रविवार, 12 जुलाई 2015

भूमि अधिग्रहण पर मुख्यमंत्रियों से चर्चा करेंगे पीएम


नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के मानसून सत्र में खाासकर भूमि अधिग्रहण विधेयक और जीएसटी विधेयक के प्रावधानों को लेकर चल रहे विपक्षी दलों के विरोध से निपटने के लिए सरकार ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करने का फैसला किया है। संसद सत्र से पहले शायद इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बहाने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इन विवादित मुद्दों पर सहमति हासिल करने की रणनीति अपनाई है।
संसद में लंबित विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक संसदीय संयुक्त समिति और जीएसटी राज्यसभा की प्रवर समिति के पास है। समितियां इन विधेयकों पर अपनी सिफारिशों के साथ संसद के 21 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट सदन में पेश करेंगी। खासकर भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष के हमलों का सामना करती आ रही मोदी सरकार ने मानसून सत्र से पहले ही विधेयक के विवादित मुद्दों पर राज्यों के साथ सहमति बनाने की एक कोशिश की है, यही विवाद जीएसटी के प्रावधानों को लेकर बना हुआ है, जिन पर मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करना सरकार ने बेहतर समझा है, ताकि संसद में सरकार विपक्ष को माकूल जवाब दे सके। 15 जुलाई को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक बुलाई है, जिसमें कुछ केंद्रीय मंत्रियों के अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी सदस्य हैं। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में भूमि अधिग्रहण विधेयक और जीएसटी में विवादित प्रावधानों पर मुख्यमंत्रियों से चर्चा करेंगे और सरकार का प्रयास होगा कि इन मुद्दों पर वह राज्यों की सहमति हासिल करके संसद में आए। गौरतलब है कि मुख्यमंत्रियों के समूह की रिपोर्ट पर अंतिम सैद्धांतिक फैसला होने के बाद वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों को दिए गए फंड के इस्तेमाल पर भी इस बैठक में चर्चा होने की संभावना है, जिसमें ज्यादातर राज्य 90:10 अनुपात का विरोध कर रहे है और इसे 50:50 के अनुपात करने की मांग कर रहे हैं।

ममता ने किया किनारा
सूत्रों के अनुसार भूमि अधिग्रहण विधेयक में किये गये संशोधनों का निरंतर विरोध करती आ रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी, जिसके लिए ममता ने कुछ पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों की व्यवस्तता का बहाना करते हुए पहले ही प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर बता दिया है। मानसून सत्र से पहले बैठक बुलाने का कारण भी यही माना जा रहा है कि सरकार हर हालत में भूमि अधिग्रहण विधेयक को मानसून सत्र में पारित कराना चाहती है जिसमें मुख्यमंत्रियों की आमसहमति बनाकर सरकार इस बिल का विरोध करती आ रही कांग्रेस पार्टी और कुछ विरोधी दलों को जवाब दे सके। गौरतलब है कि कांग्रेस शासित राज्यों ने पार्टी लाइन के हिसाब से भूमि विधेयक का विरोध तेज कर रखा है। जबकि इससे पहले इन राज्यों ने भी केंद्र के सहमति वाले प्रावधान, सामाजिक प्रभाव का मूल्यांकन और गैर-इस्तेमाल वाली जमीनों को लेकर प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया था।
उप समितियों की रिपोर्ट पर भी होगी चर्चा
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की गत आठ फरवरी को हुई पहली बैठक में तीन उप समितियाँ बनाई गई थी, जिसमें 66 केन्द्र पोषित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान, क्षेत्रीय विशेषता के तहत कौशल विकास संबन्धी मामलों की अध्यक्षता पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और स्वच्छता को भारतीय जीवन में पूर्ण शुचिता से अंगीकार करने वाली संस्थागत प्रणाली को विकसित करने और गरीबी उन्मूलन पर सुझाव देने वाली उप समिति की अध्यक्षता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को सौंपी गई थी। इन तीनों उप समितियों में से केवल शिवराज सिंह चौहान ही अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप चुके हैं।
12July-2015




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