शनिवार, 18 जुलाई 2015

संसद में मुकाबले को तैयार सरकार व विपक्ष!

सरकार ने बनाई विपक्ष से निपटने की रणनीति
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दों के पुलिंदे के साथ संसद में सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल लामबंदी करके अपनी रणनीति बना चुके हैं। वहीं सरकार ने भी विपक्षी दलों को माकूल जवाब देने के लिए अपनी खास रणनीति तैयार की है। ऐसे में आगामी मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र हंगामे पटरी पर आने की राह पर नजर आ रहा है। 
केंद्र सरकार की संसद के मानसून सत्र को सुचारू रूप से चलाने की दिशा में विपक्षी दलों को दलील दे रही है कि सरकार विपक्ष के हर मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा कराने को तैयार है, लेकिन सदन की कार्यवाही को बाधित करने वाली विपक्ष की रणनीतियों के मद्देनजर मोदी सरकार और उसकी पूरी टीम ने सभी पहलुओं से निपटने की तैयारी की है। केंद्र के वरिष्ठ मंत्रियों ने संसद में आने वाले विधेयकों और विधायी कार्यो के संबन्ध में गहन चर्चा की, जिसमें भूमि अधिग्रहण विधेयक के संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पर भी सरकार की नजरें लगी हुई हैं। मसलन ऐसे सात विधेयक हैं जिनकी विभाग संबन्धी संसद की स्थायी समितियों से संसद में रिपोर्ट पेश होनी है, जबकि नौ विधेयकों की मंजूरी सरकार पहले ही दे चुकी है। सूत्रों के अनुसार संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संसद के मानसून सत्र के लिए विधेयकों और विधायी कार्यो के साथ अन्य सरकारी कामकाज का एजेंडा भी तैयार कर लिया है, जिनमें संसदीय समितियों के आने वाली रिपोर्ट वाले विधेयक भी शामिल हैं। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष के मुद्दों पर कहा कि सरकार उनके हर मुद्दे पर चर्चा कराने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस जैसे जिम्मेदार दल चर्चा से भी दूर भागते नजर आते हैं। नकवी ने कहा कि विपक्षी दलों को संसद में अपनी सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। इसके बावजूद सदन में सरकार विपक्षी दलों के मुद्दो का सकारात्मक जवाब देने में पीछे नहीं हटेगी। दूसरी ओर 21 जुलाई से तीन सप्ताह यानि 13 अगस्त तक चलने वाले संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दल केंद्र सरकार को व्यापमं घोटाला, ललित मोदी विवाद, सामाजिक आर्थिक और जाति गणना जैसे अनेक कई सारे मुद्दों पर घेरने के लिए लामबंदी बनाकर रणनीति तैयार कर चुके हैं।
सरकार की खास चुनौती
संसद सत्र में सरकार के पास कई महत्वपूर्ण विधेयकों और विधायी कार्यो समेत अनेक जरूरी सरकारी काम का बोझ होगा। इसमें भूमि अधिग्रहण व जीएसटी जैसे कुछ ऐसे महत्वूपर्ण विधेयक हैं जिन्हें सरकार प्राथमिकता के साथ हर संभव पारित कराना चाहेगी। इसके अलावा सरकार के सामने लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन, रेलवे (संशोधन) विधेयक, राष्टÑीय जलमार्ग विधेयक, वनीकरण कोष से संबंधित विधेयक, बेनामी लेनदेन निषेध संशोधन विधेयक 2015 आदि शामिल है। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की संसद में मोर्चा खोलने की तैयारियों से इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संसद के मानसून सत्र शायद राजग सरकार के शासनकाल में सबसे ज्यादा हंगामेदार साबित होगा। इसका कारण है कि कांग्रेस की चेतावनी से संकेत मिल रहे हैं कि विपक्ष की प्राथमिकता वाले मुद्दों में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चैहान के इस्तीफे की मांग को लेकर ससंद की कार्यवाही पर संकट के बादल मंडराते नजर आ सकते हैं।
18July-2015

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