शनिवार, 11 मार्च 2017

नोटबंदी के फैसले पर लगी जनता की मोहर!


पांच राज्यों के चुनावी नतीजा
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विपक्षी दलों की गोलबंदी को नकार भाजपा ने रचा इतिहास
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड में ऐतिहासिक और प्रचंड बहुमत रचने वाली भाजपा की जीत ने साबित कर दिया है कि पीएम मोदी के नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक के फैसले पर जनता ने मोहर लगा दी है। हालांकि मोदी के इन फैसलों के बाद देश में जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें भाजपा को लगातार ऊर्जा मिलती आ रही है।
देश के पांच राज्यों में केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा के लिए इसलिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने की दिशा में कालेधन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी और आतंकियोें के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक का साहसिक फैसला किया था। इस फैसले के खिलाफ जनता की समस्या के बहाने कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने जबरदस्त विरोध ही नहीं किया, बल्कि संसद के शीतकालीन सत्र को हंगामे की भेंट करने के साथ हाल में हुए पांच राज्यों के चुनाव में भी इन मुद्दों को जनता के बीच उठाकर विरोध जताया। गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने संसद और संसद से बाहर इन मुद्दों के विरोध मोदी पर लगातार निशाने साधते हुए इन चुनाव में खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी, लेकिन इन फैसले का विरोध करते हुए देश के इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस, सपा व बसपा जैसे दलों को उलटे बड़े पैमाने पर सियासी नुकसान का सामना करना पड़ा है। 
यूपी व उत्तराखंड में भगवा का परचम
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत और मणिपुर व गोवा में सबसे ज्यादा वोट बटोर कर भाजपा ने साबित कर दिया है कि पीएम मोदी के नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक के फैसले का जनता को पूरा समर्थन है, जिसने विपक्षी दलों के इन मुद्दों के विरोध को एक तरफा नकार कर करारा जवाब दिया है। हालांकि पंजाब में भाजपा को अकाली-भाजपा की हार के पीछे नोटबंदी या सर्जिकल स्ट्राइक के फैसले के कारण को राजनीतिक विशेषज्ञ भी नकार रहे हैं, जहां बदलाव के कारण सत्ता परिवर्तन माना जा रहा है। राजनीतिकारों की माने तो नोटबंदी के फैसले के बाद जितने भी संसदीय, विधानसभा, विधान परिषद या स्थानीय निकाय के देश के विभिन्न राज्यों में चुनाव या उप चुनाव हुए हैं उनमें भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ता नजर आया है। गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने संसद और संसद से बाहर इन मुद्दों के विरोध मोदी पर लगातार निशाने साधते हुए इन चुनाव में खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी, लेकिन इन फैसले का विरोध करते हुए उलटे कांग्रेस, सपा व बसपा जैसे दलों को बड़े पैमाने पर सियासी नुकसान का सामना करना पड़ा है। मसलन पांचों राज्यों में ही मोदी सरकार की गरीबोन्मुखी नीतियों और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की सोशल इंजीनियरिंग वाली रणनीति की जीत देकर विपक्षी दलों को करारा जवाब दिया है।

हम तो डूबेंगे सनम..
यूपी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को मिली करारी शिकस्त के पीछे सपा के नये-नये बने प्रमुख एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा कांग्रेस के साथ गठबंधन करना भी बड़े नुकसान का कारण बना है। सपा-कांग्रेस के गठबंधन को लेकर ‘हम तो डूबेंगे सनम-तुम्हें भी ले डूबेंगे’ जैसी कहावत भी पूरी तरह से चरितार्थ होती नजर आई। मसलन सपा ने तो सियासी नुकसान उठाया है वहीं कांग्रेस का जनाधार का ग्राफ भी तेजी से नीचे आ गया है। जहां तक बसपा के इस गठबंधन से भी पिछड़ने का कारण है उसके बारे में राजनीतिकारों की माने तो पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले से सबसे ज्यादा दुखी बसपा प्रमुख मायावती ही नजर आई थी, जिसको नोटबंदी के कारण भारी नुकसान उठाने की बात भी सामने आई हैं? सपा की करारी हार के पीछे चुनाव से एनमौके तक चलते रहे सपा परिवार के दंगल में पिता मुलायम सिंह यादव को आइना दिखाने का भी शायद जनता ने जवाब दिया है।
12Mar-2017

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