सर्वेक्षण और विकल्प की प्रक्रिया हो रही तेज
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत-बांग्लादेश
की सीमा पर पिछले चार दशकों से ज्यादा समय से खानाबदोशी की हालत में
जिंदगी चलाते आ रहे 51 हजार से ज्यादा लोगों को जल्द ही भारत या
बांग्लादेशी नागरिक के रूप में पहचान मिल जाएगी। दोनों देशों की सीमाओं पर
इन बस्तियों का निर्धारण इसी माह पूरा करने की तैयारी में दोनों देश जुटे
हुए हैं।
भारत और बांग्लादेश ने ऐतिहासिक भू-सीमा समझौते के तहत
अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले भू-भाग के एकीकरण के तहत एक दूसरे के
सीमा क्षेत्र में स्थित 162 बस्तियों में रहने वाले करीब 51, 584 लोगों की
राष्ट्रीयता की पसंद को दर्ज करने के लिए एक संयुक्त सर्वेक्षण करने का
काम शुरू किया हुआ है। दोनों देशों की सीमावर्ती बस्तियों के लोगों से
पांच-पांच अधिकारियों वाली 50 संयुक्त अधिकारियों की टीमों द्वारा भारत या
बांग्लादेश का विकल्प चुनने पर बातचीत की जा रही है। जो जिस देश की नागरिता
चुनना चाहता है उसकी सूचियां बनाई जा रही है। मसलन जो नागकरिक जिस देश को
चुनेंगे उसे उसी देश की नागरिता मिल जाएगी और अपने देश की सीमा में रहने के
लिए अधिकृत हो जाएंगे। बांग्लादेश में 111 भारतीय बस्तियों और भारत में 51
ऐसी बस्तियों में सर्वेक्षण का काम तेजी के साथ किया जा रहा है। सूत्रों
के अनुसार विकल्प चुनने के लिए किये जा रहे सर्वेक्षण के काम 23 जुलाई तक
पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद नागरिकों की सूची को दोनों देशों के
संबंधित प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी जानी हैै। दोनों देशों द्वारा 41 साल
पुराने भू-सीमा विवाद को क्षेत्रों के आदान प्रदान के जरिए सुलझाने के लिए
किए गए ऐतिहासिक समझौते के ठीक एक माह बाद सर्वेक्षण शुरू किया गया है।
दोनों देशों को उम्मीद है कि इस सर्वेक्षण के बाद सीमा पर इन बस्तियों का
आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया को 31 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा। एक
आंकड़े के मुताबिक बांग्लादेश के भीतर 111 भारतीय बस्तियों में कुल 37,369
लोग हैं, जबकि भारतीय क्षेत्र में 51 बांग्लादेशी बस्तियों में 14, 215 लोग
रहते हैं। एक सर्वेक्षण के दौरान यह भी तथ्य सामने आए हैं कि भारत के भीतर
51 बांग्लादेशी बस्तियों में रहने वाले लोग भारतीय नागरिकता के लिए और
बांग्लादेश के भीतर 111 भारतीय बस्तियों में से 99 बस्तियों के 223
परिवारों के 1057 लोगों ने भारत की नागरिकता लेने की इच्छा प्रकट की है।
रिकार्ड बुक में दर्ज होगा इतिहास
गृह
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अगस्त के शुरू में बांग्लादेश के सीमा
सुरक्षा बल के महानिदेशक मेजर जनरल अजीज अहमद के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल
भारत आएगा। भारत में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक देवेन्द्र
कुमार पाठक के नेतृत्व में भारतीय शिष्टमंडल के साथ वार्ता करेगा। इस
वार्ता के दौरान होने वाली बैठकों में सीमा की बुनियादी औपचारिकता को पूरी
करने के लिए दोनों पक्षों के बीच वार्ता के एक संयुक्त रिकार्डबुक पर
दस्तखत होंगे, जिसमें निश्चित तौर पर दोनों देशों के बीच एलबीए पर ऐतिहासिक
दस्तखत किए जाने के बाद उभरने वाले नए मुद्दे शामिल होंगे। इस दौरान दोनों
देशों के बीच होने वाली इस वार्ता में केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विदेश
मंत्रालय और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधि
भी शामिल रहेंगे।
क्या है सीमा समझौता
भारत
सरकार बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौता निर्धारण करने के लिए जो
संवैधानिक संशोधन विधेयक संसद में मई माह में पारित किया गया था। उसके जरिए
जरिए भूमि के आदान-प्रदान में असम, मेघालय, पश्मि बंगाल और त्रिपुरा की
सीमाओं पर प्रभाव पड़ेगा। बांग्लादेश से भारत के पास और भारत से बांग्लादेश
के पास कितनी जमीन जाएगी, इसका भी खाका समझौते के आधार पर तैयार हो चुका
है।
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भारत के पास आएगी 2,777.038 एकड़ भूमि
पश्चिम
बंगाल में कुल 2398.05 एकड़ जमीन आएगी, जिसमें बेरूबाड़ी, सिंगपाडा़,
खुदीपाड़ा (पंचागढ़-जलपाईगुड़ी) में 1374.99 एकड़, पकुडिया में 536.36 एकड़, चार
महिषकुंडी में 393.33 एकड़ तथा हरीपल-53.37 एकड़ भूमि शामिल है। मेघालय में
240.578 एकड़ तथा त्रिपुरा में 138.41 भूमि आनी है।
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बांग्लादेश के पास जाएगी 2,267.682 एकड़ भूमि
पश्चिम
बंगाल से बांग्लादेश के पास कुल 1,957.59 एकड़ भूमि जानी है। इसमें
बोशूमढ़ी-मधुगड़ी से 358.25 एकड़, आंध्राकोट से 338.79 एकड़ तथा बेरूबाड़ी
(पंचागढ़-लपाईगुड़ी) से 260.55 एकड़ भूमि शामिल है। जबकि मेघालय से 41.702 एकड़
तथा असम से 268.39 एकड़ भूमि जानी है।
20July-2015
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