन के सामने अमरीश पुरी की सारी राजनीति धाराशाही हो जाती है। यूपी में भाजपा की योगी सरकार जिस एक्शन मोड़ पर है वह सूबे की जनता को ऐसे भा रही है जिसमे सीएम योगी ‘नायक’ नही बल्कि ‘महानायक’ की भूमिका निभा रहे हों। यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी के ताबडतोड एक्शन ने तो यूपी की तस्वीर को सकारात्मक बदलाव की राह दिखना शुरू कर दिया यानि सपा नेता मुलायम के सभी धोबी पाट ऐसे ताक पर जाते नजर आ रहे हैं कि इसके लिए बेचारे नेताजी के लखनऊ स्थित आवास पर बिजली विभाग का छापा ही यह बताने के लिए काफी है कि योगी सरकार मैं बडी ब्मछलियाँ खुद को सुरक्षित न समझे। वहीं इसमें सपा नेता आजम खान के उस सवाल का जवाब भी है जिसमें उन्होंने योगी सरकार के जिला मुख्यालयों को 24 घंटे बिजली देने के ऐलान पर कहा था कि सरकार कहां से और कैसे बिजली आपूर्ति करेगी? दरअसल आजम ने जानना चाहा था कि प्रदेश में क्या कोई नया बिजली घर लग गया? मुलायम सिंह के आवास पर छापे से शायद आजम खान जैसे नेताओं को
जवाब और संदेश दोनों मिल गये हांगे। राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया योगी एक्शन को लेकर टिप्पणियों से पटी पडुी है। जाहिर सी बात है कि अब ताकतवर लोग बिजली चोरी नही कर पाएंगे और बकाया भी अदा करेंगे। इतना ही नही कटिया डाल कर की जाने वाली बिजली चोरी रोकी जाएगी। योगी का संदेश साफ है कि यूपी में बिजली चोरों को अब यह जान लेना चाहिए कि यदि लखनऊ में मुलायम के घर छापा पड सकता है तो खैर किसी की भी नही...!
सरकार मेहरबान तो..
सरकार वाकई सरकार होती है। जिसे चाहे आफताब बना दे। जिसे चाहे धूल में मिला दे। यूपीए सरकार के जाने और केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद पत्र सूचना कार्यालय की तत्कालीन प्रमुख महानिदेशक रहीं नीलम कपूर और तब महानिदेश के पद पर काम कर रहे फ्रैंक नरोन्हा के पद को लेकर अदला-बदली की। नीलम कपूर को कांग्रेसियों के ज्यादा नजदीक माना जाता था इसीलिए उन्हें फील्ड पब्लिसीटी का मुखिया बनाकर शंट कर दिया गया। फ्रैंक को उसी पोस्ट से निकालकर पीआईबी मेें मीडिया और कम्यूनिकेशन का महानिदेशक बनाया गया। पहले एक ही पद प्रमुख महानिदेशक का होता था, उसे सरकार ने अब दो पद के रूप में सृजित कर दिया। फ्रैंक नरोन्हा को भी अब प्रमुख महानिदेशक बनाकर उनके साथ तीन महानिदेशक को प्रोन्नत कर अटैच किया गया। अच्छे अधिकारियों का टोटा पीआईबी लंबे समय से झेल रहा है। कुछ अच्छे अधिकारियों को इधर-उधर करने के चक्कर में केंद्र सरकार के ढेर सारे मंत्रालय की पब्लिसीटी का काम ठीक ढंग से नहीं हो रहा। सूचना मंत्रालय तक खबर पहुंचाई गई है, शायद कुछ बात बने।
कैबिनेट फेरबदल पर गुथमगुत्था
राज्यों में विधानसभ चुनाव और दिल्ली में नगर निगम चुनावों को देखते हुए एनडीए सरकार की कैबिनेट में फेरबदल फिलहाल नहीं हुआ है। लेकिन इसे लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। कुछ मंत्रियों के विभाग बदलने की संभावना है, तो कुछ नए चेहरों की कैबिनेट में दस्तक की पूरी गुंजाइश है। बीते विस चुनावों में आए परिणाम के बाद सरकार में सहयोगी पार्टियों का कद कम होता जा रहा है, जिससे इनमें शामिल नेताओं को भी अपने विभाग बदले जाने या कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाए जाने का डर सताने लगा है। कुछ लोग खुलेआम इस मामले पर बात करते हुए नजर आ रहे हैं कि उनका विभाग रहेगा या छिन जाएगा। इन सबके बीच असलियत तो कैबिनेटफेरबदल के समय ही साफ हो पाएगी। तब तक तो सभी को इंतजार ही करना पड़ेगा।
-ओ.पी. पाल, शिशिर सोनीा व कविता जोशी 
23Apr-2017

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