बुधवार, 1 मार्च 2017

पूर्वांचल में सियासी ताकत झोंकने की होड!

यूपी: अब 89 सीटों पर दांव पर बड़े-बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा
छठे चरण में चार व सातवें चरण में आठ मार्च को पडेगे वोट
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
यूपी चुनाव के पहले पांच चरणों के चुनाव के बाद अब पूर्वांचल की 89 सीटों को लेकर सभी सियासी दल पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं, जहां बड़े-बड़े दिग्गजों का इम्तिहान होना है। सपा के इस गढ़ को ध्वस्त करने के लिए भाजपा की बदली रणनीति में एक दर्जन से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा का पूरा अमला इन बाकी सीटों के लिए मतदाताओं के बीच है, तो वहीं सपा और बसपा के अलावा अन्य दल भी पूरी ताकत फूंकने में जुटे हुए हैं।
सत्रहवीं उत्त्तर प्रदेश विधानसभा के गठन के लिए सात चरणों में से पांच चरणों में 313 सीटों पर सियासी दलों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है और अब केवल 90 सीटों का चुनाव होना बाकी है, जिनमें अंतिम दो चरणों में पूर्वांचल के 14 जिलों की 89 सीटों पर कब्जे के लिए सभी सियासी दलों में मतदाताओं को अपने-अपने पाले में लाने की होड़ में पूरी ताकत झोंकी हुई है। पांचवे चरण में हुए चुनाव में एक सीट का स्थगित किया गया चुनाव नौ मार्च को होगा। छठे चरण का चुनाव चार मार्च को होगा, जबकि अंतिम एवं सातवें चरण का चुनाव आठ मार्च को होना है। इन दोनों चरणों में 1170 प्रत्याशी पूर्वांचल फतेह करने के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें छठे चरण के 635 प्रत्याशी शामिल हैं।
पूर्वांचल में होगी असल परीक्षा
यूपी चुनाव के छठे चरण में चार मार्च को सात जिलों की 49 सीटों पर होने वाले चुनाव में गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की नौ सीटों के लिए भाजपा सांसद और फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ, तो आजमगढ़ जिले की 10 सीटों पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। इसी प्रकार देवरिया जिले के की 7 सीटों के लिए केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र की अग्नि परीक्षा होनी है। जबकि मऊ जिलें में परिवार समेत बसपा के पाले में गये बाहुबली मुख्तार अंसारी सपा के लिए चुनौती बने हुए हैं। यदि अंतिम और सातवें चरण की बात की जाए तो समूचे यूपी के लिए ताकत झोंकते आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खुद के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिले की आठ सीटों पर प्रतिष्ठा लगी हुई है। वहीं केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का संसदीय क्षेत्र गाजीपुर और केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय का संसदीय क्षेत्र चंदौली भी इसी चरण में शामिल है। अंतिम चरण के चुनाव में मिजार्पुर, भदोही, सोनभद्र की सीटों के लिए मतदान होना है। यह क्षेत्र केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का प्रभाव वाला माना जाता है, जिसमें मिजार्पुर सीट से जीतकर राजनाथ सिंह यू.पी. विधानसभा में जाते रहे हैं।
अतिपिछड़ों का वर्चस्व
पूर्वांचल के इन 14 जिलों की 89 सीटों पर अंतिम दो चरणों का चुनाव होना है, जहां यादव और अतिपिछड़ों का
बोलबाला है। हालांकि सियासत में मुस्लिम, दलित भी कई सीटों पर अपने वर्चस्व के कारण नतीजों को पलटते रहे हैं। यही नहीं कुछ जिलों में सवर्ण जातियों का भी ठीक-ठाक प्रभाव माना जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इस बार पूर्वांचल की अतिपिछड़े वर्ग की जातियां इस बार भाजपा के पाले में जाती नजर आ ही हैं। यही कारण है कि सपा-बसपा के सामने बड़ी अपनी सियासी गढ़ को बचाने की चुनौती है। जबकि कांग्रेस भी सपा के सहारे इस इलाके में अपनी सियासी जमीन तलाशने के लिए गठबंधन करके 19 सीटों पर चुनावी जंग में है।
बाहुबलियों की धाक
यूपी के जिन 89 सीटों पर अंतिम दो चरणों में चुनाव होना है, वह देश में संगठित अपराध की जननी मानने जाने वाले पूर्वांचल क्षेत्र के रूप में कुख्यात है और इस इलाके में आज भी बाहुबलियों का सिक्का जमकर चलता है। जौनपुर में धनजंय सिंह, मऊ में अंसारी बंधुओं के अलावा गोरखपुर-बस्ती में अमरमणि त्रिपाठी, हरिशंकर तिवारी और वाराणसी में बृजेश सिंह जैसे बाहुबली अपने दम पर चुनाव परिणाम बदलने का दमखम रखते हैं। हालांकि पूर्वांचल की अतिपिछड़े वर्ग की जातियां इस बार भाजपा के पाले में दिख रही हैं, जिसके चलते सपा-बसपा के सामने बड़ी चुनौती है। कांग्रेस ने भी पूर्वांचल में काफी मेहनत की है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी किसान यात्रा इसी इलाके से शुरू की थी और सोनिया गांधी ने भी वाराणसी में रोड शो किया था।
छठे चरण का चुनाव
छठे चरण में सात जिलों की 49 सीटों पर 4 मार्च को वोट डाले जाएंगे। इन सीटों में महाराजगंज की पांच, कुशीनगर की सात, गोरखपुर की नौ, देवरिया की सात, आजमगढ़ की दस, मऊ की चार तथा बलिया की सात सीटें शामिल हैं। इस चरण के लिए 7806416 महिलाओं और 988 तीसरे लिंगी समेत 17286327 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने के लिए 63 महिलाओं समेत 635 उम्मीदवार चुनावी जंग में हैं, जिसमें बसपा के 49, भाजपा के 45, सपा के 40, कांग्रेस व राकांपा के 10-10, रालोद के 36 के अलावा सीपीआई के 15 व सीपीएम के चार के अलावा 248 प्रत्याशी गैर मान्यता प्राप्त दलों के हैं। जबकि 174 प्रत्याशियों ने निर्दलीय रूप से किस्मत आजमाने का फैसला किया है। पिछले वर्ष 2012 के चुनाव में इन सीटों में से सपा ने 27, बसपा ने 9, भाजपा ने 7 तथा कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थी, जबकि 2 सीटें अन्य के खाते में गई थीं। इस चरण में सबसे ज्यादा 23 उम्मीदवार गोरखपुर सीट पर मैदान में हैं, जबकि सबसे कम सात उम्मीदवार मऊ जिले की मोहम्मदाबाद गोहना सीट से किस्मत आजमा रहे हैं।

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