संसद में गतिरोध बरकार, हंगामे के आसार
पुराने कामकाज को आगे बढ़ाएगी सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
‘नौ
दिन चले अढ़ाई कोस’ वाली यह लोक कहावत संसद के मानसून सत्र में चरितार्थ
होती दिख रही है, जहां सरकार और विपक्ष के बीच कुछ मुद्दोें को लेकर जारी
गतिरोध के कारण लगातार हंगामे के कारण अभी तक कोई कामकाज आगे नहीं बढ़ सका
है। सरकार लगभग एक सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़े मानसून सत्र की गुरुवार को
होने वाली संसद की कार्यवाही में पहले दिन से लंबित कामकाज को ही आगे
बढ़ाएगी। जबकि सरकार के प्रयासों के बावजूद गतिरोध खत्म न होने से संसद में
अभी हंगामे के आसार बने हुए हैं।
आगामी 13 अगस्त तक चलने वाले
संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों की अभी तक निर्धारित सात बैठकों में
मंगलवार और बुधवार की कार्यवाही को पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल
कलाम के निधन के कारण स्थगित कर दिया गया था, जबकि उससे पहले पांच दिन की
बैठकों में ललित गेट और व्यापम घोटाले समेत कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ
आक्रमक कांग्रेस व अन्य कुछ विपक्षी दलों के हंगामे के कारण दोनों सदनों
में ही विधायी और अन्य कामकाज पटरी पर नहीं आ सका। हालांकि दूसरे सप्ताह की
सोमवार को लोकसभा में हुई कार्यवाही के दौरान विपक्ष के हंगामे के बावजूद
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल शुरू कराया, लेकिन वह भी पूरा
नहीं चल सका था। दोेनों सदनों में अभी तक मौजूदा सत्र में शोरशराबे और
हंगामे के बीच कुछ आवश्यक रिपोर्ट व दस्तावेज जरूरी सदन के पटल पर रखे गये,
लेकिन सरकार प्राथमिकता वाले किसी विधेयक को संसद में पेश नहीं कर पायी और
न ही किसी मुद्दें पर कोई चर्चा हो सकी है। संसद में जारी गतिरोध को खत्म
करने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास भी हुए, यहां तक सरकार का
नेतृत्व कर रही भाजपा ने भी संसद में कांग्रेस को घेरने के लिए
कांग्रेसशासित राज्यों के मुद्दों पर आक्रमक रूख अपनाया, लेकिन इस गतिरोध
के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। गुरुवार को संसद की कार्यवाही भी
जारी इस गतिरोध के चलते हंगामे की भेंट चढ़ने की संभावना की ओर ही इशारा कर
रही है।
सरकार पर बढ़ा कामकाज का दबाव

दो दिन के स्थगन पर उठे सवाल
संसद
के दोनों सदनों की कार्यवाही को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के
निधन के कारण दो दिनों के लिए स्थगित करने पर सवाल खड़े हो गये। मसलन डा.
ऐपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि 'मेरी मौत के बाद कोई छुट्टी मत
करना। मुझे सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो एक दिन ज्यादा काम करना।' जैसे
तर्को के साथ संसद में दो दिन के अवकाश को लेकर सोशल मीडिया में सवाल उठाये
जा रहे हैं। जबकि लोकसभा में सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग लोकसभा
में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नियमों का हवाला
देते हुए की थी, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया। जबकि इसी मांग के
आधार पर राज्यसभा में भी दो दिन अवकाश की घोषणा हुई। जबकि राज्यसभा में एक
दिन के स्थगन का ऐलान हुआ तो बाद में इसी नियमावली के तहत बाद में दो दिन
के अवकाश की घोषणा की गई।
क्या है नियमावली
संसद
में साधारण कार्य नियमावली के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री व पूर्व
राष्ट्रपति के निधन व दिल्ली में उनके अंतिम संस्कार की स्थिति में संसद
में एक दिन का अवकाश होगा। जबकि राष्ट्रीय राजधानी के बाहर अंतिम संस्कार
होने पर दो दिन के अवकाश का नियम है।
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