संसदीय समिति की आधी सिफारिशें की नामंजूर
सांसदों के वेतन दोगुना करने के पक्ष में नहीं सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में गरीबों के हितों को साधने के इरादे से योजनाएं बना रही मोदी सरकार
शायद सांसदों पर मेहरबानी बिखरने के मूड़ में नहीं है। मसलन सांसदों के वेतन
और भत्तों संबन्धी संसद की संयुक्त समिति की सांसदों के वेतन को दोगुना
करने और अन्य सुविधाओं में इजाफा करने वाली ज्यादातर सिफारिशों को नामंजूर
कर दिया है।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और राज्यसभा के
सभापति हामिद अंसारी को हाल ही में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की
अध्यक्षता वाली इस संसदीय संयुक्त समिति ने एक रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट
में समिति ने सांसदों के वेतन को दोगुना करने और पूर्व सांसदों की पेंशन
में 75 प्रतिशत इजाफा करने समेत सांसदों और उनके परिवार व स्टाफ की
सुविधाएं बढ़ाने के इरादे से 65 सिफारिशें की थी। सूत्रों के अनुसार सरकार
ने समिति की आधी से ज्यादा सिफारिशों को मानने से इंकार कर दिया है। बताया
गया है कि सरकार ने मिली सिफारिशों में 18 प्रस्तावों को एक सिरे से
नामंजूर कर दिया है, जबकि 15 सिफारिशों से सरकार कतई सहमत नहीं है, जबकि
तीन प्रस्ताव ऐसे हैं जिन पर सरकार भविष्य में कोई निर्णय लेने के लिए
विचार करेगी, जिसमें सांसदों के वेतन को दोगुना करने और पूर्व सांसदों की
पेंशन में 75 प्रतिशत इजाफा करना भी शामिल है। इसके अलावा सरकार ने चार
प्रस्तावों में मौजूदा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत पर बल दिया है। सूत्रों
के अनुसार संसदीय समिति ने इन सभी सिफारिशों को वैसे तो 16 फरवरी को हुई
बैठक में ही अंतिम रूप दे दिया था, लेकिन इस मामले पर समिति ने एटीआर यानि
सरकार की कार्यवाही रिपोर्ट पर चर्चा के बाद सरकार को अपनी सिफारिशें
सौंपी। सूत्रों के अनुसार सरकार के सिफारिशों पर लिये गये निर्णय के बाद अब
संसदीय समिति 13 जुलाई को फिर बैठक करेगी, जिसमें एटीआर पर चर्चा के बाद
सरकार को फिर रिपोर्ट देगी।
नामंजूर हुई ये सिफारिशें

इन प्रस्तावों पर असहमति
केंद्र
सरकार संसदीय समिति की जिन सिफारिशों से कतई सहमत नहीं है उनमें सांसदों
की जीवनसाथी या सहयोगी को ट्रेन में फर्स्ट एसी की सुविधा देने, विदेश जाने
पर सांसद को लोकल फोन देने, पूर्व सांसदों को डिप्लोमैटिक पासपोर्ट मुहैया
कराने और हाइवे पर टोल टैक्स से छूट देने, दैनिक उपयोग की चीजों के लिए
कैंटीन की सुविधा देने के प्रस्ताव शामिल हैं। वहीं सरकार ने सांसदों के
कार्यलयों की मद में मिलने वाले भत्ते को सहायकों के बजाए सांसदों को देने
और पूर्व सांसदों को अंडमान -निकोबार और लक्षद्वीप की तर्ज पर लेह-लद्दाख
से हवाई यात्रा करने की सुविधा देने की सिफारिश पर भी असहमति जताई है।
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