शुक्रवार, 10 मार्च 2017

चुनावी नतीजे तय करेंगे सियासी दलों का दम!


पांच राज्यों के चुनाव की मतगणना आज
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का भी इम्तिहान
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों का इंतजार शनिवार को खत्म हो रहा है। मसलन शनिवार को उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से यह भी तय होने जा रहा है कि पीएम मोदी के नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक वाले फैसले से आम जनता कितनी सहमत रही है। वहीं चुनावों के नतीजों पर यह ीाी तय होगा कि दो दिन बाद रंगो के त्यौहार में कौन होली मनाएगा और किसका रंग बदरंग होगा।
देश के पांच राज्यों के संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में खासतौर पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सबसे ज्यादा निगाहें होंगी। शनिवार को आने वाले चुनाव नतीजे ही तय करेंगे कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर व गोवा में किस राजनीतिक दल की सत्ता आएगी। जिस तरह से एग्जिट पोल ने राजनीतिक दलों की चिंताओं को बढ़ाया है और यदि नतीजे उसी तरह त्रिशंकु जैसी स्थिति पैदा करते हैं तो राजनीतिक दलों के सामने सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनीतिक जोड़-तोड़ करने की भी एक बड़ी चुनौती होगी।
किसकी मनेगी होली 
यह इत्तिफाक है कि वर्ष 2012 के इन पांचों राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा व मणिपुर में हुए चुनाव के नतीजे भी होली के पर्व से दो दिन पहले ही आए थे। उसी तरह दो दिन बाद रंग-बिरंगी होली है, जो सियासत की जंग लड़ चुके नेताओं के लिए खुशी तो अधिकांश के लिए बदरंगी होली साबित होना तय है। ये चुनाव नतीजे ही दो दिन बाद होली रंगों का आधार तय करेंगे कि कौन-कौन प्रत्याशी जीत हासिल करके होली के रंगो में सरबोर होगा या फिर किन-किन प्रत्याशियों के लिए होली के रंग बदरंगी हो जाएंगे। इन्हीं कयासों के साथ चुनावी परीक्षा के परिणाम की घड़ी नजदीक आते देख राजनीतिक साख दांव पर लगा चुके राजनीतिक दल और उनके दिग्गज नेताओं के दिलों की धड़कने भी बढ़ती नजर आ रही है। इस बार इन पांच राज्यों में खासकर यूपी के चुनाव में जिस तरह के शब्दबाणों ने सियासी मर्यादाओं को लांघा है और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस लिहाज से भी शनिवार को आने वाले चुनावी नतीजों के बाद सभी सियासी दलों के दमखम सार्वजनिक होने जा रहा है। वहीं शनिवार को आने वाले पांचों राज्यों के चुनावी नतीजें ही तय करेंगे कि किस दल या किस प्रत्याशी की होली मनेगी और कौन-कौन प्रत्याशी सियासी जंग में धरातल पर नजर आएंगे।
नोटबंदी व सर्जिकल स्ट्राइक का असर
इन पांचों राज्यों के चुनाव नतीजे सभी प्रमुख सियासी दलों और उनके नेताओं की हैसियत भी तय करने जा रहे हैं। जिसमें भाजपा के खिलाफ लामबंदी करने में जुटे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और यहां तक कि आम आदमी पार्टी एक दूसरे से भी हाथ मिलाने की फिराक में हैं, जिन्होंने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के अलावा एलओसी में आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल के फैसले के विरोध में मोदी सरकार को लगातार निशाने पर रखा है। सभी विपक्षी दलों ने संसद का शीतकालीन सत्र तक नहीं चलने दिया था। इसलिए ये चुनावी नतीजे यह भी तय करेंगे कि मोदी सरकार का नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक से आम जनता कितनी सहमत है। हालांकि नोटबंदी के बाद देश में जितने भी चुनाव, उप चुनाव और यहां तक कि स्थानीय निकायों चुनावों में भाजपा का बेहताशा ग्राफ बढ़ा है। गौरतलब है कि नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी दलों को अभी तक जनता का समर्थन नहीं मिल सका है।

इन दलों की साख का सवाल
इन पांच राज्यों में खासकर उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के चुनाव कई राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं की के लिये साख भी इन चुनावों में दांव पर लगी हुई है, जिसमें सत्तारूढ सपा के अलावा भाजपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं पंजाब में आप के अरविंद केजरीवाल की साख दांव पर हैं, जो जीते तो पार्ट टाइम से फुल टाइम सियासी खिलाड़ी बन जाएंगे अन्यथा उनकी हार सेटबैक साबित होगी। पंजाब में भाजपा-अकाली दल, के अलावा कांग्रेस भी सत्ता में आने के लिए पूरी ताकत झोंक चुकी है। उत्तराखंड में भाजपा व कांग्रेस का कड़ा मुकाबला है, जबकि गोवा में भाजपा से मुकाबला करके आप के केजरीवाल भी दल भर रहे हैं, तो मणिपुर में कांग्रेस को सत्ता से हटाकर भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी है।
भाजपा जीती तो राज्यसभा में बढ़ेगी ताकत
मोदी सरकार के नोटबंदी के विरोध में विपक्षी दलों की सियासत को दरकिनार करके यदि एग्जिट पोल के मुताबिक भाजपा को इन राज्यों में जीत मिलती है तो यह मोदी की जीत में एक बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश होगा। सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह होगी कि राज्यसभा में भाजपा की ताकत सबसे भारी हो जाएगी और लोकसभा की तरह केेंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा को राज्यसभा में भी महत्वपूर्ण बिल पास कराने के लिए ज्यादा विरोध नहीं झेलना पड़ेगा। यदि खासकर यूपी में भाजपा को बड़े अंतर से जीत मिलती है तो राज्यसभा में भाजपा के सांसदों की संख्या बढ़ना तय है।
राष्ट्रपति के चुनाव में फायदा
इन पांच राज्यों में भाजपा की जीत का इसी साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी फायदा होगा। मसलन राष्ट्रपति का चुनाव 4 हजार 896 जनप्रतिनिधि मिलकर करते हैं। इनमें से 776 सांसद लोकसभा और राज्यसभा से होते हैं। जबकि देश के अलग-अलग राज्यों के 4 हजार 120 विधायक भी राष्ट्रपति चुनावों में वोटिंग करते हैं। इन विधायकों के वोटों का मूल्य राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। इसलिए भाजपा के जितने विधायक इन चुनावों में जीत दर्ज करेंगे उतना ही फायदा भाजपा को होगा। उत्तर प्रदेश के विधायकों की राष्ट्रपति चुनाव में सबसे बड़ी भूमिका होगी।
11Mar-2017

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