शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

सड़क निर्माण की रफ्तार में रोड़ा भूमि अधिग्रहण!

सरकार को भूमि अधिग्रहण पास होने का इंतजार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।

देशभर के दूर-दराज के इलाकों को राष्ट्रीय राजमार्गो से जोड़ने वाली सड़क परियोजनाओं को तेजी के साथ पूरा करना मोदी सरकार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार को उम्मीद है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित होने के बाद देशभर में सड़क परियोजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी, जिसमें अनेक महत्वपूर्ण सड़क परियोयजनाओं को शुरू करने के लिए भूमि अधिग्रहण की बाधा सरकार के सामने खड़ी हुई है। 
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गो और अन्य सड़क परियोजनाओं में निर्माण की गुणवत्ता को प्राथमिकता के मानक पर रखा है। सरकार के प्रतिदिन 30 किलोमीटर सड़क निर्माण के लक्ष्य के आधे से ज्यादा रास्ते यानि प्रतिदिन 15 किमी से ज्यादा सडक बनाने का काम किया जा रहा है। इस लक्ष्य के साथ सरकार पहले ही 40 हजार करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दे चुकी है। सरकार पर्यावरण जैसी मंजूरी की बाधाओं को तो कहीं हद तक दूर करने में आगे बढ़ी है, लेकिन कई ऐसी महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं के बीच भूमि अधिग्रहण की बाधा अभी मुहं बाए खड़ी हुई है। मंत्रालय की माने तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को परियोजनाएं पूरी करने में फिलहाल भूमि अधिग्रहण की समस्या सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। पर्यावरण की मंजूरी के बिना लंबित पड़ी ऐसी परियोजनाओं को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण पूरा करने में जुटा हुआ है। मंत्रालय के अनुसार संसद में लंबित भूमि अधिग्रहण के मद्देनजर सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि जब तक बीओटी (बनाओ,चलाओ, सौंप दो) परियोजनाओं के लिए कम से कम 80 फीसदी और ईपीसी (इंजीनियरिंग-खरीद-निर्माण) परियोजनाओं के लिए कम से कम 90 फीसदी भूमि अधिग्रहित नहीं कर ली जाती, तब तक ऐसी किसी भी सड़क परियोजना का कार्य प्राधिकरण को नहीं सौंपा जाएगा। मसलन सरकार को ऐसी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अब भूमि अधिग्रहण के संशोधनोें को मंजूरी मिलने का इंतजार है, जो संसद की संयुक्त समिति के पास है और उम्मीद है कि समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराने का हरसंभव प्रयास करेगी।
उम्मीदों पर टिकी निगाहें
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों यह भी संकेत दिये थे कि नई सड़क परियोजनाओं के लिए ठेका देना तब तक आसान नहीं होगा, जब तक भूमि अधिग्रहण, नियामकीय मंजूरी और वित्त प्रबंधन जैसी समस्याएं दूर नहीं कर ली जाती। इसके बावजूद पांच परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी साझेदारी मॉडल पर बोली आ चुकी है और 17 अन्य आवंटन के आखिरी चरण से गुजर रही है। देश की कुल सड़कों में राजमार्ग का अनुपात सिर्फ दो फीसदी है, जबकि 40 फीसदी वस्तुओं का परिवहन राजमार्गो से होता है। स्मार्ट सिटी बनाने की परियोजना के तहत भी सड़का निर्माण में तेजी लाना सरकार की प्राथमिकता है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक सरकार प्रतिदिन 30 किमी सड़क निर्माण करने के लक्ष्य को भी पार कर लेगी।
निर्माण में नई प्रौद्योगिकी पर जोर 
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरूवार को सरकार के देश में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में तेजी लाने के लक्ष्य को दोहराते हुए कहा कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ सड़क के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के तहत नई प्रौद्योगिकी और आधुनिकतम उपकरण विकसित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। इसका मकसद निर्माण में लागत कम करना भी है जिसके लिए सरकार ने नवाचार, उद्यमिता और प्रौद्योगिकी पर बल दिया है। इसके लिए यहां राजमार्ग उपकरण पर शुरू हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में गडकरी ने कहा कि सड़क निर्माण संबन्धी सभी उपकरण भारत में बनने से निर्माण की लागत स्वत: ही कम हो जाएगी। गडकरी का कहना है कि परिवहन की लागत कम करने के तहत ही आंतरिक जलमार्ग विकसित करने की योजना चलाई जा रही है।
10July-2015

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