श्रम सुधारों पर आगे बढ़ी सरकार
बंडारू दत्तात्रेय की राज्यों के नाम पाती
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।

केंद्रीय श्रम एवं
रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय ने सभी राज्यों
के मुख्यमंत्रियों एवं राज्यपालों को एक पत्र के जरिए जहां श्रमिकों की
दैनिक मजदूरी में की गई बढ़ोतरी को कारगर ढंग से लागू करने का अनुरोध किया
है, वहीं सरकारी विभागों के साथ ही अन्य सार्वजनिक उपक्रमों, राज्य सहकारी
संस्थाओं एवं अन्य निकायों में कार्यरत आउट सोर्सिंग वाले कर्मचारियों को
सामाजिक सुरक्षा के दायरे में शामिल रखने को कहा है। केंद्र सरकार ने
राज्यों से कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज से जुड़ा अनुपालन
सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुए कहा कि संबंधित राज्य के मुख्य सचिव एवं
श्रम सचिव से इस संबंध में सभी विभागों तथा अन्य सार्वजनिक संस्थानों के
साथ बैठक करने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि हर कर्मचारी को सामाजिक
सुरक्षा के लाभ मिल सकें। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य प्रशासन अगर चाहे तो
वह इस संबंध में राज्य के अतिरिक्त केन्द्रीय भविष्य निधि आयुक्त प्रभारी
को सम्मिलित कर सकता है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय
मंत्री दत्तात्रेय द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से मिली जानकारी के
बाद इस संबन्ध में समीक्षा की है। समीक्षा रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए
हैं उसके अनुसार देश के राज्यों में विभिन्न विभाग, सार्वजनिक उपक्रम,
राज्य सहकारी संस्थाएं और राज्यों में कार्यरत अन्य सरकार संचालित निकाय
आउटसोर्सिंग के आधार पर बड़ी संख्या नियुक्तियों के बावजूद उन्हें सामाजिक
सुरक्षा का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी
इस मुद्दे के क्रियान्वयन पर नजर रखते हुए माना है कि सामाजिक सुरक्षा से
वंचित रखना किसी भी व्यक्ति का मानवाधिकार हनन की श्रेणी में आता है। इसलिए
मंत्रालय ने केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त को भी इस संबंध में राज्यों के
मुख्य सचिवों के संपर्क में रहने के लिए हिदायत दी है।
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‘‘केंद्र
सरकार देशभर में सरकारी और गैर सरकारी या अन्य श्रमिकों की सामाजिक,
आर्थिक सुरक्षा के अलावा उनके हितों की रक्षा के लिए श्रम कानूनों में आमूल
चूल बदलाव कर रही है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के खुलासे के बाद जो
तथ्य सामने आए हैं वे केंद्र की सरकार की योजनाओं को पलीता लगा सकते हैं।
इसलिए राज्यों को केंद्र सतर्क करके दिशा निर्देश देने को मजबूर हो रहा है।
यहां तक कि कर्मचारियों को केंद्र और राज्यों की सामान्य भविष्य निधि
योजना के दायरे में भी शामिल नहीं किया जा रहा है, जबकि कर्मचारी भविष्य
निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम-1952 के तहत सभी प्रकार के कर्मचारियों को
कवर किया जाना चाहिए। ऐसा न करना कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा अधिकारों
का उल्लंघन है।’’
--बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री
09July-201
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