सोमवार, 20 मार्च 2017

यूपी: योगी सरकार की चुनौती भी कम नहीं!

कानून व्यवस्था दुरस्त करना, सकारात्मक काम से जितना होगा विश्वास
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश में सत्ता काबिज करने के बाद भाजपा ने आदित्यनाथ योगी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपकर जो दावं खेला है, इस दावं में योगी सरकार के सामने चौतरफा चुनौतियां ज्यादा होंगी। मसलन यूपी जैसे सूबे में सबसे बड़ी चुनौती कानून व्यवस्था बहाल करने की होगी। हालांकि सूबे के विकास, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और युवाओं के रोजगार सृजन जैसी संतुलन बनाकर पहल शुरू करने की चुनौतियां भी योगी सरकार के लिए कम नहीं होंगी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की अप्रत्याशित बहुमत योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की बागडौर सौंपी है, जिसमें भाजपा ने सत्ता संतुलन और राज्य की राजनीति की जातिवाद अवधारणा को साधने के लिए योगी के सहयोग के लिए भाजपा ने दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य को भी उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की सरकार के सामने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए बड़ी चुनौतियां भी होंगी। योगी मंत्रीमंडल मेंपूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक को साधा गया है। जहां तक मुख्यमंत्री योगी की व्यक्तिगत चुनौती का सवाल पर विश्लेषकों की माने तो उन्हें फायरब्रांड की उस छवि को बदलना होगा, जिसमें वे कुछ बयानों पर विवादों की सुर्खियां बने हैं। वहीं उनके जिम्में राजनीति और धर्म फर्क समझाने का दारोमदार भी होगा। दरअसल योगी के मुख्यमंत्री बनने से सूबे के अल्पसंख्यक वर्ग में एक बेहतर शासक की छवि को पेश करने की चुनौती से निपटने के लिए उनके विश्वास को जीतना होगा।
कानून व्यवस्था में सुधार
उत्तर प्रदेश में पिछली समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति सभी राजनीतिक दलों और आम जनता की चिंता का विषय रही है। वैसे भी भाजपा ने अपने चुनावी वादों में सूबे की जनता को कानून व्यवस्था दुरस्त करने और गरीबों के हितों को साधने का वादा किया है। विशेषज्ञों के अनुसार सपा सरकार में प्रशासनिक और पुलिस प्रशासन स्तर पर जिस प्रकार से जाति विशेष धर्म विशेष के लोगों की महरबानी देखी गई है को दूर करके संतुलन बनाने की चुनौती होगी। कानून व्यवस्था को दुरस्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदितयनाथ को राज्य में पुलिस कर्मियों की कमियों को भी केंद्र सरकार से तालमेल करके पूरा करने की चुनौती होगी। इसी दायरे सपा शासनकाल के दौरान महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठे अविश्वास के सवालों को सूबे से खत्म करने की जरूरत शामिल है। मसलन प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव करने की बड़ी चुनौती होगी।
सामाजिक समरसता में संतुलन
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश को हमेशा ही जातिगत राजनीतिक गढ़ के रूप में देखा गया है, जहां जाति आधारितराजनीति के वर्चस्व के कारण विकास की सियासत दरकिनार रही है। ऐसे में योगी सरकार के सामने सूबे के हर इलाके के विकास के साथ जनता की बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत होगी। वहीं विकास के अलावा खासकर युवाओं के रोजगार की दृष्टि से औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन देने की योजनाएं पटरी पर उतारने की चुनौती होगी। भाजपा नीत यूपी सरकार को उस परंपरा को बदलकर सामाजिक समरसता में संतुलन साधना होगा, जिसमें सरकार को क्षेत्रवाद, धर्म या जातिवाद के दायरे में शामिल न किया जा सके।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को तरजीह हालांकि चुनावी प्रचार के दौरान भाजपा ने यूपी में सत्ता पाने के लिए जनता को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और युवाओं को रोजगार देने के साथ सूबे को विकास के रास्ते पर लाने के वादे किये, जिनमें खासकर गरीबों के हितों की योजनाओं को केंद्र में मोदी सरकार के तहत सूबे में लागू करने के वादे किये हैं। राज्य मेंं शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं को लेकर पिछली सरकारें सवालों के घेरे में रही हैं, जिनसे योगी सरकार को बचने के लिए ठोस कदम उठाकर जनता के हित में काम करने की जरूरत होगी।
20Mar-2017

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