सड़क हादसों पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती!
सरकार ने तैयार की व्यापक कार्ययोजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दुनिया
में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा हो रही मौतों को रोकने के लिए केंद्र
सरकार ने कई मेगा योजनाओं का खाका तैयार किया है, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं पर
अंकुश लगाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। केंद्र सरकार ने नए सिरे से सभी
राज्यों में संभावित दुर्घटनाग्रस्त स्थानों की पहचान करके एक ऐसी व्यापक
कार्ययोजना बनाने की तैयारी कर रही है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाकर
सड़क के सफर को सुगम बनाया जा सके।
केंद्र की मोदी सरकार ने जहां
देश में सौ स्मार्ट सिटी की योजना के मद्देनजर स्मार्ट परिवहन इंफ्राटक्चर
को भी बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग
मंत्री नितिन गडकरी ने इस दिशा में हाल ही में यातायात और परिवहन उद्योग से
जुडे नीति और निर्णय निर्माताओं और हितधारकों के साथ एक सम्मेलन में सड़क
दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में विस्तार से चर्चा की और सुझाव
मांगे। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस दौरान संभावित दुर्घटनाग्रस्त
स्थानों की पहचान करने पर बल दिया, ताकि उन स्थानों के सड़क डिजाइन और
तकनीकी रूप से बदलाव किया जा सके, जिसमें सड़क यातायात को सुगम बनाया जा
सके। मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 'भारत में बनाओ'
और 'स्मार्ट शहरों’ की तर्ज पर देश में ‘स्मार्ट परिवहन प्रणाली’ को विकसित
करने पर बल दिया है। सूत्रों के अनुसार वित्तपोषण स्मार्ट परिवहन पहल के
लिए सरकार एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करने में जुट गई है। सरकार का मकसद
है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में ज्यादा से ज्यादा कमी लाकर
वैश्विक स्तर पर लगे इस धब्बे को मिटाने के लिए देशभर में संभावित
दुर्घटनाग्रस्त यानि ब्लैक स्पॉटों की पहचान करके सड़क अनुसंधान और तकनीकी
को बढ़ावा दिया जाए जिसके लिए परिवहन उद्योगों को भी इस पहल से जुड़ने का
आव्हान किया जा रहा है।
यूपीए ने भी बनाई थी योजना
पूर्ववर्ती
यूपीए सरकार ने भी वर्ष 2012 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट की
पहचान कराई थी, लेकिन इस कार्य में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल,
हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत मात्र 13 राज्यों में ही
अंजाम दिया जा सका था। राज्य सरकार और जिला प्रशासन व पुलिस विभाग की मदद
से इसमें केवल उन राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों को ही चुना गया था, जो राज्य के
25 प्रमुख नगरों व कस्बों के भीतर या नजदीक से गुजरते हैं। इस प्रयास में
इन 13 राज्यों में केवल ज्यादा दुर्घटना वाले 325 ऐसे ब्लैक स्पॉट की पहचान
की गई थी जो बेहद खतरनाक होने के कारण 90 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारक थे।
दुर्भाग्यवश पिछली सरकार दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए लेकर आई कुछ लघु
अवधि और दीर्घावधि प्रस्तावों का कार्यान्वयन नहीं कर सकी। अब मौजूदा राजग
सरकार ने इसी तर्ज पर देशभर में राज्यों के संबन्धित तंत्रों की मदद से ऐसे
ब्लैक स्पॉटों की नए सिरे से पहचान कराने का निर्णय लिया है।
नए कानून में होगा समाधान
दुनियाभर
के देशों के मुकाबले भारत की सड़कों पर हो रही दुघर्टनाओं में मौतों की
संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी सरकार के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा
है। इसलिए मोदी सरकार गंभीरता के साथ पुराने मोटर वाहन अधिनियम के स्थान पर
नए कानून बनाकर लोकसभा में पेश भी कर चुकी है। संसद में लंबित इस विधेयक
में अन्य देशों की तर्ज पर यातायात नियमों को सख्त बनाया गया है और नए
कानून में पूर्ण पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ देशभर में
सड़क दुर्घटनाओं पर सर्वोच्च स्तर पर जवाबदेही तय करने के प्रावधान किये
गये हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ही आंकड़ो पर विश्वास करें तो
भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
यही नहीं सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 63 फीसदी मौतें राष्ट्रीय और
राजमार्गों पर होती हैं। मंत्रालय के अनुसार पुराने कानून में कारगर सड़क
इंजीनियरिंग के अभाव में दोषपूर्ण डीपीआर तैयार की गईं, जिसमें सड़क
दुर्घटनाओं में मौतों की बढ़ती संख्या के कारणों को तलाशकर उनके समधान शामिल
हैं।
06July-2015
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