सोमवार, 27 मार्च 2017

फिर ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर की टेंशन बढ़ाएंगे ट्रांसपोर्टर?


नए सड़क सुरक्षा बिल के कई प्रावधानों का विरोध
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद में नए मोटर वाहन संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने से पहले ही उसके कुछ प्रावधानों का देशभर के ट्रांसपोर्टर विरोध कर रहे हैं। इसलिए अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर आए ट्रांसपोर्टर एक बार फिर से केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री की टेंशन बढ़ाने को तैयार नजर आ रहे हैं।
केंद्र सरकार के संसद में लंबित नए मोटर वाहन संशोधन विधेयक के मौजूदा बजट सत्र में ही पारित होने की संभावना प्रबल हैं, लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार पर अपनी मांगों के लिए दबाव बनाने की दिशा में अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन यानि चक्का जाम करने का ऐलान कर दिया है। देश के प्रमुख संगठन आॅल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) ने 20 अप्रैल से दस मांगों के लिए चक्का जाम का एलान किया है तो वहीं संगठन की दक्षिण भारतीय शाखा के अलावा दूसरी यूनियन अकोगोवा तीन मांगों के लिए एक अप्रैल से ही हड़ताल पर करने जा रही है, जिसने केंद्र के सामने तीन मांगे पेश की है। हालांकि थर्ड पार्टी प्रीमियम पर लगभग सभी ट्रांसपोर्ट यूनियनों की एक राय है यानि विधेयक में सभी संगठन प्रस्तावित बढ़ोतरी के विरोध में नजर आ रहे हैं, जिस पर ट्रांसपोर्टरों को जन समर्थन मिलने से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
क्या है ट्रांसपोर्टरों की मांग
एआइएमटीसी भीम वाधवा का कहना है उनकी सरकार से दस मांग है कि वैकल्पिक टोल संग्रह नीति लाकर बसों व टूरिस्ट वाहनों को नेशनल परमिट जारी किये जाएं। ट्रांसपोर्टरों की मांगों के लिए अंतरमंत्रालयी समिति का गठन हो और सभी प्रकार के करों के आॅनलाइन भुगतान की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। सरकार की पुराने वाहन स्क्रैप करने की योजना के बजाय इंजन रिट्रोफिटमेंट की व्यवस्था लागू करना जरूरी है। संगठन ने सरकार से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर जीएसटी के प्रभाव को भी स्पष्ट करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि आगामी एक अप्रैल से पहले बन चुके बीएस-3 मानक वाहनों का पंजीकरण कराने, समान चेसिस के वाहन के लिए समान ऊंचाई तय करने के अलावा दो ड्राइवरों, यूनीफॉर्म तथा कक्षा आठ पास सर्टिफिकेट और प्रेशर हॉर्न पर अस्पष्ट नियमों को रद्द करने की भी सरकार से मांग की जा रही है। वहीं ओवरलोडिंग का जिम्मा कंसाइनर, कंसाइनी, ट्रकर, ट्रांसपोर्टर, टोल प्लाजा, आरटीओ, पुलिस सब पर लागू करना चाहिए ओर राजमार्गों पर ट्रकों की पार्किंग के लिए पर्याप्त इंतजाम करना भी सरकार को नए विधेयक के प्रावधान लागू करने से पहले जरूरी है। दूसरी यूनियन अकोगोवा ने विधेयक के तहत बढ़ाई गई जुर्माने की विभिन्न दरों में कमी करने की भी मांग की है, जिसमें गत एक जनवरी से बढ़ाई गई लाइसेंस व फिटनेस टेस्ट की दरों पर पुनर्विचार करने की मांग भी शामिल है

इसलिए है इंश्योरेंस का विरोध
ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि सरकार के नए बिल में किये गये थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में प्रस्तावित बढ़ोतरी के जरिए बढ़ा चढ़ाकर दावा करने वाले लोगों द्वारा बीमा कंपनियों को आर्थिक चूना लगाने की आंशका को बढ़ाएगा। क्योंकि बीमा कंपनियां हर साल दो साल में प्रीमियम दरें बढ़ाकर इसकी सजा मोटर मालिकों को देती आ रही हैं। ट्रांसपोर्टरों की मांग है कि इंश्योरेंस में प्रीमियम दरें जरूरत से ज्यादा न हों, इसके लिए उन्होंने μलीट ओनर्स को प्रीमियम पर 50 फीसद तक की छूट देना शुरू कर दिया है, लेकिन 70 फीसद छोटे आॅपरेटर तथा यूज्ड वाहन खरीदारों को कोई रियायत नहीं मिलती। बीमा कंपनियों के कार्टेल के कारण जहां पिछले दस सालों में मोटर प्रीमियम दरें आठ गुना तक बढ़ी हैं। वहीं बड़े कॉरपोरेट घरानों की प्रॉपर्टी इंश्योरेंस की दरें घट गई हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
देश में यातायात व्यवस्था को दुरस्त करने की दिशा में सरकार द्वारा नए कानून में कुछ प्रावधानों का विरोध कर रहे ट्रांसपोर्टरों की मांग पर परिवहन विशेषज्ञ वे ट्रांसपोर्टरों की हर मांग से सहमत नहीं हैं। इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक एस.पी. सिंह का कहना है कि सरकार को थर्ड पार्टी मोटर प्रीमियम व वाहन स्क्रैप नीति जैसे चंद मुद्दों को छोड़ ट्रांसपोर्टरों की किसी फालतू मांग के आगे नहीं झुकना चाहिए तथा परिवहन सुधार के एजेंडे को सख्ती से लागू करना चाहिए।

27Mar-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें