मंगलवार, 21 मार्च 2017

बिना फास्टैग के नहीं दौड़ सकेंगे सरकारी वाहन

सरकार ने इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह के लिए किया अनिवार्य
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय राजमार्गो पर बने टोल नाकों पर समय और धन की बचत के साथ जाम की समस्या से निपटने के लिए देश में इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह की योजना को तेजी के साथ चलाया है, जिसमें केंद्र सरकार ने देश में सभी सरकारी तथा सरकार से अनुबंधित वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2015 में ही राष्ट्रीय राजमार्गो पर निजी वाहनों के सफर को सुगम बनाने की दिशा में टोल प्लाजाओं पर टोल संग्रह के कारण आने वाली बाधाओं को दूर करने की दिशा में इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग व्यवस्था को शुरू दी थी। इस व्यवस्था के लिए पिछले साल सितंबर में सरकार ने आरएफआईडी यानि रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग को ‘फास्टैग’ नामक स्मार्ट टैग का लोगों भी जारी कर दिया था। केंद्र सरकार के इस दिशानिर्देश का मकसद निजी वाहनों को फास्टैग के लिए प्रोत्साहित करना भी है। दरअसल पिछले दिनों केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में अंतरमंत्रालयी बैठक में सरकारी वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य करने पर मुहर लगाई गई, जिसके बाद मंत्रालय से सभी राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी किये गये। वहीं सभी केंद्रीय मंत्रालय इसके लिए अपने संबन्धित विभगों, निगमों तथा उनके द्वारा अनुबंधित सभी ट्रकों के लिए फास्टैग लेना जरूरी करने वाले ऐसे दिशा निर्देश जारी कर रहे हैं, जिनके लिए सहमति बनाई गई है। मसलन अब कोई भी सरकारी वाहन टोल रोड़ से बिना फास्टैग के नहीं गुजर पाएगा। सरकार इस योजना के जरिए देश में देश में इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को बढ़ावा देने के लिए हर कदम उठा रही है।
ऐसे काम करेगा फास्टैग
मंत्रालय के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूलने की दिशा में नेशनल हाइवे के प्रत्येक टोल प्लाजा पर एक विशिष्ट ‘फास्टैग लेन’ बनाना अनिवार्य किया गया है। टोल प्लाजा की इस लेने से केवल उन्हीं वाहनों को जाने की अनुमति होगी, जिन पर इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग के लिए स्मार्ट टैग ‘फास्टैग’ लगा होगा। ऐसे वाहन जब फास्टैग लेन से गुजरेंगे तो उनके खाते से टोल की राशि का स्वत: ही भुगतान होकर पहले टोल संचालक और बाद में रोड डेवलपर के खाते में चली जाएगी। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक फास्टैग लेन में केवल टैग लगे वाहन ही जाएं और बिना टैग वाले वाहन उस लेन से दूर रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए ही यह व्यवस्था लागू की जा रही है। इससे इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग में यातायात जाम से निजात मिलेगी और यातायात को व्यवस्थित बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
तेजी से बिक रहे हैं फास्टैग
फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के लिए जरूरी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) डिवाइस है। जिसे वाहन के विंड स्क्रीन पर लगाया जाता है। फास्टैग लगा वाहन जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग वाली लेन से गुजरता है, उसका टोल अपने आप उसके खाते से कटकर टोल प्लाजा का प्रबंधन करने वाली कंपनी के खाते में चला जाता है। गत 25 फरवरी तक देश में 3,42,500 फास्टैग जारी किए जा चुके थे,जिनके जरिए कुल 353.37 करोड़ रुपये का टोल संग्रह हो चुका है।
पेट्रोलियम मंत्रालय सबसे आगे
अंतर मंत्रालीय बैठक में गडकरी के साथ केई विभागों के केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए, जिनमें पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने अपने मंत्रालय में इस दिशानिर्देश से पहले ही फास्टैग प्रणाली को अंगीकृत कर लिया था। इसके लिए सड़कमंत्रालय ने दावा किया कि पेट्रोलियम मंत्रालय से संबन्धित विभागों के तहत तेल व गैस कंपनियों के 50 हजार ट्रक फास्टैग से लैस हो चुके हैं। इससे र्इंधन पहुंचाने में टोल बैरियरों पर इन वाहनों को धन और समय की बचत हो रही है।
22Mar-2017

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