शनिवार, 4 मार्च 2017

सिंधु बेसिन नदियों पर आगे बढ़ा केंद्र

शाहपुर कंडी बांध पर जल्द शुरू होगा काम
पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बनी सहमति
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने सिंधु बेसिन पर बड़ा कदम बढ़ाते हुए शाहपुर कांडी बांध परियोजना पर फिर से काम शुरू करने केलिए पंजाब और जम्मू-कश्मीर को राजी कर ऐसा समझौता करा दिया है कि जल्द ही इस बांध का काम शुरू हो जाएगा।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच विवाद के कारण जम्मू-कश्मीर के अधूरी शाहपुर कांडी बांध परियोजना को जल्द ही पूरा करने की दिशा में जल संसाधन मंत्रालय की मध्यस्थता में बड़ी पहल की गई है। मसलन सिंधु बेसिन की पूर्वी नदियों पर भारतीय अधिकारों के उपयोग करने की दिशा में मंत्रालय के आरडी एवं जीआर ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर दोनों राज्यों को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर के शाहपुर कंडी बांध पर फिर से जल्दी ही काम शुरू हो सकेगा। इसके लिए पंजाब व जम्मू-कश्मीर के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं, जिसमें पंजाब के सिंचाई सचिव के.एस. पन्नू और जम्मू एवं कश्मीर के सिंचाई सचिव सौरभ भगत ने केंद्रीय जल संसाधन सचिव डॉ. अमरजित सिंह की मौजूदगी में ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार हालांकि परियोजना पर कार्य फिर से शुरू करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों को समझौते को मंजूरी देनी होगी।
क्या है परियोजना
सिंधु बेसिन की पूर्वी नदियों पर स्वदेशी अधिकारों की दिशा में 2285.81 करोड़ रुपये लागत वाली शाहपुर कांडी बांध परियोजना को अप्रैल 2008 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना में शामिल कर लिया गया था, जिसमें सिंचाई और जलापूर्ति घटक के कार्यों के लिए बची लागत के लिए जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एवं जीआर 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्रदान करता है। गौरतलब है कि पंजाब के गुरदासपुर स्थित शाहपुर कांडी परियोजना का निर्माण गत मई1999 में शुरू हो गया था, लेकिन दोनों राज्यों के बीच कुछ विवाद पैदा हो जाने के कारण वर्ष 2014 से निर्माण कार्य रोक दिया गया। जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एवं जीआर द्वारा दोनों राज्यों के बीच विवाद सुलझाने का हर संभव प्रयास किया गया और इसका सकारात्मक परिणाम अब पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच समझौते के रूप में सामने आया है। परियोजना पूरी होने पर इससे 206 मेगा वाट बिजली मिलने की संभावना है।
कैसे बनी सहमति
इस बांध परियोजना के स्वरूप पर दोनों राज्यों के बीच पहले से ही सहमति बनी हुई थी, जिस पर अब दोनों राज्य फिरसे सहमति हुए हैं। जबकि जम्मू एवं कश्मीर के 1150 क्यूसेक पानी की आवश्यक हिस्सेदारी के लिए समवर्ती मॉडल का अध्ययन किया जाएगा जो दोनों रज्यों के लिए बाध्यकारी होगा। परियोजना का क्रियान्वयन पंजाब सरकार द्वारा जारी रखा जाएगा, लेकिन परियोजना की निगरानी के लिए सीडब्ल्यूसी की अध्यक्षता में एक त्रिपक्षीय समिति की व्यवस्थाहोगी, जो जरूरी होने पर तथा कम से कम महीने में एक बार बैठक करेगी। इस त्रिपक्षीय समिति में अन्य दो सदस्यपंजाब और जम्मू एवं कश्मर के दोनों मुख्य इंजीनियर होंगे। समझौते के अनुसार बांध के लिए भूमि अधिग्रहण के एवज में बकाये मुआवजे की राशि का भगुतान पंजाब सरकार तत्परता से करेगी। वहीं दोनों राज्यों के पी एंव आर समझौते केअनुसार पलायन के शिकार लोगों को भी पंजाब सरकार रोजगार मुहैया कराएगी। इस समझौते के तहत स्थाई सिंधु आयोग के भी इस महीने के आखिर में सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) से संबद्ध विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने की संभावना है। शाहपुर कांडी बांध से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित थीन बांध की बाबत जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजे की वजह से पंजाब शेष खर्च वहन करेगा।

पाक तल्खी बनी वरदान
सूत्रों की माने तो उरी आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत ने पिछले साल पाकिस्तान के साथ इस संधि पर वार्ता रद्दकरने का फैसला किया था। केंद्र में राजग सरकार ने भी बेसिन नदी जल के इस्तेमाल में इजाफा कर संधि के तहत अपने अधिकारों के इस्तेमाल का फैसला किया। मसलन अब तक भारत अपने हिस्से के नदी जल का कम ही इस्तेमाल कर पा रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक बयान में सिंधु नदी के जल पर गंभीरता दिखाई, जिसका परिणाम इससमझौते के सकारात्मक कदम के रूप में सामने आया।
05Mar-2017

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