सोमवार, 27 मार्च 2017

सुरक्षित सड़कों के निर्माण से थमेंगे हादसे?

बढ़ते  सड़कहादसों से संसद भी दिखी चिंतित
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के उपायों को लागू करने की दिशा में सरकार ने सुरक्षित सड़कों के निर्माण और उसमें अंतर्राष्ट्रीय मानको व तकनीक की अनिवार्यता पर बल दिया है। दुनिया के मुकाबले सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों की भारत में बढ़ती संख्या को लेकर संसद में भी चिंता जताई जा रही है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नीतिन गड़करी ने देश में बढ़ते सड़क हादसों के उन जटिल कारणों का पता लगाने के लिए अध्ययन कराये हैं जिनके कारण सड़क हादसे हो रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार देश में वाहन चालकों की चूक, वाहनों में यांत्रिकीय दोष, पैदल यात्रियों की चूक, खराब सड़के, खराब मौसम, वाहनीय आबादी में बढ़ोतरी, जनसंख्या और वाहनों में वृद्धि के अलावा यातायात के लचीले नियम जैसे कारण हादसों को रोकने में बाधक बने हुए हैं। इन्हीं कारणों के आधार पर सड़क परियोजनाओं के अलावा यातायात नियमों को सख्त बनाने की दिशा में नया मोटर वाहन अधिनियम तैयार किया गया है, जो अभी तक संसद में लंबित है। मंत्रालय का मानना है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद नए नियमों से निश्चित रूप से अंकुश लगने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि प्रस्तावित नए संशोधित कानून के प्रावधानों के लागू होते ही देश की यातायात व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन होगा।
संसद में जताई गई चिंता
राज्यसभा में सोमवार को ही कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा, रजनी पाटिल व दर्शन सिंह आदि सदस्यों ने देश में बढ़ते सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों पर गहरी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार द्वारा की जा रहे प्रयासों और उनकी परियोजनाओं को लेकर सवाल किये। ऐसे सवालों के जवाब में सरकार की ओर से सुरक्षित सड़कों के निर्माण करने और निर्माण कार्याे की गुणवत्ता के लिए इंजीनियरों तथा निर्माण एजेंसियों को जिम्मेदार बनाने की जानकारी के अलावा नए मोटर वाहन संशोधन अधिनियम में किये गये सख्त प्रावधानों को लागू करने की बात कही। सरकार का मानना है कि नए यातायात कानून में यातायात संबन्धी उल्लंघनों के जिम्मेदार वाहनों और उनके चालकों पर भारी जुर्माना और सजा के प्रावधान किये गये हैं। सरकार ने देश में दुर्घटनाओं वाले करीब 800 स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित कर वहां सड़क डिजाइन को बदलने की योजना शुरू की है।
तीन साल में सवा चार लाख मौत
केंद्रीय सड़क मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर की जाए तो वर्ष 2013 से 2015 तक यानि तीन साल में 31681 सड़क
हादसों में करीब 4.24 लाख लोगों को असामयिक मौत के मुहं में जाना पड़ा है, जो दुनियाभर के देशों के मुकाबले भारत पर किसी कलंक से कम नहीं है। सबसे ज्यादा 10876 सड़क हादसे वर्ष 2015 में हुए जिनमें करीब 1.47 लाख लोगों की मौत हुई है। केंद्रीय मंत्री पहले ही सड़क हादसों को रोकने की योजना बनाकर 2020 तक सड़क हादसो में होने वाली सालाना मौतों में 50 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य तय कर चुके हैं।

उत्तर प्रदेश अव्वल
देशभर मेें सड़क हादसों के मामले में उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर है, जहां तीन साल में सर्वाधिक 49957 मौत हो चुकी है, जिसके बाद तमिलनाडु में 46395, महाराष्ट्र में 39044 मौते सड़क हादसों के कारण हुई हैं। छत्तीसगढ़ में इन तीन सालों में दुर्घटनाओं के शिकार होकर 11581 लोगों को अपनी जीवन लीला खोनी पड़ी है। जबकि मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 26471 मौतों का है। इसी प्रकार हरियाणा राज्य में भी इन तीन सालों में सड़क हादसों के कारण 13879 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
28Mar-2017

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