रविवार, 5 मार्च 2017

राग दरबार:- सियासी हमले में भाजपा की उड़ान..

किसकी होली मनेगी और किसकी होगी होली..!
देश में नोटबंदी और अन्य मुद्दों को लेकर जितने जोरशोर से कॉग्रेसी, दामपंथी, वामपंथी जैसे सेक्युलरिस्ट अंधे होकर जिस प्रकार से मोदी को कोसकर हमले बोल रहे हैं, उतनी ही तेजी से भाजपा ऊंची उड़ान भर रही है। मसलन नोटबंदी के बाद जितने भी संसदीय, विधानसभा या विधान परिषद के चुनाव या उपचुनाव हुए हैं, उसमें भाजपा सबसे आगे रही है। पांच राज्यों के चुनाव खासकर यूपी चुनाव में तो ऐसे सियासी दलों ने सभी मर्यादाओं को तार-तार करके रख दिया है, लेकिन जैसे ही उड़ीसा और महाराष्टÑ नगर निगम के चुनाव में भाजपा ने परचम लहराया है उससे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों को इस बात का डर ीाी सताने लगा है कि कहीं यूपी और अन्य राज्य भाजपा ही न कब्जा ले। सियासी गलियारों में चर्चा ही नहीं यह हकीकत भी नजर आ रही है कि विपक्षी दलों ने जिस प्रकार से नोटबंदी का विरोध किया है उसका देश की जनता विरोधी दलों को अपने मौलिक अधिकारों के जरिए शायद जवाब दे रही है। यूपी समते पांच राज्यों के चुनाव के नतीजें तो 11 मार्च को ही तय करेंगे कि भाजपा की जारी यह ऊंची सियासी उड़ान बढ़ेगी या फिर विपक्षी दलों की रणनीति कामयाब होगी। दरअसल विपक्षी दल पीएम मोदी को निशाना बनाकर भले ही कितनी छाती पीट रहे हों, लेकिन जहां कभी भी भाजपा का गढ़ नहीं रहा वहां हाल ही में स्वायत्तशासी निकायों के चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त बढत मिली है। अब देखना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा समेत पांच राज्यों की विधानसभाओं के गठन के लिए हो रहे चुनाव का नतीजा 11 मार्च को आएगा, जो यह तय करेगा कि अगले ही दिन किस सियासी दल की होली मनेगी और किसकी होगी होली..!
लालू का अंदाज-ए-बयां
राजद सुप्रीमो लालू यादव का बात कहने का तरीका इतना मौजू है कि गंभीर सवाल भी हंसी-ठहाका में डूबकर रह जाता है। यूपी चुनाव में लालू सपा के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। सपा और राजद का भला ही कोई एका न हो पर लालू चुनाव में मुलायम के कुनबे से अपनी रिश्तेदारी निभाने में जुटे हैं। अब किसी ने लालू यादव से पूछ लिया कि चुनाव में कया रहेगा। वे झट से बोले ‘बड़े-बड़े घोड़े डूबत जात, गधे पूछें कितना पानी’। इतना कहकर वे आगे बढ़ गये। अब इस उत्तर से क्या से अंदाजा लगाया जाये। लालू यादव खुद को चुनाव का डॉक्टर बता रहे हैं तो विरोधी दल भाजपा को कम्पाउंडर कह रहे हैं। दरअसल जब से बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी राजद सबसे ज्यादा सीटें जीती है तबसे ही लालू यादव भाजपा को पूरे देश में देख लेने की हुंकार भर रहे हैं। अब यूपी में चुनाव नतीजों का ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो समय ही बतायेगा पर लालू फिलहाल सपा -कांग्रेस गठबंधन को ही विजयी मानकर चल रहे हैं।
सटा बाजार में बीजेपी की हवा
इन दिनों राजनीतिक दलों के बीच जिस मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। वो है उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चल रहे विधानसभा चुनावों का मामला है। इन चार राज्यों में सभी राजनीतिक दलों को उत्तर-प्रदेश में खासी रुचि है। क्योंकि यह न सिर्फ देश का बड़ा जनसंख्या वाला राज्य है। बल्कि जो दल इसमें जीत हासिल करेगा वो देश की सत्ता पर लंबे समय तक टिका रह सकता है। तमाम नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं। इसमें एक रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा भी रखा गया है। बीते दिनों राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान सबे में पार्टी को लेकर एक पत्रकार द्वारा पूछे गए प्रश् न के जवाब में रक्षा मंत्री ने चुनाव परिणामों में हवा के बहने का काफी महत्व होता है। हवा किस ओर बह रही है। सटा बाजार में तो पार्टी यानि बीजेपी के पक्ष में चुनावी हवा बहती हुई नजर आ रही है। सच का खुलासा परिणाम आने के समय हो जाएगा। चुनाव परिणाम तो बाद की बात है। लेकिन पर्रिकर ने इशारों-इशारों में सटा बाजार की ओर से दी गई सांकेतिक खुशी को तो जगजाहिर कर ही दिया।
यूपी के नतीजे के सहारे सांसद
भाजपा शीर्ष नेतृत्व मुंबई में भगवा लहराने के बाद उप्र विस चुनाव को लेकर और आशान्वित हो गया है। मुंबई से चली हवा का असर लखनऊ में कितना होगा यह नहीं पता, लेकिन सांसदों को दिए गए अल्टीमेटम का असर तो कम से कम जमीन पर दिख ही रहा है। दिल्ली में अब तक काम न करा पाने के बहाने या नोटबंदी के कारण उपजी कुछ परेशानियों के बहाने सुस्त पड़े सूबे के 70 सांसदों को दो टूक फार्मूला थमा दिया गया है यानि अपने-अपने संसदीय क्षेत्र से भाजपा के कम से तीन विधायकों को जिताने में सफलता नहीं पाई तो 2019 के आम चुनाव में लोकसभा का टिकट फिर से मांगने नहीं आना। ये बात सच है कि पार्टी के ज्यादातर सांसद पहली बार मोदी लहर में चुनकर लोकसभा पहुंचे। उन्हें काम करने और करवाने का तजुर्बा उतना नहीं। पर, अब संगठन ने उनके साथ पूरी ताकत झोंक दी है। फार्मूला हिट हुआ तो भगवा बिरादरी इतिहास की नई इबारत गढ़ेगी उप्र में।
-ओ.पी. पाल, आनंद राणा, कविता जोशी व शिशिर सोनी
05Mar-2017

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