गुरुवार, 9 मार्च 2017

देश में जल सरंक्षण का सबब हो सकती है ये तकनीक!


राजस्थान में सिरे चढ़ने लगा जल स्वावलम्बन अभियान
ओ.पी. पाल
बांसवाडा(राजस्थान)

देशभर में बुंदेलखंड जैसे ऐसे बहुत से इलाके हैं जहां आजादी के बाद से गिरते भूजल स्तर के कारण सूखे, पानी की कमी जैसे संकट की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, लेकिन राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के विरान पड़े व्यापक आदिवासी इलाकों में जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए जल संरक्षण हेतु मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान का असर दिखा  है, वह तकनीक देशभर में जल संरक्षण का सबब बन सकती है।
दरअसल पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों के सूखे को खत्म करने के लिए इस अमेरिकी तकनीक को भारत में इजाद करके राज्य सरकार की मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत पायलट परियोजना के रूप में लागू कराने वाले श्रीराम वेदिरे को बेहतर हुए भूजल से प्रμफुलित बांसवाड़ा के आदिवासी गांवों के लोग भगवान के रूप में देख रहे हैं। वर्षो तक अमेरिका में जल संरक्षण पर अध्ययन करने वाले श्रीराम वेदिरे को राजस्थान सरकार ने राजस्थान बेसिन प्राधिकरण का चेयरमैन बनाकर उनके तकनीकी दल को जल संरक्षण का जिम्मा सौंपा, जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा। जल संरक्षण के लिए वर्षा की एक-एक बंूद को पहाडी इलाकों से नीचे न आने की इस अनूठी तकनीक के असर को एक राष्ट्रीय प्रेस प्रतिनिधिमंडल ने भी ऐसे इलाकों में धरातल पर उतरते देखा, जिसमें ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि कुछ महीनों में जिस प्रकार से उन्हें पीने, सिंचाई और अन्य कार्यो के लिए उन्हें पानी मुहैया होने लगा है आगे जाकर वे एक के बजाए तीन-तीन फसले एक साल में ले सकते हैं।
राज्य की बदली तस्वीर: वेदिरे
राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना का नेतृत्व कर रहे श्रीराम वेदिरे ने हरिभूमि संवाददाता को बताया कि इस योजना के पहले चरण में ही बांसवाड़ा के गांवों में सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं, जिसका प्रयोग करने से बुंदेलखंड से लेकर असम तक पहाड़ी और पूर्वोत्तर तक जल संकट की समस्या का समाधान संभव है। वेदिरे का कहना है कि राजस्थान में जल संरक्षण के इस अनूठे अभियान के लिए वर्ष 2011 से कवायद की जा रही थी, जिसका नतीजा अब इस अभियान के धरातल पर उतरने से राजस्थान की तस्वीर बदलने लगी है। भूजल स्तर के मामले में पूरे देश की हालत खराब है और भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए सभी तरह से प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत हुए कार्यों से भू-जल स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। बुंदेलखंड के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती भी इस तकनीक पर उनके साथ चर्चा कर चुकी हैं। राजस्थान में चलाई जा रही जल स्वावलंबन अभियान के तहत इस परियोजना के अवलोकन के समय आयोजित कई कार्यक्रमों में प्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ बांसवाडा के जिलाधिकारी भगवतीप्रसाद, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परशुराम धानका, अधीक्षण अभियंता दीपक श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के उपनिदेशक (जनसंपर्क) अरूण जोशी, उप वन संरक्षक अमरसिंह गोठवाल, अधीक्षण अभियंता एचएस पठान, संबंधित विभागीय अधिकारी भी मौजूद रहे।
ये होगा दूसरे चरण का गणित
बांसवाड़ा और जिले के घोड़ी तेजपुर गांव में इस परियोजना के सकारात्मक परिणाम को लेकर आयोजित कार्यशाला में वेदिरे ने कहा कि प्रदेश में प्रथम चरण में 3 हजार 529 गांवों में एक लाख वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स का निर्माण कराया गया और 28 लाख पौधरोपण किया। इस चरण में 55 करोड़ रुपये के जनसहयोग से 41 लाख लोगों और 45 लाख पशुओं को जल से राहत मिली र्है है। वेदिरे ने बताया कि इसके दूसरे चरण के तहत 4 हजार 214 गांवों में 1843 करोड़ के प्रस्तावित एक लाख 37 हजार 753 कार्यों में से 8 हजार 726 कार्यों को भी पूरा किया जा चुका है। इस कार्यशाला में राज्य के पंचायत राज और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि जल संरक्षण के उद्देश्य से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा चलाया गया मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान हिन्दुस्तान का पहला अभियान है और इस अभियान को राजस्थान में ही नहीं अपितु पूरे देश में सराहा गया है।

तीन फिट पर निकलेगी जलधारा
राजस्थानी पहाड़ों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स के निर्माण के बाद भूजल स्तर में हुई बढ़ोत्तरी का दावा करते हुए वेदिरे ने अपनी तकनीकी दल को श्रेय देते हुए कहा कि जल्द ही तीन फीट की खुदाई करते ही पानी की धारा निकलना शुरू हो जाएगी। ऐसा इस आदिवासी इलाके में ग्रामीणों की मुस्कान परियोजना के तहत बनाए गए वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स के कारण हो पाया है। तीन फिट पर निकलेगी जलधारा राजस्थानी पहाड़ों में वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स के निर्माण के बाद भूजल स्तर में हुई बढ़ोत्तरी का दावा करते हुए वेदिरे ने अपनी तकनीकी दल को श्रेय देते हुए कहा कि जल्द ही तीन फीट की खुदाई करते ही पानी की धारा निकलना शुरू हो जाएगी। ऐसा इस आदिवासी इलाके में ग्रामीणों की मुस्कान परियोजना के तहत बनाए गए वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स के कारण हो पाया है। परियोजना के तकनीकी अधिकारी राकेश रेड्डी ने बताया गया कि 8.80 एमसीएफटी भराव क्षमता के इस टेंक का निर्माण 80 लाख रुपयों की लागत से किया गया है और इससे 50 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्राप्त हो रही है।
10Mar-2017

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