बुधवार, 15 मार्च 2017

नमामि गंगे मिशन: अब उत्तराखंड का होगा कायाकल्प!


दिल्ली समेत चार राज्यों में 19 अरब की 20 परियोजनाएं मंजूर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार ने नमामि गंगे मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए गंगा की सफाई हेतु 20 और परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिन्हें दिल्ली, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में जल्द शुरू किया जाएगा। इनमें अकेले 13 परियोजनाएं उत्तराखंड में चलाई जाएगी।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति ने गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान में तेजी लाने के लिए करीब 19 अरब रुपये लागत वाली 20 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान कर दी है। कार्यकारी समिति द्वारा मंजूर की गई 20 परियोजनाओं में से 415 करोड़ रुपये की 13 परियोजना उत्तराखंड में शुरू होंगी, जिनमें नए मलजल उपचार संयंत्रों की स्थापना, मौजूदा सीवर उपचार संयंत्रों का उन्नयन और हरिद्वार में मलजल नेटवर्क कायम करने जैसे कार्य शामिल हैं।
उत्तराखंड पर मेहरबान केंद्र
उत्तराखंड के लिए नमामि गंगे के तहत मंजूर हुई 13 परियोजनाओं में से चार परियोजनाओं के जरिए अलकनंदा नदी का प्रदूषण दूर किया जाएगा, ताकि नीचे की तरफ नदी की धार का स्वच्छतर प्रवाह सुनिश्चित हो सके। इसमें गंदे पानी के नालों को नदी में जाने से रोकने हेतु उनका मार्ग बदलना, बीच मार्ग में अवरोधक संयंत्र लगाने के साथ ही चार महत्वपूर्ण स्थानों जोशीमठ, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और कीर्तिनगर में नए लघु एसटीपीज लगाने के लिए करीब 78 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। वहीं गंगा का प्रदूषण दूर करने के लिए ऋषिकेश में 158 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से एक बड़ी परियोजना के तहत पर्वत से उतरकर मैदानी भाग में जैसे ही गंगा प्रवेश करते ही उसमें मिलने शुरू होने वाले नगरीय प्रदूषकों से निपटने की दिशा में ऋषिकेश में सर्व-समावेशी परियोजना शुरू की जाएगी। इसी प्रकार ऋषिकेश संबंधी इस विशेष परियोजना में लक्कड़घाट पर 26 एमएलडी क्षमता के नये एसटीपी का निर्माण किया जाएगा जिसके लिए आॅनलाइन निगरानी प्रणाली की भी व्यवस्था है।
हरिद्वार में कायाकल्प की तैयारी
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में सरकार बनने पर हरिद्वार का कायाकल्प करने पर जोर दिया है, जो देश के सर्वाधिक पवित्र शहरों में से एक है। सरकार की इस अनुमोदित योजना का लक्ष्य न केवल शहर के 1.5 लाख स्थानीय निवासियों, बल्कि विभिन्न प्रयोजनों के लिए इस पवित्र स्थान की यात्रा करने वाले लोगों द्वारा उत्सर्जित मलजल का उपचार भी करना है। इन सभी परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण वित्त पोषण किया जाएगा। यहां तक कि इन परियोजनाओं के प्रचालन और रख-रखाव का खर्च भी केंद्र सरकार वहन करेगी।

दिल्ली में पाइपलाइने बिछेगी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 665 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से उत्कृष्ट प्रदूषक मानकों के साथ 564 एमएलडी क्षमता के अत्याधुनिक ओखला मलजल उपचार संयंत्र के निर्माण की परियोजना भी अनुमोदित की गयी है। यह संयंत्र मौजूदा एसटीपी चार चरण में पूरा किया जाएगा। इसके अलावा पीतमपुरा और कोंडली में 100 करोड़ रुपये से अधिक अनुमानित लागत वाली नई मलजल पाइपलाइनें बिछाने की दो परियोजनाएं भी मंजूर की गयी है, ताकि रिसाव रोका जा सके।
बिहार व झारखंड को 335 करोड़
पटना में कर्मालिचक और झारखंड में राजमहल में 335 करोड़ रुपये से अधिक लागत से मलजल निकासी संबंधी कार्यों का भी कार्य समिति की बैठक में अनुमोदन किया गया। वाराणसी में, जहां वर्ष भर लाखों तीर्थ यात्री आते हैं, गंगा के प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए सार्वजनिक-निजी-भागीदारी यानी पीपीपी मॉडल वाली 151 करोड़ रुपये की परियोजना का भी कार्यकारिणी की बैठक में अनुमोदन किया गया।
16Mar-2017

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