मंगलवार, 21 मार्च 2017

जीएसटी कानून लागू करने राह हुई आसान!

केंद्रीय कैबिनेट ने दी जीएसटी के चार विधेयकों को मंजूरीओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में एक समान कर की दिशा में मोदी सरकार द्वारा आगामी एक जुलाई से जीएसटी कानून लागू करने की राह आसान हो गई है। जीएसटी परिषद में स्वीकृति के बाद सोमवार को जीएसटी से संबन्धित चार विधेयकों के मसौदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इन विधेयकों को मौजूदा सत्र के दौरान ही संसद में पेश किया जाएगा।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जीएसटी से संबंधित केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक(सीजीएसटी), समन्वित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक (आईजीएसटी), यूनियन टेरीटरी वस्तु एवं सेवाकर विधेयक(यूजीएसटी) और वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। सरकार जुलाई में देशभर में जीएसटी कानून लागू करने की इस कवायद में अब इन विधेयकों को संसद में पेश करेगी। इन चारों विधेयकों को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद द्वारा पिछले छह महीनों में हुई करीब एक दर्जन बैठकों के दौरान हर खंड पर मंथन करने के बाद मंजूरी दी जा चुकी है।
क्या हैं विधेयकों के प्रावधान
जीएसटी से संबन्धित सीजीएसटी विधेयक में केन्द्र सरकार द्वारा अन्त: राज्य वस्तु अथवा सेवाओं पर अधिभार एवं कर के संग्रहण के प्रावधान किए गए हैं। जबकि आईजीएसटी विधेयक में वस्तु अथवा सेवाओं अथवा केन्द्र सरकार द्वारावस्तु और सेवाओं की अन्त: राज्य आपूर्ति पर अधिभार एवं कर के संग्रहण के प्रावधान शामिल हैं। इसी प्रकार यूटीजीएसटी विधेयक में विधान के बगैर संघ क्षेत्रों में वस्तु एवं सेवाओं के संघ क्षेत्र इतर संग्रहण पर अधिभार के प्रावधान किए गए हैं। मसलन संघ क्षेत्र जीएसटी के सदृश राज्य वस्तु एवं सेवाकर (एसजीएसटी) जो राज्यों व संघ क्षेत्रों द्वारा राज्य इतर माल अथवा सेवाओं अथवा दोनों की सप्लाई पर राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) लगाया जाएगा। संविधान के खण्ड 18 (एक सौ एक वां संशोधन) अधिनियम, 2016 के अनुसार पांच वर्ष की अवधि के लिए वस्तु एवं सेवाकर के कार्यक्रम के फलस्वरूप राज्यों को होने वाले नुकसान के लिए इस मुआवजा विधेयक में मुआवजे काप्रावधान रखा गया है।
ई-कॉमर्स कंपनियां देंगी टीसीएस
जीएसटी कानून के तहत स्नैपडील और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने आपूर्तिकतार्ओं को भुगतान करते हुए अनिवार्य रूप से एक फीसद टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रहण) काटना होगा। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के एक जुलाई से लागू होने की संभावना है। उसमें ई-कॉमर्स आॅपरेटरों की ओर से एक फीसद टीसीएस कटौती का प्रावधान है। मसलन इन आॅनलाइन आॅपरेटरों पर इस बात की जिम्मेदारी होगी कि वे विक्रेताओं के भुगतान में से टैक्स काटकर सरकारी खजाने में जमा कराएंगें।
21Mar-2017

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