सोमवार, 27 जुलाई 2015

संसद में ‘दाग-ए-मुकाबला’ थमने के आसार कम!

संसद का मानसून सत्र:
विपक्ष के गतिरोध को खत्म करने का प्रयास
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के मानसून सत्र की पहले चार दिन की कार्यवाही सरकार और विपक्ष के बीच जारी ‘दाग-ए-मुकाबला’ के कारण हंगामे की भेंट चढ़ गई है। कांग्रेस और भाजपा के बीच एक दूसरे पर लगे दागों को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोपों की होड़ ने संसद में पहले सप्ताह के चार दिनों तक कोई भी कामकाज नहीं होने दिया। सरकार के विपक्ष के बीच कुछ मुद्दों को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन अभी तक ऐसी कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया है। ऐसे में सोमवार को भी संसद में हंगामा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
संसद के मानसून सत्र के पहले चार दिन सरकार और विपक्ष के बीच कुछ दागी मुद्दों को लेकर टकराव चरम सीमा पर जाता नजर आया। संसद में इस गतिरोध के कारण संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयक और विधायी कार्यो के अलावा सभी कामकाज पूरी तरह से ठप रहा और दोनों सदनों की कार्यवाही विपक्ष खासकर कांग्रेस के हंगामे की भेंट चढ़ती नजर आई। सरकार और विपक्ष के बीच ललितगेट और व्यापम घोटाले को लेकर जारी तकरार यहां तक पहुंचा कि केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा ने भी कांग्रेसशासित राज्यों में पिछले एक दशक में हुए भ्रष्टाचार और घोटालों की परत दर परत खोलने का सिलसिला शुरू कर दिया, जिसमें उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मुद्दों पर भाजपा ने भी वहां के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग करके कांग्रेस की रणनीति से मुकाबला करना शुरू कर दिया। संसद में कांग्रेस लगातार ललितगेट में सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे तथा व्यापम घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर लगातार चार दिनों से दोनों सदनों में नारेबाजी व हंगामा करके कार्यवाही को ठप करने का काम करती आ रही है। इन मुद्दों को लेकर भाजपा व कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप के दौर में तर्को पर तर्को के तरकश के तीर भी चलाए जा रहे हैं। कांग्रेस को सरकार के खिलाफ कुछ अन्य दलों का भी समर्थन मिल रहा है, जिसके कारण दोनों सदनों में कार्यवाही पूरी तरह से बाधित रही है। कल सोमवार को भी भाजपा और कांग्रेस के एक-दूसरे के खिलाफ दागी मुद्दों को लेकर गतिरोध टूटने के आसार कम है, जिसके कारण संसद में हंगामे के आसार बने हुए हैं।
कांग्रेस ज्यादा आक्रमक
सरकार के लिए संसद में चार दिनों की कार्यवाही हंगामे के कारण बर्बाद होने के कारण महत्वपूर्ण विधेयकों और विधायी कार्यो को निपटाने का ज्यादा दबाव बन गया है, जिसके कारण सरकार चाहती है कि संसद में जारी इस गतिरोध को खत्म करके जरूरी कामकाज निपटाया जाए। इसके लिए सरकार की ओर से विपक्ष से निरंतर सदन और सदन से बाहर में भी सहयोग की अपेक्षा की जा रही है, लेकिन सरकार के कामकाज में विपक्षी दलों में कांग्रेस सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई है। इतना ही नहीं सरकार विवादित भूमि विधेयक पर भी नरमी के संकेत दे दिये हैं और जीएसटी पर प्रवर समिति ने भी सरकार की राह आसान बना दी है, लेकिन कांग्रेस इसमें भी असहमति पत्र देकर रोड़ा बनने का प्रयास कर रही है।
संसद में आज
संसद में सरकार के एजेंडे में मानसून सत्र की पांचवे दिन की कार्यवाही में कई महत्वपूर्ण कार्य सूचीबद्ध हैं। सोमवार को लोकसभा में सरकार ने जहां दिल्ली उच्च नयायालय (संशोधन) विधेयक, निरसन और संशोधन (चौथा) विधेयक के अलावा अनुसूचित व अनुसूचित जातियों के सशक्तीकरण और आरक्षण संबंधी लंबित एससी/एसटी अत्याचार निवारण तथा संविधान के (117वें संशोधन)विधेयक को पेश करेगी। इसके अलावा सरकार सदन में कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी कराना चाहती है। इसी प्रकार राज्यसभा में पिछले चार दिनों से लटकते आ रहे किशोर न्याय(बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक के अलावा सूचना प्रदाता संरक्षण (संशोधन) विधेयक तथा भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक को सूचीबद्ध किया है।
27July-2015


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