गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

सरकार ऐसे रोकेगी वाहनों की तेज रफ्तार!

हर साल कराना होगा स्पीड गवर्नर का फिटमेंट
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में सड़क हादसों के बड़े कारणों में शामिल कॉमर्शियल वाहनों की अनियंत्रित गति पर अंकुश लगाने की दिशा में केंद्र सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। स्पीड गर्वनर की अनिवार्य के बाद कॉमर्शियल वाहनों की तेज रफ्तार रोकने की दिशा में ऐसे वाहनों को हर साल स्पीड गवर्नर का फिटमेंट करना जरूरी कर दिया गया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार हाल में जारी नए दिशा निर्देशों के अनुसार कॉमर्शियल वाहनों के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में पहले से ही स्पीड गवर्नर अनिवार्य किया जा चुका है, लेकिन ऐसे वाहनों का हर साल स्पीड गवर्नर का फिटमेंट कराकर नवीकरण सर्टिफिकेट लेना जरूरी कर दिया गया है। इन निर्देशों को जारी करने का मकसद सरकार सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की मुहिम को मजबूत करना चाहती है। हर साल कॉमर्शियल वाहनों में लगे स्पीड गवर्नर का फिटमेंट करवाने के पीछे इस बात का पता लगाना है कि वाहनों में लगा गति नियंत्रक यंत्र सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं। मंत्रालय के अनुसार सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ने वाले वाहनों की गति पर नियंत्रण करने के लिए इस प्रकार के नियमों का अनुपालन कराना जरूरी हो गया है, जिसमें वाहन चैकिंग के दौरान भी इन दिशा निर्देशों के उल्लंघन करने वालों पर नजर रखी जाएगी। नियमों पर खरा न उतरने वाले वाहनों और उनके स्वामियों के खिलाफ सख्त कार्रवाही अमल में लाने का भी प्रावधान है।
उल्लंघन करने पर खैर नहीं
केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक कामर्शियल वाहनों में डीलर ही यूनिक कोड जनरेट कर स्पीड गवर्नर लगाएगा, ताकि एक स्पीड गवर्नर को दूसरे वाहन में फिट न किया जा सके। ऐसे निर्देश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय समिति द्वारा हाल में स्पीड गवर्नर को लेकर जारी दिशानिर्देश के तहत जारी किये हैं, जिसके तहत कॉमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर या उसके फिटमेंट के लिए वाहन निमार्ता को ही ज्यादा जिम्मेदार ठहरा जाएगा, जिन्हें एमआईएस पर दर्ज करवाने से लेकर यूनिक कोड तक जनरेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्या हैं नए दिशानिर्देश
मंत्रालय के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की समिति द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत सरकार ने जो नए दिशा निर्देश जारी किये हैं उनमें वाहन निर्माता या डीलर को वर्तमान में लगने वाली स्पीड लिमिट डिवाइस के बजाए संबंधित वाहन में स्पेसिफिक डिवाइस लगाकर उसे सील करना होगा। इसके साथ ही स्पीड गवर्नर लगाने के बाद डाटा को आॅनलाइन फीड करने की जिम्मेदारी भी डीलर को सौँपी गई है। मसलन जिस वाहन के लिए जो स्पीड लिमिट डिवाइस बनी है, उसे उसी वाहन में लगाना जरूरी होगा। इस प्रणाली के जरिए ही चैकिंग के दौरान यूनिक कोड से लेकर आॅनलाइन जानकारी चैक की जा सकेगी। वहीं डीलर्स को स्पीड गवर्नर की जानकारी मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) सॉफ्टवेयर में दर्ज करनी होगी। हर साल स्पीड गवर्नर की जांच भी करानी होगी।

चालक के लिए कोर्स शुरू
देश में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कामर्शिलय और भारी वाहनों के चालकों के लिए सुरक्षा पाठ्यक्रम के तहत कोर्स कराने की भी व्यवस्था की है, जिसमें पुणे की इंस्टीट्यूट आॅफ ड्राइविंग ट्रेनिंग रिसर्च (आईडीटीआर) ने दो कोर्स तैयार किए हैं, जो कॉमर्शियल वाहनों के चालकों को सुरक्षा प्रशिक्षण और उपाय के अलावा उन्हें सुरक्षित ड्राइविंग के बारे में बताएंगे। इन दो कोर्सेस में से पहला कोर्स उन इंस्ट्रक्टर्स के लिए होगा जो लोगों को ड्राइविंग स्कूल चलाते हैं वहीं दूसरा कोर्स भारी कॉमर्शियल वाहन चालकों के लिए होगा।
21Apr-2017

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