मंगलवार, 28 मार्च 2017

एक अप्रैल से देशभर में लागू होगा ‘बस बॉडी कोड’



सड़क हादसे रोकने को आगे बढ़ी सरकार!
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में बढ़ते हुए सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में केंद्र सरकार ने अरसे से की जा रही मशक्कत के बाद उस अवधारणा को अंतिम रूप दे दिया है, जिसमें बसों से होने वाले सड़क हादसों को टाला जा सकेगा। मसलन इस अवधारणा के तहत देशभर में आगामी एक अप्रैल से ‘बस बॉडी कोड’ लागू होने जा रहा है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार देश में हर साल बढ़ते जा रहे बस हादसों पर शिकंजा कसने की दिशा में आगामी एक अप्रैल से ‘बस बॉडी कोड’ लागू करने का निर्णय लिया है। इस प्रकार के कोड को लागू करने की अवधारणा पर पिछले कई सालों से पूर्ववर्ती सरकार भी मशक्कत करती रही है, लेकिन ‘बस बॉडी कोड’ की अवधारणा को लेकर लंबे समय से चल रहे कई अनुसंधान और अध्ययन के आधार पर मौजूदा केंद्र सरकार ने इसे अंतिम रूप दिया। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश में सड़क हादसों को रोकने के उपायों को लेकर इस अवधारणा के तहत अब एक अप्रैल से ‘बस बॉडी कोड’ को सख्ती से लागू करने के दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं।
कोड के ये होंगे मायने
सूत्रों के अनुसार ‘बस बॉडी कोड’ को लंबी चौड़ी रिसर्च के बाद अंतिम रूप कुछ साल पहले ही अंतिम रूप तो दे दिया गया था, लेकिन देश में छोटे बस बॉडी बिल्डरों अथवा बड़ी वाहन निमार्ता कंपनियों के विरोध के चलते इस अवधारणा को लागू नहीं किया जा सका। सरकार का ‘बस बॉडी कोड’ लागू करने का मकसद नए मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों में सड़क सुरक्षा खासकर सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की उच्च प्राथमिकता को अपनाना है। सरकार को उम्मीद है कि एक अप्रैल से इसके लागू होने के मायने होंगे कि किसी भी नई बस को फिटनेस सर्टिफिकेट तभी दिया जाएगा, जब उसके पास उस बॉडी निमार्ता का एआरएआई जैसी अधिकृत संस्था का सर्टिफिकेट होगा। इसके लागू होने के बाद या तो वाहन निमार्ता कंपनियां ही बस कोड के अनुसार तैयार फुल बिल्ट बसें उपलब्ध करवाएंगी, या फिर मान्यता प्राप्त बॉडी बिल्डरों से ही बसों की बॉडी का निर्माण करवाना होगा।
नियमों पर सख्त सरकार
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस साहसिक निर्णय लेते हुए ‘बस बॉडी कोड’ नियम से किसी भी प्रकार से
समझौता करने को तैयार नहीं है और इसे सख्ती से लागू करने के लिए निर्देश जारी किये जा चुके हैं। बसों को
फिटनेस जैसे प्रमाणपत्र देने वाली एआरएआई जैसी संस्था के सूत्रों की माने तो एक अप्रैल से उन्हीं नई बसों का पंजीकरण होगा जो बॉडी कोड के आधार पर बनाई गई होंगी। हालांकि राजस्थान व महाराष्टÑ जैसे कुछ राज्यों में इसे लागू किया जा चुका है और अन्य राज्य की सरकारें भी इस दिशा में सख्ती बरतने की तैयारी में हैं।
रडार पर ‘ट्रक बॉडी कोड़’
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार देश में सड़क हादसों को रोकने की दिशा में इस प्रकार के नियमों को वाहनों की बॉडी को मजबूत बनाने वाला कदम जरूरी है, ताकि दुर्घटना होने पर जनहानि को रोका जा सके। इसलिए अब नए वाहन बनाने वाली कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि नये चेचिस की बस व ट्रक जैसे वाहनों की बॉडी को नियम यानि लागू किये जा रहे कोड के तहत ही बनाना सुनिश्चत करें। निर्देश स्पष्ट हैं कि कोड के आधार पर ही परिवहन विभाग ऐसे वाहनों का पंजीकरण करके उसे परमिट जारी करेगा। सूत्रों ने बताया कि बसों के बाद अगले चरण में सरकार ‘ट्रक बॉडी कोड’ लागू करने के लिए ट्रक की बॉडी बनाने का काम भी वाहन बनाने वाली कंपनियों को सौंपने की तैयारी में सरकार का मकसद केवल हर हालत में सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों में ज्यादा से ज्यादा कमी लाना है।

नियम का उल्लंघन पड़ेगा भारी
मंत्रालय के अनुसार अधिकृत बॉडी बिल्डर यदि नियमानुसार बसें नहीं बनाएंगे तो उन्हें तीन साल की सजा भुगतनी होगी, जिसके साथ 10 लाख रुपए तक का जुमार्ना भी लगाने का प्रावधान किया गया है। मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत सभी परिवहन विभागों ने हाल ही में बस बॉडी कोड सिस्टम लागू किया है। इसमें बस हादसे में होने वाली जनहानि को रोकने के लिए सिर्फ शासन द्वारा अधिकृत बॉडी बिल्डर्स द्वारा बनाई गई बसों को ही पंजीकरण करने का प्रावधान किया गया है।
छोटे निमार्ता दायरे में नहीं
सूत्रों की मानें तो नई व्यवस्था के बाद कुछ बॉडी बिल्डर्स ही बसों का निर्माण कर पाएंगे। इसके कारण छोटे व्यापारी इस क्षेत्र से बाहर हो जाएंगे। वहीं कोड के अनुसार वर्कशॉप करने में होने वाले बड़े खर्च की पूर्ति के लिए बस निर्माण महंगा होगा, जिसका सीधा असर बस मालिक पर पड़ेगा।
29Mar-2017

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