बुधवार, 8 मार्च 2017

यूपी चुनाव: अब नतीजों को लेकर बढ़ी सियासी बेचैनी

402 सीटों पर लिखी गई 4843 प्रत्याशियों की तकदीर
1457 अमीर व 859 दागी भी हुए ईवीएम में कैद
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
सत्रहवीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के गठन के लिए 403 में से 402 सीटों पर 4843 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है और कल गुरुवार को एक सीट के लिए 10 उम्मीदवारों का फैसला होना बाकी है। मसलन यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर बड़े-बड़े दिग्गजों की दांव पर लगी प्रतिष्ठा अब 11 मार्च को आने वाले चुनावी नतीजों पर टिकी है, जिसके इंतजार के लिए सियासी दलों में बेचैनी बढ़ना शुरू हो गया है।
उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए आज बुधवार को अंतिम चरण तक यूपी की 403 में से 402 सीटों पर संपन्न हुए चुनाव में ईवीएम में अपनी किस्मत कैद करा चुके 4843 प्रत्याशियों में 2316 यानि 47.82 फीसदी आपराधिक पृष्ठभूमि और धनकुबेर प्रत्याशी भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से सियासी दलों ने अमीरों और दागियों पर चुनावी दांव लगाया है उससे ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि 17वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा में अमीरों और दागियों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि इस बार चुनावी जंग लड़ने वालों में पढ़े लिखे नेताओं की भी कमी नहीं रहीहै। यूपी चुनाव में इन 402 सीटों पर प्रमुख दलों भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद, सीपीआई, सीपीआईएम, राकांपा के प्रत्याशियों के अलावा 1774 यानि 36.40 फीसदी प्रत्याशियों ने पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों के बैनर पर चुनाव लड़ने वाले भी शामिल है। जबकि इन सभी सातों चरणों में 1459 यानि 30.13 फीसदी निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी दांव खेल चुके हैं। ईवीएम में अपना भविष्य कैद करा चुके उम्मीदवारों में 445 यानि 9 फीसदी महिलाएं भी शामिल हैं।
सभी ने खेला दागियों व अमीरों पर दांव
यूपी चुनाव में छोटे या बड़े दलों में कोई ऐसा नहीं रहा जिसने सत्ता के लिए इस सियासी जंग में अमीर और दागी प्रत्याशियों पर दांव न खेला हो। चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके 4843 प्रत्याशियों में 859 यानि करीब 18 फीसदीदागियों और 1457 यानि 30 फीसदी अमीरों पर सियासी दांव खेला जा चुका है। यानि ईवीएम में अपनी किस्मत कैदकरा चुके दागी 859 प्रत्याशियों में से संगीन मामलों में लिप्त करीब 704 यानि 81.96 फीसदी उम्मीदवार भी शामिल हैं, हालांकि दागियों में आधे भी जीतते हैं तो उत्तर प्रदेश का भविष्य किस दिशा में जाएगा यह वक्त ही बता सकेगा।
बसपा ने सभी को पछाड़ा
उत्तर प्रदेश के इस चुनाव में 402 सीटों पर ईवीएम में कैद करा चुके 859 दागी उम्मीदवारों में 704 यानि करीब 81.96फीसदी तो ऐसे दागी हैं जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, अपहरण जैसे संगीन मामलों में मुकदमें दर्ज हैं। अंतिम चरण में आज बुधवार को 40 सीटों पर हुए चुनाव समेत 402 सीटों के लिए ईवीएम में अपनी तकदीर कैद करा चुके 4843 प्रत्याशियों में ऐसे दागी 859 उम्मीदवारों की बात की जाए तो इसमें खास बात यह है कि सबसे ज्यादा 150 दागी नेताओं को बसपा ने टिकट देकर अन्य सभी दलों को बौना साबित किया है। जबकि भाजपा ने 137, सपा ने 113, रालोद ने 56, कांग्रेस ने 36 दागियों को गले लगाया है। जबकि दागियों में लोकदल के 16, पीसपार्टी के 15, सीपीआई के 11, एआईएमआईएम के 10, राकांपा सीपीएम के पांच, अपना दल के चार, राकांपा और भारतीय समाज पार्टी के तीन-तीन प्रत्याशी शामिल हैं। वहीं 150 निर्दलीयों समेत 300 दागी अन्य छोटे दलों के टिकट पर चुनाव लड़चुके हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले चुनाव में 16वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में 403 सीटों पर विभिन्न दलों ने 759 दागियों पर दांव खेला था, जिनमें से सपा के 111 समेत कुल 189 अपराधिक छवि वाले विधायक निर्वाचित हुए थे।
कुबेरों ने भी लिखी इबारत
उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए सियासी दलों ने 1457 यानि करीब 30 फीसदी करोड़पति प्रत्याशियों का भी सहारा लिया है। यानि 402 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा चुके 4823 प्रत्याशियों में बसपा ने सबसे ज्यादा 335, भाजपा ने302, सपा ने 243, रालोद ने 99 व कांगे्रस ने 75 धनकुबेरों पर अपना सियासी दांव चलाया है। इनके अलावा 24 लोकदल, 17 पीस पार्टी, दस एआईएमआईएम, आठ अपना दल ने धनकुबेरों का सहारा लिया है, जबकि 182 करोड़पति प्रत्याशी निर्दलीय रूप से चुनावी जंग लड़कर यूपी विधानसभा में दाखिल होने का सपना संजोय हुए है।

पढ़े-लिखे प्रत्याशियों का बढ़ा ग्राफ
यूपी की 402 विधानसभा सीटों के चुनाव में सबसे ज्यादा 2299 यानि 48 फीसदी प्रत्याशी स्नातक और उससे ज्यादाशैक्षित योग्यता वाले ईवीएम में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। जबकि 1991 यानि 41 प्रतिशत पांचवी से 12वीं तक पढ़े लिखे हैं। यही नहीं इस चुनाव में 54 प्रत्याशी तो ऐसे अनपढ़ हैं जिन्हें अक्षर तक का ज्ञान नहीं है, जबकि 356 साक्षर सामने आए हैं। मौजूदा विधानसभा में 92 विधायक स्नातक, 76-76 विधायक पोस्ट ग्रजुएट व 12वीं पास हैं,पेशवर स्नातकों की संख्या भी 63 है। इसके जबकि आठ डॉक्टरेट की उपाधि वाले विधायक भी हैं। यही नहीं 14 साक्षर और चार अनपढ़ विधायक भी पिछले चुनाव में निर्वाचित हुए थे।
इन विधायकों की चुनौती
यूपी की 17वीं विधानसभा के गठन के लिए 403 सीटों के लिए 311 विधायक फिर से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। खास बात है कि पिछले पांच साल में इन विधायकों की संपत्तियों में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है। मसलन इन विधायकों की वर्ष 2012 में औसत संपत्ति 3.49 करोड़ प्रति विधायक थी, जो मौजूदा चुनाव में करीब दो गुना होकर 6.33 करोड़ रुपये हो चुकी है।
09Mar-2017

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