शनिवार, 11 जुलाई 2015

मृत्युदंड के विकल्प की तलाश में सरकार!


राजनीतिक और न्यायाधीश समेत विशेषज्ञ करेंगे मंथन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार पुराने कानूनों में बदलाव करने के साथ मृत्युदंड के दंडनात्मक विकल्प की भी तलाश करने में जुटी हुई है। सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य में अन्य बदलाव के साथ विधि आयोग भी मृत्युदंड के ढांचे का ओवरहालिंग करने पर बल दे चुका है। मृत्युदंड की परिभाषा बदलने की दिशा में शनिवार को राजनीतिज्ञ, समाजिक और विधि विशेषज्ञों के साथ न्यायपालिका भी मंथन करने के लिए जुट रहे हैं।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को देखते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में मृत्युदंड जैसे दंडनात्मक प्रावधान को भी बदलने की कवायद शुरू कर दी है, जिसके लिए पहले ही विधि आयोग भी अपनी एक रिपोर्ट में ऐसी सिफारिश कर चुका है। भारतीय संविधान में मृत्युदंड जैसे कानून की परिभाषा को स्पष्ट करने पर बल दिया जा रहा है। इस गोल मेज सम्मेलन का मुख्य मुद्दा मृत्युदंड के दंडात्मक विकल्प की तलाश में यह रहेगा कि भारत की संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय विधि प्रतिबद्धताओं के मद्देनजर क्या मृत्युदंड को इसके वर्तमान या संशोधित स्वरूप में कायम रखा जाना चाहिए या नहीं? दरअसल मृत्युदंड का वर्तमान कानून बचन सिंह बनाम भारत सरकार (1980) के मामले में निर्धारित किया गया था, जब उच्चतम न्यायालय ने मृत्युदंड की वैधानिकता को सही ठहराया था। हालांकि न्यायालय ने इस दंड में मनमर्जी को कम करने के लिए इसे दुर्लभों में दुर्लभतम मामले में ही लागू करने की बात कही थी। इस मामले में अपने निर्णय पर पहुंचने के लिए न्यायालय ने विधि आयोग की 35वीं रिपोर्ट भारत और विदेशों में दिये गये पूर्व फैसलों और समकालीन स्कॉलरशिप पर भरोसा किया था, जिसके तहत 98 देशों ने तो सभी अपराधों के लिए और सात देशों ने सामान्य अपराधों के लिए मृत्युदंड को समाप्त कर दिया है, जबकि 35 देशों में मौत की सजा के खिलाफ प्रभावी स्थगन लागू किया जा चुका है। विधि आयोग की एक रिपोर्ट पर उच्चतम न्यायालय में बचन सिंह के मृत्युदंड पर पुन: विचार विमर्श करने पर बल दिया था। विधि आयोग ने इस प्रकार दंड प्रक्रिया 1973 की संहिता के ढांचे के साथ ही भारत के सामाजिक, राजनैतिक और कानूनी परिदृश्य में अन्य परिवर्तनों के साथ मृत्युदंड के ढांचे की ओवरहालिंग करने की जरूरत बताई थी। विधि विशेषज्ञों के अनुसार आपराधिक न्याय प्रणाली की देश में मौजूदा स्थिति में पुलिस जांच-पड़ताल प्रक्रियाओं, न्यायपालिका और जेल प्रणालियों सहित आपराधिक न्याय प्रणाली के सामने अनेक ऐसी चुनौतियां हैं जिसमें निष्पक्ष, पक्षपात रहित और त्रुटिहीन मृत्युदंड देने लिए इस प्रणाली सुधार की जरूरत है।
विदेशी विशेषज्ञ भी देंगे व्याख्यान
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने बताया है कि राष्‍ट्रीय राजधानी के हैबिटेट सेंटर में विधि आयोग द्वारा मृत्यु दंड पर बुलाई गई एक सभा में न्यायपालिका, बार, शिक्षा, मीडिया, राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन की महान हस्तियों का एक चुनिंदा समूह मृत्युदंड के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा एवं विचार विमर्श करने के लिए मंथन करेंगे। इस गोलमेज सम्मेलन के रूप में आयोजित इस सभा का उद्घाटन गोपाल कृष्ण गांधी करेंगे। व्यापक विचार विमर्श में सहायता प्रदान करने के लिए इस सभा में भारतीय समाज की प्रमुख हस्तियों के अलावा विदेशी विशेषज्ञों के रूप में प्रोफेसर रोजर हूड, प्रोफेसर एमेरिटस आॅफ क्रिमिनोलॉजी एंड रिसर्च एसोसिएट, सेन्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी, आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी हिस्सा ले रहे हैं।
ये हस्तियां लेंगी हिस्सा
विधि आयोग द्वारा गोल मेज सम्मेलन के रूप में मृत्युदंड की परिभाषा सुधारने के लिए किये जाने वाले विचार और सुझाव के लिए अनेक समाज के सभी क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियां हिस्सा ले रही हैं, जिनमें प्रमुख रूप से न्यायाधीश, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) प्रभा श्रीदेवन, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.बी. सिन्हा, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) होसबिट सुरेश, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के.चंद्रू और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजेन्द्र सच्चर शामिल हैं। वहीं राजनीतिज्ञों में वृंदा करात, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मजीद मेनन, कनिमोझी, वरूण गांधी और आशीष खेतान शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा रामनाथन, जुलियो रिबेरो, डी.पी. कार्तिकेयन, शंकर सेन, पी.एम. नायर, चमनलाल, मीरन सी.बोरवंकर जैसे वर्तमान और पूर्व पुलिस अधिकारी भी हिस्सेदार होंगे। अधिवक्ताओं और विधि विशेषज्ञों के रूप में के.टी.एस. तुलसी, टी.आर.अंध्यारूजिना, युग चौधरी, संजय हेगड़े, कोलिन गोंजाल्विस और दुष्यंत दवे शामिल होंगे। विधि क्षेत्र में कार्य कर रही एसीएचआर,एसएएचआरडीसी और सीएचआरआई जैसी स्वयं संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा संजय मित्तल, सिद्धार्थ वर्दराजन, वी.वेंकटेशन, प्रवीण स्वामी और राजदीप सरदेसाई जैसी मीडिया हस्तियां भी मंथन के लिए आमंत्रित किया गया है।
11July-2015



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